पटनाः राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने दिवाली पर 143 प्रत्याशियों की सूची जारी कर दी। 243 सीट में से अकेले तेजस्वी यादव 143 सीट पर लड़ रहे हैं। बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव तीसरी बार राघोपुर से चुनाव लड़ रहे हैं। चंद्रशेखर को मधुबनी से टिकट दिया गया है। सूरजभान सिंह की पत्नी वीणा देवी को मोकामा से अनंत सिंह के खिलाफ उतारा गया है। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चोधरी को झाझा से उतारा है। महागठबंधन के कई सीट पर प्रत्याशी एक-दूसरे को टक्कर दे रहे हैं। आपको बता दें कि महागठबंधन में अभी तक सीटों का बंटवारा नहीं हुआ है। राजद ने बिहार विधानसभा चुनाव के लिए 143 उम्मीदवारों की सूची जारी की, जिनमें से पांच प्रत्याशी विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के अन्य घटक दलों के उम्मीदवारों के खिलाफ लड़ेंगे।
महागठबंधन में राजद के अलावा कांग्रेस, वाम दल और मुकेश साहनी की वीआईपी पार्टी है। बिहार में 6 और 11 नवंबर को मतदान होगा और 14 नवंबर को मतगणना किया जाएगा। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की महिला प्रकोष्ठ की प्रदेश अध्यक्ष रितु जायसवाल ने घोषणा की कि वह बिहार विधानसभा की परिहार सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ेंगी।
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने सोमवार को बिहार विधानसभा चुनाव के लिए अपने 143 उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी, जिनमें से पांच सीटों पर ‘इंडिया’ गठबंधन के घटक दलों ने अपने-अपने उम्मीदवार उतारे हैं। यह सूची ऐसे समय जारी की गई है जब दूसरे और अंतिम चरण के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने की समय सीमा समाप्त होने में कुछ ही समय शेष हैं।
इस घोषणा के साथ उन अटकलों पर विराम लग गया कि राजद कटुंबा सीट से चुनाव लड़ेगी, जो वर्तमान में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश कुमार राम के पास है। पार्टी ने वैशाली, लालगंज और कहलगांव सीटों पर कांग्रेस के उम्मीदवारों के खिलाफ, जबकि तारापुर और गौड़ाबोराम सीटों पर पूर्व मंत्री मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के उम्मीदवारों के खिलाफ अपने प्रत्याशियों की घोषणा की है।
बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन की गांठ कमजोर साबित हुई है। हालात इतने गंभीर हो चुके हैं कि कांग्रेस की सीटिंग सीट भी सहयोगी दलों ने नही छोडा। कहीं भाकपा ने कांग्रेस की सीटिंग सीट पर अपना उम्मीदवार उतार दिया है, तो कहीं वीआईपी ने कांग्रेस की परंपरागत सीट पर उम्मीदवार दे दिया है। हालांकि कांग्रेस को कुटुंबा विधानसभा सीट से बड़ी राहत मिली है।
राजद की ओर से जारी 143 उम्मीदवारों की आधिकारिक सूची में कुटुंबा सीट शामिल नहीं है, जिससे कांग्रेस के लिए मुकाबला आसान हो गया है। औरंगाबाद जिले की कुटुंबा सीट से कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम कांग्रेस के उम्मीदवार हैं। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि कांग्रेस और राजद के बीच चुनावी गठबंधन महज अब कहने को रह गया है।
ऐसे में महागठबंधन के घटक दलों में तल्खी बढ़ती जा रही है। महागठबंधन के भीतर दोस्ताना संघर्श( फ्रेंडली फाइट) की बात करें तो भाकपा-कांग्रेस और राजद-वीआईपी के बीच टकराव होने जा रहे हैं। अब तक की जानकारी के अनुसार, सात विधानसभा सीटों लालगंज, वैशाली, राजापाकर, बछवाड़ा, रोसड़ा, बिहार शरीफ और गौड़ाबौराम पर महागठबंधन के घटक दल आमने-सामने हैं।
