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भाजपा कार्यकारी अध्यक्ष नितिन नबीन से मिले, लिट्टी-चोखा भोज से गायब?, रालोमो अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा के 04 में से 03 विधायक माधव आनंद, रामेश्वर महतो और आलोक सिंह नाराज?

By एस पी सिन्हा | Updated: December 25, 2025 16:23 IST

जानकारों का मानना है कि पार्टी के तीनों विधायकों ने लिट्टी-चोखा भोज में शामिल न होकर साफ संकेत दे दिया है कि पार्टी के अंदर सब कुछ ठीक नहीं है।

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ठळक मुद्देउपेंद्र कुशवाहा के आवास पर मंगलवार की रात्रि आयोजित लिट्टी-चोखा भोज में तीनों विधायक शामिल नहीं हुए।तीनों विधायकों की गैरमौजूदगी ने सियासी गलियारों में कई तरह की अटकलों को जन्म दे दिया है।तीनों विधायक कल पटना में भाजपा के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष नितिन नबीन से मिले।

पटनाः एनडीए की सहयोगी दल राष्ट्रीय लोक मोर्चा(रालोमो) एक बार फिर हलचल तेज हो गई है। ऐसे में कहा जा सकता है कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा की मुश्किलें बढ़ने वाली है। एक ओर जहां राज्यसभा में फिर से जाने की संभावना क्शीन होती जा रही है तो दूसरी ओर पार्टी में टूट के संभावना व्यक्त की जाने लगी है। रालोमो के चार में से तीन विधायक माधव आनंद, रामेश्वर महतो और आलोक सिंह नाराज बताए जा रहे हैं। शायद यही कारण है कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा के आवास पर मंगलवार की रात्रि आयोजित लिट्टी-चोखा भोज में तीनों विधायक शामिल नहीं हुए।

तीनों विधायकों की गैरमौजूदगी ने सियासी गलियारों में कई तरह की अटकलों को जन्म दे दिया है। जानकारों का मानना है कि पार्टी के तीनों विधायकों ने लिट्टी-चोखा भोज में शामिल न होकर साफ संकेत दे दिया है कि पार्टी के अंदर सब कुछ ठीक नहीं है। लिट्टी-चोखा भोज में शामिल होने के बजाय तीनों विधायक कल पटना में भाजपा के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष नितिन नबीन से मिले।

इस मुलाकात को नई राजनीति की दिशा में उठाया गया कदम माना जा रहा है। दरअसल, पार्टी के अंदर नाराजगी की बड़ी वजह उपेंद्र कुशवाहा का पारिवारिक फैसला बताया जा रहा है। चर्चा है कि वे अपनी पत्नी को पार्टी के विधायक दल का नेता बनाना चाहते थे। इस फैसले से विधायक नाराज हो गए। विधायकों के विरोध को देखते हुए बाद में माधव आनंद को विधायक दल का नेता बनाया गया।

हालांकि पार्टी में पुत्र मोह के कारण असंतोष बढ़ता जा रहा है। इससे पहले भी उपेंद्र कुशवाहा कई पार्टी इकाइयों को भंग कर चुके हैं। मौजूदा घटनाक्रम से साफ है कि रालोमो के अंदर सियासी तनाव लगातार गहराता जा रहा है। वहीं रालोमो के तीनों विधायकों के पटना में भाजपा के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष नितिन नबीन से मुलाकात किए जाने के सियासी मायने निकाले जाने लगे हैं।

बिहार की राजनीति में नई सियासी चाल और संभावित समीकरणों को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं। सूत्रों के अनुसार तीनों विधायक आपस में पूरी तरह एकजुट नजर आ रहे हैं। उनकी यह एकजुटता यह संकेत दे रही है कि वे किसी भी फैसले को सामूहिक रूप से लेने के मूड में हैं। विधायकों की रणनीति क्या है और उनका अगला कदम किस दिशा में जाएगा, इसे लेकर फिलहाल तस्वीर साफ नहीं है।

लेकिन ऐसी संभावना व्यक्त की जाने लगी है कि उपेन्द्र कुशवाहा से नाराज तीनों विधायक कहीं भाजपा का दामन न थाम लें। बता दें कि पिछले दिनों भी आरएलएम के विधायक रामेश्वर महतो की नाराजगी की खबर सामने आई थी। रामेश्वर महतो ने अपने फेसबुक पर लिखा था कि “राजनीति में सफलता केवल भाषणों से नहीं, बल्कि सच्ची नीयत और दृढ़ नीति से मिलती है।

जब नेतृत्व की नीयत धुंधली हो जाए और नीतियाँ जनहित से अधिक स्वार्थ की दिशा में मुड़ने लगें, तब जनता को ज्यादा दिनों तक भ्रमित नहीं रखा जा सकता. आज का नागरिक जागरूक है- वह हर कदम, हर निर्णय और हर इरादे को बारीकी से परखता है।

सूत्रों की मानें तो रामेश्वर महतो लगातार उम्मीद कर रहे थे कि उपेंद्र कुशवाहा उन्हें मंत्री पद के लिए आगे बढ़ाएंगे, लेकिन इसके बजाय कुशवाहा के बेटे दीपक प्रकाश को मंत्री बनाया गया। इसके बाद से ही रामेश्वर महतो असहज और नाराज बताए जा रहे हैं। उल्लेखनीय है कि उपेंद्र कुशवाहा ने अपनी पत्नी को टिकट देकर विधायक बनवा दिया और वहीं बेटे को मंत्री बनाने में भी सफल रहे।

इसको लेकर पार्टी के अंदर कुछ नेताओं के बीच असंतोष की खबर सामने आ रही थी। अब ऐसे में रालोमो के तीनों विधायकों ने लिट्टी-चोखा भोज में नहीं शामिल होकर नई चर्चाओं को जन्म दे दिया है। हालांकि, इस पूरे मामले पर अब तक न तो उपेंद्र कुशवाहा और न ही विधायकों की ओर से कोई आधिकारिक बयान सामने आया है।

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