बिहार: मुजफ्फरपुर में होते-होते टला बालासोर जैसा ट्रेन हादसा, चालक की समझदारी से बची सैकड़ों जिंदगी
By एस पी सिन्हा | Updated: July 25, 2023 16:43 IST2023-07-25T16:36:18+5:302023-07-25T16:43:00+5:30
बिहार में वैशाली क्लोन सुपरफास्ट एक्सप्रेस गलत सिग्नल के कारण गलत ट्रैक पर चली गई, इसके कारण एक बड़ा ट्रेन हादसा हो सकता था लेकिन ट्रेन ड्राइवर की समझदारी से रेलवे ने गलती को फौरन दुरुस्त कर लिया।

बिहार: मुजफ्फरपुर में होते-होते टला बालासोर जैसा ट्रेन हादसा, चालक की समझदारी से बची सैकड़ों जिंदगी
पटना: बिहार में वैशाली क्लोन सुपरफास्ट एक्सप्रेस गलत सिग्नल की वजह से मुजफ्फरपुर से मोतिहारी के बदले हाजीपुर रूट पर रवाना हो गई। इससे एक बड़ा रेल हादसा होते-होते टल गया। दरअसल, ग्रीन सिग्नल मिलने के बाद चालक ने ट्रेन को गलत रूट पर आगे बढ़ा दिया।
जानकारी के अनुसार करीब पांच मिनट तक ट्रेन गलत रूट पर चलती रही। जब कॉशन रिपोर्ट देखा तो उसके होश उड़ गए। ट्रेन गलत दिशा में जा रही थी। तब ड्राइवर ने इमरजेंसी ब्रेक लगाई और इसकी सूचना कंट्रोल रूम और स्टेशन मास्टर को दी। इसके बाद ट्रेन को वापस मुजफ्फरपुर जक्शन पर लाया गया।
इसकी सूचना कंट्रोल को देने के साथ रेल अधिकारियों के बीच अफरातफरी मच गई। आनन-फानन में इस पूरे मामले की जांच शुरू हुई। शुरुआती जांच में पाया गया कि ट्रेन गलत सिग्नल देने की वजह से गलत रूट पर रवाना हुई। इसके बाद सोनपुर रेल मंडल के डीआरएम विवेक भूषण सूद ने पैनल प्रभारी सुरेश प्रसाद सिंह और पैनल ऑपरेटर अजीत कुमार को निलंबित कर दिया।
दरअसल, यूपी के भटनी यार्ड में इंजीनियरिंग वर्क के लिए ब्लॉक किया गया है। इसके बाद वैशाली क्लोन समेत 9 गाड़ियों का रूट बदल दिया गया है। इस कारण मुजफ्फरपुर से कई ट्रेनों का रूट हाजीपुर-छपरा के बदले मुजफ्फरपुर-नरकटियागंज के रास्ते डायवर्ट किया गया था। ट्रेन संख्या 02563 बरौनी-नई दिल्ली स्पेशल ट्रेन को भी नरकटियागंज के रास्ते डायवर्ट किया गया था। चालक को इसका काशन पेपर भी मिल चुका था।
वहीं दूसरी ओर पैनल से हाजीपुर रूट में ग्रीन सिग्नल दे दिया गया। इसके बाद गाड़ी सुबह 11:05 में चल पड़ी। चालक ने अचानक कॉशन पेपर देखा तो उनके होश उड़ गए। चालक ने तुरंत गाड़ी रोक दी। फिर पांच मिनट बाद 11:10 में ट्रेन को फिर रामदयालु के प्वाइंट लाइन से बैक किया गया।
इस घटना की जानकारी मिलने पर अधिकारियों के होश उड़ गए। संयोग था कि उस वक्त रामदयालु की तरफ से कोई ट्रेन नहीं थी। चालक ने अपनी सूझबूझ का इस्तेमाल करते हुए गाड़ी को कंट्रोल किया नहीं तो ओडिशा के बालेश्वर जैसी घटना होने से कोई रोक नहीं सकता था।