कौन हैं कृष्ण अल्लावरु?, विधानसभा चुनाव से पहले राहुल गांधी ने खेला दांव, कैसे करेंगे लालू यादव से डील

By एस पी सिन्हा | Updated: February 15, 2025 15:23 IST2025-02-15T15:22:01+5:302025-02-15T15:23:06+5:30

Bihar Elections: कांग्रेस बिहार में अपनी खोई जमीन को फिर से पाना चाहती है, यही कारण है कि इस बार बिहार में पार्टी ने अभी से अपनी तैयारी शुरू कर दी है।

Bihar Elections live rahul gandhi lalu yadav Krishna Allavaru became new in-charge Bihar Congress Akhilesh Singh deal with Lalu Yadav busy searching lost land | कौन हैं कृष्ण अल्लावरु?, विधानसभा चुनाव से पहले राहुल गांधी ने खेला दांव, कैसे करेंगे लालू यादव से डील

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Highlightsमोहन प्रकाश बिहार कांग्रेस के एक साल से अधिक समय तक प्रभारी रहे।बिहार में लोकसभा की तीन सीटें जीतीं। अब कांग्रेस ने कृष्णा अल्लावरु पर दांव आजमाया है।दिल्ली चुनाव में मिली करारी हार के बाद देश की सबसे पुरानी पार्टी ने यह अहम फैसला लिया है।

पटनाः बिहार चुनाव से पहले कांग्रेस ने शुक्रवार को बिहार में अपने प्रभारी को बदल कर नए प्रभारी की नियुक्ति की है। ऐसे में सियासी गलियारे में यह चर्चा चलने लगी है कि कांग्रेस ने अपनी रणनीति के तहत बिहार पर काम करना जरूर शुरू कर दिया है। यही कारण है कि कृष्ण अल्लावरु को बिहार के निवर्तमान प्रभारी मोहन प्रकाश की जगह मिली है। कर्नाटक से आने वाले युवा नेता कृष्ण अल्लावरु बिहार में क्या कुछ बेहतर कर पाएंगे ये तो समय बताएगा, लेकिन कांग्रेस ने अपनी रणनीति पर काम करना जरूर शुरू कर दिया है। मोहन प्रकाश बिहार कांग्रेस के एक साल से अधिक समय तक प्रभारी रहे।


उनके नेतृत्व में पार्टी ने बिहार में लोकसभा की तीन सीटें जीतीं। अब कांग्रेस ने कृष्णा अल्लावरु पर दांव आजमाया है। जानकारों की मानें तो दिल्ली चुनाव में मिली करारी हार के बाद देश की सबसे पुरानी पार्टी ने यह अहम फैसला लिया है। कांग्रेस बिहार में अपनी खोई जमीन को फिर से पाना चाहती है, यही कारण है कि इस बार बिहार में पार्टी ने अभी से अपनी तैयारी शुरू कर दी है।

राहुल गांधी भी अब तक दो बार बिहार का दौरा कर चुके हैं। पार्टी ने ये भी साफ कह दिया है कि वो किसी भी हाल में 70 से कम सीट पर नहीं लड़ेंगी। जब कुछ ही महीने बाद राज्य में विधानसभा का चुनाव होना है। ऐसे में नए प्रभारी को बेहद कम समय में न केवल उनको पार्टी और संगठन को मजबूती देने पर काम करना होगा, बल्कि राजद के साथ सीट बंटवारे पर भी सामंजस्य बिठाना होगा।

2020 चुनाव में कांग्रेस को 70 सीटें मिली थी। लेकिन सिर्फ 19 सीटों पर जीत मिली थी। जिसकी वजह से माना गया कि कांग्रेस और राजद में कड़वाहट आ गई थी। इस बीच तब कांग्रेस के दलित नेता भक्त चरण दास ने कहा था कि राजद और भाजपा का गठबंधन हो सकता है। इसके बाद लालू प्रसाद यादव ने भक्त चरण दास को ’भकचोन्हर’(बेवकूफ) कहा था।

इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि बिहार के कांग्रेस नेताओं को लालू यादव कितनी तरजीह देते हैं। इस बार चर्चा है कि राजद 40 से अधिक सीट देने के पक्ष में नहीं है। ऐसे में लालू यादव और तेजस्वी यादव से तालमेल बनाना उनके लिए बड़ी चुनौती होगी। कांग्रेस को खुद पर भरोसा है, इसलिए कांग्रेस ने साफ कर दिया है कि इस साल होने विधानसभा चुनाव में पार्टी 70 से कम सीटों पर समझौता नहीं करेगी। 

इंडिया गठबंधन में कांग्रेस खुद को बिहार में राजद के बाद सबसे अहम मानती है। इसलिए वह सीटों के बंटवारे में किसी समझौते के मूड में नहीं दिखाई दे रही है। अब जबकि कांग्रेस ने बिहार के लिए पार्टी का प्रभारी कन्नड़ भाषी कृष्णा अल्लावरु से को बनाया है तो सियासी हलकों में इस बात की चर्चा होने लगी है कि हिंदी पट्टी वाले लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव कैसे इनसे गठबंधन में सीटों की डील कर पाएंगे? इसके पीछे का तर्क ये दिया जा रहा है कि बिहार में कांग्रेस नेताओं और लालू यादव के बीच अच्छी तालमेल बन गई है।

राजद हमेशा कांग्रेस को अपने से पीछे रखती है। माना जाता है कि लालू यादव और तेजस्वी यादव की छत्र छाया में बिहार कांग्रेस के नेता रहते हैं। लालू-तेजस्वी जिस लाइन पर चलने को बोलते हैं उसी लाइन पर वह चल पड़ते हैं। बिहार कांग्रेस अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह को लालू यादव का करीबी माना जाता है।

लालू यादव ने कहा भी था कि अखिलेश सिंह को उन्होंने राज्यसभा में भेजवाया था। वहीं, मोहन प्रकाश के बिहार का प्रभारी रहते हुए उनकी अगुवाई में कांग्रेस को बिहार में लोकसभा चुनाव में 40 सीटों में से 9 सीट इंडिया गठबंधन में मिली थी। हालांकि, लोकसभा में चुनावी सफलता राजद से कांग्रेस की बेहतर रही और 9 में 3 सीटों पर जीत हासिल की।

वहीं, राजद 23 सीटों पर लड़ी और महज 4 सीटों पर जीत हासिल की थी। इस लिहाज कांग्रेस पर विधानसभा चुनाव 2020 में महागठबंधन की हार का कारण माना गया था, लेकिन कांग्रेस ऐसा नहीं मानती। वहीं, बिहार में कांग्रेस के द्वारा प्रभारी बदल दिए जाने पर जदयू के मुख्य प्रवक्ता एवं विधान पार्षद नीरज कुमार ने कहा कि कांग्रेस चाहे कुछ भी कर ले।

लेकिन वह रहेगी लालू प्रसाद यादव की पिछलग्गू ही। राजद के द्वारा न तो कभी कांग्रेस को ज्यादा तरजीह दी जाती थी और न अब दी जाएगी। इसका कारण यह है कि कांग्रेस बिहार में परजीवी हो गई है। उसमें खुद खड़ा होने की ताकत ही नहीं बची है।

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