गौड़ाबौराम सीट पर राजद और कांग्रेस दोनों ने अपने उम्मीदवार मैदान में उतार दिए हैं। लालगंज सीट पर भी कांग्रेस की आदित्य कुमार और राजद की शिवानी शुक्ला (पूर्व विधायक मुन्ना शुक्ला की बेटी) में सीधा टकराव है। जमुई की सिकंदरा विधानसभा सीट को लेकर कांग्रेस और राजद दोनों दलों के प्रत्याशियों ने नामांकन दाखिल किया है।
यह सीट कांग्रेस के विनोद चौधरी को दी गई थी, लेकिन पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने भी राजद के सिंबल पर अपना नामांकन दाखिल कर दिया। वामदलों में भाकपा ही एक ऐसी पार्टी है, जिसका कांग्रेस के साथ चार सीटों पर आमने-सामने की टक्कर होगी। इनमें बछवाड़ा, बिहारशरीफ, राजा पाकड़ एवं करगहर शामिल हैं।
रोहतास जिले के करगहर में भाकपा प्रत्याशी महेंद्र गुप्ता ने अपना नामांकन पत्र दाखिल कर दिया है। करगहर से कांग्रेस ने संतोष मिश्रा को टिकट दिया है, वे वहां के निवर्तमान विधायक हैं। रोसड़ा में भी भाकपा ने अपने उम्मीदवार चुनाव मैदान में कांग्रेस प्रत्याशी के खिलाफ उतारे दिए थे, लेकिन उस उम्मीदवार का नामांकन पत्र रद्द होने के कारण वहां अब आपस में संघर्ष नहीं होगा।
बछवाड़ा में कांग्रेस उम्मीदवार गरीब दास, बिहारशरीफ में कांग्रेस के ओमैर खान, राजापाकड़ में कांग्रेस की प्रतिमा दास के साथ भाकपा उम्मीदवारों की सीधी टक्कर होगी। बता दें कि पहले चरण का नामांकन समाप्त होने के बाद सोमवार को नाम वापसी के दिन तक महागठबंधन के सहयोगी दलों ने अपना उम्मीदवार वापस नहीं लिया है।
इस तरह महागठबंधन अब तक यह भी घोषित नहीं कर सका है कि किस दल को कितनी और कौन-कौन सी सीटें दी गई हैं। घटक दलों के बीच टकराव होने से महागठबंधन के नेता व कार्यकर्ताओं में भी असमंजस की स्थिति बन गई है। अब वे सोशल मीडिया पर खुलकर एक-दूसरे की लानत-मलामत करने में लगे हैं। ट्रोल करते हुए अपशब्द बोले जा रहे हैं।
हालांकि, महागठबंधन के शीर्ष नेता डैमेज कंट्रोल में लगे हैं पर खुलकर किसी के नहीं बोलने से कार्यकर्ताओं में भ्रम की स्थिति है। कांग्रेस राष्ट्रीय प्रवक्ता पवन खेड़ा ने जरूर कहा है कि सही वक्त तक सब सही हो जाएगा। वरीय पर्यवेक्षक अशोक गहलोत ने भी सब ठीक हो जाने की बात कही हैं। लेकिन राजद खेमे से सुलह के प्रयास नहीं दिखने के चलते कार्यकर्ता भी एक-दूसरे के खिलाफ ताल ठोकने लगे हैं।
वहीं, महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर जारी खींचतान के बीच पूर्णिया के निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने सोमवार को सीधे तौर पर कांग्रेस को नसीहत दी। पप्पू यादव ने कहा कि महागठबंधन को कमजोर किया जा रहा है। ऐसे में अब वक्त आ गया है। कांग्रेस को बड़ा फैसला लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि मैं बार-बार कह रहा हूं कि गठबंधन को वापस लीजिए। गठबंधन को कमजोर किया जा रहा है, इसके पीछे कौन है? सुबह तक टिकट बांटे जा रहे हैं, मैं इसे गलत मानता हूं गठबंधन धर्म का पालन केवल कांग्रेस कर रही है।
कांग्रेस ने अत्यंत पिछड़ी जाति, एससी-एसटी वर्ग पर ध्यान केंद्रित करने का प्रयास किया है। पप्पू यादव ने यह भी कहा, कांग्रेस के अलावा बाकी दलों के रवैये से ऐसा लग रहा है कि उन्हें आम जनता से ज्यादा अपनी सीटों की चिंता है। बार-बार कहने के बाद भी 12 जगह दो-दो उम्मीदवार खड़े कर दिए गए हैं, क्या इससे गठबंधन चलता है?