बिहारः जेल में बंद कैदियों ने शहीदों के परिजनों को दान की राशि, कहा-बॉर्डर पर लड़ने की दी जाए अनुमति 

By एस पी सिन्हा | Published: February 19, 2019 09:04 PM2019-02-19T21:04:28+5:302019-02-19T21:04:28+5:30

जेल अधीक्षक संदीप कुमार ने बताया कि जेल में बंद कैदियो ने अपनी रोजाना की कमानी से पैसे बचाकर शहीद के परिजनों की मदद के लिए आर्मी रिलीफ फंड में पैसे भेजे हैं. इनके साथ ही जेल के अधिकारिओं और कर्मचारिओं ने भी अपने वेतन में पैसे निकालकर आर्मी रिलीफ फंड में जमा किया है.

Bihar jail inmates donate Rs 50000 for families of CRPF soldiers killed in Pulwama attack | बिहारः जेल में बंद कैदियों ने शहीदों के परिजनों को दान की राशि, कहा-बॉर्डर पर लड़ने की दी जाए अनुमति 

बिहारः जेल में बंद कैदियों ने शहीदों के परिजनों को दान की राशि, कहा-बॉर्डर पर लड़ने की दी जाए अनुमति 

बिहार के गोपालगंज उप-मंडल जेल के कर्मचारियों और कैदियों ने जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में पिछले सप्ताह हुए आत्मघाती बम विस्फोट में मारे गए सीआरपीएफ जवानों के परिवारों के लिए सेना राहत कोष (एआरएफ) को 50,000 रुपये का दान दिया है. साथ ही जेल प्रशासन को पत्र लिखकर देश की सीमा पर लड़कर शहीद होने की अपील की है. कैदियों की इस देशभक्ति को जेल प्रशासन सार्थक प्रयास की मुहीम से जोड़कर देख रहा है. 

जेल अधीक्षक संदीप कुमार ने बताया कि जेल में बंद कैदियो ने अपनी रोजाना की कमानी से पैसे बचाकर शहीद के परिजनों की मदद के लिए आर्मी रिलीफ फंड में पैसे भेजे हैं. इनके साथ ही जेल के अधिकारिओं और कर्मचारिओं ने भी अपने वेतन में पैसे निकालकर आर्मी रिलीफ फंड में जमा किया है. अधिकारियों ने कहा कि एआरएफ के पक्ष में एक डिमांड ड्राफ्ट पंजीकृत डाक के माध्यम से भेजा गया है. 

उप-कारागार जेल में 30 महिला कैदियों सहित 750 कैदी हैं. जेल अधिकारियों ने कहा कि पुलवामा हमले के बाद सभी कैदी घटनाक्रम को करीब से देख रहे थे और दुख की इस घडी में शहीद सैनिकों के परिवारों का समर्थन करने के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार हैं. कैदियों ने प्रधानमंत्री मोदी को एक पत्र भी भेजा है, जिसपर कम से कम 250 कैदियों ने हस्ताक्षर किए हैं. 

इस पत्र में लिखा है कि अगर युद्ध होता है तो हम सीमा पर दुश्मन से लड़ने के लिए तैयार हैं. उन्होंने पत्र में लिखा कि, "अगर हम लड़ते हुए मर जाते हैं, तो हम खुद को भाग्यशाली मानेंगे कि हमें शहीद कहा जाएगा और अगर हम जीवित लौटते हैं तो प्रशासन को बिना कोई परेशानी दिए हुए वापस जेल में आ जाएंगे."

जेल अधीक्षक संदीप कुमार ने कहा कि, हालांकि कानून के तहत ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जिससे कैदी जेल परिसर के बाहर काम कर सकें. उन्होंने कहा कि कैदियों ने एक सार्थक जीवन के प्रति अपने व्यवहार और दृष्टिकोण में सुधार दिखाया है और यह जेल में सरकार के पुनर्वास कार्यक्रमों का एकमात्र उद्देश्य है. 

जेल अधीक्षक ने कहा कि एआरएफ को दी गई यह राशि भले ही छोटी हो, लेकिन कैदियों का कार्य बेहद प्रशंसनीय है. जेल सुधार कार्यक्रम के अनुसार, कैदी जेल के अंदर विभिन्न परियोजनाओं पर काम करते हैं और एक निश्चित राशि कमाते हैं, जो उन्हें रिहा होने पर दिया जाता है. 

उन्होंने कहा कि कैदी कई आय सृजन गतिविधियों में लगे हुए हैं जिसमें खेती से लेकर अगरबत्ती जैसे हाथ से बने सामानों के उत्पादन तक और अन्य हाथ संबंधित काम होते हैं. 

जेल अधीक्षक संदीप कुमार ने आगे कहा कि, “हम परिसर में सभी प्रकार की सब्जियां और फूल उगाते हैं. काम ज्यादातर सजायाफ्ता कैदियों से लिया जाता है और उनमें से प्रत्येक कैदी लगभग 3,000 रुपये से 3,500 रुपये तक कमाता है, जो कि सीधे उनके खातों में जाता है. 

Web Title: Bihar jail inmates donate Rs 50000 for families of CRPF soldiers killed in Pulwama attack

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