पटनाः बिहार में चुनावी गहमागहमी के बीच सीमांचल के इलाके में किशोरवय लड़कियां अब लड़कियों की तस्करी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.
इस इलाके के अररिया, कटिहार, किशनगंज और पूर्णिया जैसे सीमांचल के जिलों में दुर्गा जत्था की सदस्य बनीं, कई नाबालिग लड़कियां दलीय उम्मीदवारों से सम्पर्क कर उनसे शपथ पत्र जैसा एक फार्म भरवा रही हैं कि यदि वे चुनाव जीते तो स्थानीय लड़कियों की जिन्दगी को तहस-नहस कर देने वाली फर्जी शादियों की कुत्सित गतिविधियों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे.
इन लड़कियों के गांव में जब भी कोई उम्मीदवार आता है तो ये उसके सामने अपनी मांगें उनके क्षेत्र से वोट पाने की शर्त के तौर पर पेश कर देती हैं. इस तरह सीमांचल इलाके में किशोरवय लड़कियों का एक समूह स्थानीय उम्मीदवारों से फार्म भरवाकर इस बात का लिखित भरोसा ले रहा है कि यदि वे विधानसभा चुनाव में जीतते हैं तो क्षेत्र में फर्जी शादियों और लड़कियों की तस्करी पर रोक लगवाएंगे.
गरीब लडकियों से शादी की आड़ में सस्ते मानव श्रम या दूसरे राज्यों में वेश्यावृति के लिए मानव तस्करी की घटनाएं इस क्षेत्र में खूब होती है. 'सेंटर फॉर चाइल्ड राइट्स' और स्थानीय एनजीओ 'भूमिका विहार' द्वारा 2018 में किए गए एक सर्वे के अनुसार उस साल अररिया और कटिहार जिले में ही 142 फर्जी शादियां कराई गई थीं.
इस सभी मामलों में शादी के बाद लड़कियों को उत्तर प्रदेश और दिल्ली ले जाकर घरेलू नौकर, खेती-किसानी या फिर वेश्यावृति के धंधे में झोंक दिया गया. हाल में दुर्गा जत्था ने सरकार को पत्र लिखकर ग्राम पंचायत स्तर पर शादियों के पंजीकरण की व्यवस्था करने और हर शादी के पंजीकरण को अनिवार्य बनाने की मांग की ताकि ऐसी गैरकानूनी गतिविधियों को रोका जा सके.
लड़कियों के इस मुहिम पर कटिहार से भाजपा उम्मीदवार कविता पासवान कहती हैं कि यह बेहद आश्चर्यजनक है कि लड़कियां वोट के बदले फर्जी शादियां रुकवाने के लिए फार्म भरने को कह रही हैं. इससे इस मुद्दे को लेकर उनकी संजीदगी दिखती है. वे हमसे इस बारे में सहयोग चाहती हैं.
उन्होंने कहा कि यदि वह चुनाव जीतीं तो जरूर उनकी मदद करेंगी. वहीं, अररिया से जनता दल उम्मीदवार शगुफ्ता अजीम ने कहा कि वह लड़कियों की इस पहल से बहुत प्रभावित हैं. जैसी कार्रवाई और समर्थन वे चाहती हैं वह उन्हें मिलना ही चाहिए.
उन्होंने कहा कि यदि मुझे मौका मिला तो इस मकसद के लिए जरूर काम करूंगी. इस संबंध में पूछे जाने पर दुर्गा जत्था की सदस्य नंदिनी कहती हैं कि उम्मीद है कि यदि ग्राम पंचायत में शादियों का पंजीकरण होने लगेगा तो फर्जी शादियों को रोका जा सकेगा. वह कहती हैं कि इस समय विभिन्न राजनीतिक दलों के और निर्दलीय उम्मीदवार वोट मांगने के लिए गांवों में आ रहे हैं.
उन्होंने कहा कि यह सही समय है कि उनसे इस बारे में लिखित वादा लिया जाए. दुर्गा जत्था की एक अन्य सदस्य नीता ने कहा कि कई महिला प्रत्याशी भी इस मुद्दे से अन्जान थीं लेकिन अब लडकियों की दुर्दशा पर उनका ध्यान गया है और वे इसे खत्म करने की प्रतिज्ञा कर रही हैं. लेकिन 'भूमिका विहार' संगठन की शिल्पी ने बताया कि कई महिला उम्मीदवारों ने फार्म भरने से इसलिए इनकार कर दिया क्योंकि उन्हें समझ नहीं आया कि इसका असर क्या पडे़गा.
वह कहती हैं कि पुरुष उम्मीदवार इसे आदिवासियों की समस्या मानते हैं और बहुत मुश्किल से उन्हें सुनने के लिए कुछ समय देते हैं. कटिहार और सीमांचल के अन्य जिलों में लगातार सक्रिय 'भूमिका विहार' की कार्यकत्री शिल्पी ने बताया कि वह और उनके साथ काम करने वाली एक अन्य ने फर्जी शादियों की समस्या के खिलाफ लड़ने के लिए बड़ी संख्या में लड़कियों की काउंसलिंग की और अब लड़कियों ने अपने नेताओं को इस समस्या के खिलाफ कार्रवाई के लिए जवाबदेह बनाने का फैसला किया है. वर्षों से वे अपने आसपास इस तरह की घटनाओं को देखते-सुनते खुद को बेबस महसूस करती रही हैं. यह उनके लिए काफी तकलीफदायक रहा है.