बिहार की राजधानी पटना पर अब फिर मंडरा रहा है बाढ़ का खतरा, पुनपुन नदी पर बना रिंग बांध टूटा, बढ़ी मुसीबतें
By एस पी सिन्हा | Published: October 4, 2019 05:34 PM2019-10-04T17:34:21+5:302019-10-04T17:34:21+5:30
बिहारः पटना में बाढ़ का पानी रिंग बांध के ऊपर से बहकर पटना सुरक्षा बांध तक पहुंच गया है. इससे दर्जनों गांव जलमग्न हो गए हैं. जिन गांवों में पानी घुसा है, वहां के लोग बांध, नेशनल हाईवे और अन्य ऊंची जगहों पर रह रहे हैं. लोगों ने जान-माल की हिफाजत के लिए अन्य कई ऊंचे स्थानों पर शरण ले रखी है.
बिहार की राजधानी पटना में जल जी का जंजाल बन गया है. जलजमाव के आज सातवें दिन भी पटना के कई इलाकों में परेशानी बरकरार है. वहीं, भारी जल जमाव से जूझ रहे पटना के सामने फिर नई मुसीबत खड़ी होती दिख रही है. पुनपुन नदी पर बना रिंग बांध टूट गया है. नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ने का सिलसिला जारी है. दो रेलखंडों पर ट्रेनों का परिचालन ठप हो गया है.
इस बीच, कंकड़बाग के अधिकतर इलाकों से बारिश का पानी निकल गया है. लेकिन, राजेंद्र नगर का पूरा इलाका, कदमकुआं, पूर्वी-पश्चिमी लोहानीपुर, पाटलिपुत्र कॉलोनी और न्यू बाइपास के दक्षिणी इलाकों में अब भी तबाही बरकरार है. इन इलाकों में सात दिनों से जमा पानी काला हो गया है, जिसकी बदबू दूर-दूर तक फैलने लगी है.
पटना के अलावा बिहार के कई हिस्सों में आए जल प्रलय के कारण अब तक 73 लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं, पुनपुन नदी में जलस्तर बढ़ने लगा है. नदी किनारे बसे कई गांवों में बाढ़ का पानी घुस गया है. लगातार बढ़ रहे पानी से लोगों में दहशत व्याप्त है. पुनपुन-परसा बाजार तथा वेना-बिहारशरीफ रेलखंड में ट्रैक तक बाढ़ का पानी आ जाने से इन रेलखंडों पर रेल परिचालन अगले आदेश तक रोक दिया गया है.
दस ट्रेनों का परिचालन निरस्त कर दिया गया है. जबकि पांच ट्रेनों को बीच रास्ते में रोक दी गई हैं. कई ट्रेनों का रूट बदल दिया गया है. जो ट्रेनें रास्ते में थीं, उन्हें बीच स्टेशन से ही वापस लौटा दिया गया. अन्य ट्रेनें स्टेशन से खुली ही नहीं. बख्तियारपुर-राजगीर रेलखंड पर पंचाने नदी का पानी आ गया है. पंचाने नदी का पानी बेना और बिहारशरीफ स्टेशन के बीच बने पुल को छूने लगा है.
इमली बिगहा हॉल्ट के पास ट्रैक पर पानी आ जाने से संभावित खतरे को देखते हुए ट्रेनों के परिचालन पर रोक लगा दी गई है. परिचालन रोके जाने से यात्रियों को काफी परेशानी हो रही है. गुरुवार की शाम से परिचालन बंद है.
उधर, स्थिती की भयावहता को देखते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज पुनपुन बाढ़ से प्रभावित पटना, जहानाबाद और अरवल जिले के क्षेत्रों का एरियल सर्वेक्षण किया. इस दौरान बाढ़ की मौजूदा स्थिति का उन्होंने जायजा लिया और पदाधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए.
उनके साथ जल संसाधन मंत्री संजय झा और मुख्य सचिव दीपक कुमार भी थे. पटना जलजमाव से मुक्त हुआ नहीं और पुनपुन में आई बाढ़ ने पटनावासियों की मुसीबतें बढ़ा दी हैं. बताया जा रहा है कि पुनपुन का जलस्तर वर्ष 1976 के बाद इतना ऊपर गया है. तब जलस्तर 53.91 मीटर हो गया था, जो अब तक रिकॉर्ड है. वर्ष 1976 में पुनपुन से आई बाढ़ ने पटना में तबाही मचाई थी.
इस बार भी बाढ़ का पानी रिंग बांध के ऊपर से बहकर पटना सुरक्षा बांध तक पहुंच गया है. इससे दर्जनों गांव जलमग्न हो गए हैं. जिन गांवों में पानी घुसा है, वहां के लोग बांध, नेशनल हाईवे और अन्य ऊंची जगहों पर रह रहे हैं. लोगों ने जान-माल की हिफाजत के लिए अन्य कई ऊंचे स्थानों पर शरण ले रखी है.
हालांकि प्रशासन का कहना है कि सुरक्षा बांध पर कोई खतरा नहीं है. स्थिति को देखते हुए डीएम कुमार रवि और एसएसपी गरिमा मलिक ने रिंग बांध और पटना सुरक्षा बांध का जायजा लिया. जल संसाधन विभाग के इंजीनियर रिंग बांध पर कैंप कर रहे हैं. पालीगंज, धनरुआ, पुनपुन में नाव के साथ एनडीआरएफ की टीम तैनात कर दी गई है.
बिहार में इस समय प्राकृतिक आपदा की मार न केवल मनुष्य बल्कि इसकी मार जानवरों पर भी पड़ने लगी है. इसी क्रम में सूबे के कैमूर जिले के चैनपुर के मदुरना पंचायत के मदुर्नि गांव में आकाशीय बिजली गिरने से 40 गायों की मौत हो गई. घटना गुरुवार की शाम घटी।