बिहार में शराबबंदी कानूनः पुलिसकर्मियों की मिलीभगत से धंधा, जदयू संसदीय बोर्ड अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा बोले-अवैध और जहरीली शराब का कारोबार में तेजी
By एस पी सिन्हा | Updated: November 16, 2021 19:29 IST2021-11-16T19:27:52+5:302021-11-16T19:29:21+5:30
उपेन्द्र कुशवाहा ने कहा है कि बिहार में अवैध और जहरीली शराब का कारोबार कैसे रुक सकता है, जब थाना स्तर के पुलिस अधिकारी और जवानों की शराब माफियाओं से मिली भगत है.

गांव वाले भी बताते हैं कि थाना स्तर के पुलिस कैसे शराब माफियाओं से सम्बंध रखते हैं?
पटनाः बिहार में जहरीली शराब से लगातार हो रही मौत पर राजनीति गर्मायी हुई है. इधर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शराबबंदी पर आज एक ओर जहां समीक्षा बैठक कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव लगातार निशाना साध रहे हैं.
इन सबके बीच भारत में शराब बनाने वाली कंपनियों के परिसंघ(सीआइएबीसी) ने बिहार सरकार से आग्रह किया है कि बिहार में शराबबंदी समाप्त की जाए. वहीं, जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा ने पुलिस के क्रिया कलापों पर सवाल उठाया है. उपेन्द्र कुशवाहा ने कहा है कि बिहार में अवैध और जहरीली शराब का कारोबार कैसे रुक सकता है, जब थाना स्तर के पुलिस अधिकारी और जवानों की शराब माफियाओं से मिली भगत है. उन्होंने कहा कि जब तक इस पर लगाम नहीं लगेगा, नीतीश कुमार की शराबबंदी पर सवाल उठते रहेंगे.
उन्होंने पुलिस अधिकारियों को जिम्मेदार बताते हुए कहा कि नीतीश कुमार शराबबंदी को सफल बनाने के लिए पूरी ईमानदारी से मेहनत कर रहे हैं. लेकिन थाना स्तर के पुलिसकर्मियों की वजह से इस पर पलीता लग रहा है. उपेन्द्र कुशवाहा ने कहा कि वे खुद जब गांव की तरफ जाते हैं तो इसका अनुभव करते हैं. गांव वाले भी बताते हैं कि थाना स्तर के पुलिस कैसे शराब माफियाओं से सम्बंध रखते हैं? कैसे शराब आसानी से गांवों में मिल रही है. उन्होंने कहा कि पहले निचले स्तर के पुलिस जवानों और अधिकारियों पर कार्रवाई करें तभी शराबबंदी सफल हो पाएगी.
उधर, सीआइएबीसी ने मुख्यमंत्री से एकबार फिर से पुनर्विचार करने का अनुरोध किया है. इससे पूर्व भी सीआइएबीसी ने मुख्यमंत्री से शराबबंदी को लेकर पुनर्विचार का आग्रह किया था. जिम्मेदार और नियंत्रित तरीके से शराब का व्यापार शुरू करने की अनुमति मांगी थी. साथ ही शराबबंदी के बिना महिलाओं की मदद के लिए सरकार की घोषणा सुनिश्चित करने के लिए कई कदम उठाने के सुझाव भी दिए हैं.
महानिदेशक विनोद गिरी ने कहा है कि शराबबंदी से बिहार का विकास और प्रगति प्रभावित हुआ है. प्रतिवर्ष करीब 10 हजार करोड़ रुपये का राजस्व का नुकसान हो रहा है. एक तरह से शराबबंदी नीति की भारी कीमत राज्य को चुकानी पड रही है. राज्य में अवैध और नकली शराब की बिक्री हो रही है. गिरि ने कहा है कि 2016 से करीब एक लाख करोड़ लीटर शराब जब्त की गई है.
यह दर करीब 10 फीसद है. इसका मतलब है कि 10 करोड़ की अवैध शराब बिहार लाई जा रही है. पुलिस अपराध नियंत्रण की जगह शराब जब्ती में लगी है. यहां बता दें इससे पहले भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने कहा था कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जो भी समीक्षा करेंगे वह बेहतर होगा.
लेकिन साथ में यह भी ध्यान देना जरूरी है कि बिहार के हर जिले में ऊपर से लेकर नीचे तक शराब के धंधे में माफियाओं का राज चलता है. इस धंधे में पुलिस उनकी मदद करती है. शराब माफिया ऊपर से लेकर नीचे तक जुडे हुए हैं और शराब का अवैध व्यापार करते हैं, इसलिए इन माफियाओं पर भी कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए तब ही शराबबंदी पूरी तरह सफल हो पाएगा.