बिहार: कोरोना की सुनामी ने मचाई तबाही, बीडीओ-सीओ की गई जान, जिलों में बढ़ रहे एक्टिव केस
By एस पी सिन्हा | Updated: April 24, 2021 16:05 IST2021-04-24T16:03:12+5:302021-04-24T16:05:48+5:30
bihar coronavirus latest news: शुक्रवार को स्वास्थ्य विभाग के अपर सचिव आईएएस अधिकारी रविशंकर चौधरी की कोरोना से मौत हो गई थी। आज एक बीडीओ और सीओ की मौत कोरोना संक्रमण से हो गई है।

(फोटो सोर्स- सोशल मीडिया)
bihar coronavirus latest news:बिहार में कोरोना संक्रमण की आई सुनामी से लोगों की जान सांसत में है। सरकार की तरफ से इलाज की मुकम्मल व्यवस्था के दावे तो किये जा रहे हैं, लेकिन सच्चाई यह भी है कि लोग बिना इलाज के भी मर रहे हैं। अस्पतालों में बेड नहीं है, बेड है तो ऑक्सीजन नहीं और अगर बेड और ऑक्सीजन मिल भी गया तो दवाईयां नहीं मिलने से लोग तडप-तडप कर मर रहे हैं। बेबस मरीज मर रहे हैं। राज्य में कोरोना से लगातार मौत की खबरें आ रही हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार सीवान जिले के हुसैनगंज प्रखण्ड के बीडीओ मनीषा प्रसाद की कोरोना से मौत आज सुबह पटना के एक अस्पताल में हो गई। वहीं दानापुर के अंचलाधिकारी विद्यानंद राय की भी कोरोना से मौत हो गई। वे दानापुर के हाईटेक हॉस्पीटल में भर्ती थे। दानापुर के डीसीएलआर ने दानापुर के सीओ के मौत की पुष्टि की है। इधर, हाईकोर्ट की दखल के बाद भी बिहार में स्वास्थ्य व्यवस्था को बेहतर करने को लेकर सरकार के अधिकारी गंभीर नजर नहीं आते हैं।
कोरोना मरीजों को आइसोलेशन सेंटर भेज दिया जाता है, जिसके बाद कोई उनकी सुध लेने की जहमत भी नहीं उठाता है। ताजा मामला सरकार के सबसे बेहतर सुविधाओं वाले होटल पाटलीपुत्र अशोक के आइसोलेशन सेंटर का है, जहां भर्ती एक मरीज की मौत हो गई। लेकिन घंटों तक न तो होटल की तरफ और न सरकार के किसी अधिकारी ने उसको लेकर कोई गंभीरता दिखाई। मरीज के शव के साथ यहां मौजूद दूसरे लोगों को भगवान भरोसे छोड दिया गया।
घटना के बारे में बताया गया कि मोकामा निवासी रणधीर कुमार को कोरोना संक्रमित पाए जाने के बाद इनकम टैक्स स्थि होटल पाटलीपुत्र अशोक में आइसोलेट किया गया था। जहां पर वह बाथरुम में गिर गए, जिससे उनकी मौत हो गई। जिसके बाद लगभग चार घंटे तक मृतक का शव वैसे ही वहां पडा रहा। शव को हटाने के लिए किसी ने कोई पहल नहीं की और वहां पर भर्ती मरीजों को भगवान भरोसे छोड दिया गया।
वहीं, बिहार सरकार द्वारा पटना हाईकोर्ट में दायर हलफनामे के अनुसार अगले एक सप्ताह में यानी आगामी 30 अप्रैल तक रोज संक्रमित होनेवाले मरीजों की संख्या करीब 20 हजार तक पहुंच जायेगी। ऐसी आशंका है। जाहिर है अगले 10 दिनों में बिहार में दो लाख नये कोरोना के मामलों सामने आ सकते हैं और तब सक्रिय केसों की संख्या डेढ लाख तक पहुंच जायेगी।
एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने पटना हाईकोर्ट को ये जानकारियां दी हैं। बिहार सरकार के अधिवक्ता रंजीत कुमार ने अदालत को बताया है कि कुल मामलों में से बीस फीसदी लोगों को अस्पताल में इलाज की जरूरत होगी। 10 फीसदी को ऑक्सीजन बेड की। यानी राज्य को तब तक 30 हजार सामान्य बेड और 15 हजार ऑक्सीजन युक्त बेड की जरूरत होगी।
पटना हाईकोर्ट में बिहार सरकार द्वारा दिया गया यह स्पष्टीकरण ये बताने के लिए काफी है कि आने वाले दिनों में बिहार में कोरोना बहुत भयंकर तबाही मचानेवाला है। इस संकट से निबटने की राज्य सरकार की तैयारियां कितनी कमजोर है, इस बात का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि फिलहाल राज्य में कोरोना मरीजों के लिए बमुश्किल 2000 बेड ही उपलब्ध हैं। लेकिन अगले एक हफ्ते में सरकार को पूरे राज्य में 45 हजार बेड का इंतजाम करना पडेगा। स्वास्थ्य विभाग के बारे में जो लोग जानते हैं उन्हें ये बखूबी पता है कि ये टास्क पूरा करना असंभव है।
बताया गया है कि बेड के साथ ऑक्सीजन, और इलाज के लिए डॉक्टरों की जरूरत होगी। इस वक्त जब राज्य में सिर्फ 69 हजार सक्रिय मरीज ही हैं और इनमें से 90 फीसदी होम आइसोलेशन में हैं। फिर भी बिहार के स्वास्थ्य विभाग के लिए स्थितियों को संभालना मुश्किल हो रहा है। आने वाले दिनों में जब सरकार पर दस गुना ज्यादा प्रेशर बढने वाला है, उस समय क्या होगा? सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है।
राजेंद्र आई केयर अस्पताल भी चालू कराया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग ने घोषणा की है कि सभी जिले में सौ से लेकर 500 बेड तक के ऑक्सीजन युक्त अस्थायी कोविड अस्पताल खोले जाएंगे। मगर यह काम हो पायेगा या सिर्फ घोषणाओं में सिमट कर रह जाएगा यह कहना मुश्किल है।