जहां कर्नाटक में बीजेपी ने जोड़तोड़ की राजनीति के बाद प्रदेश की सत्ता पर कब्जा जमा लिया है, वहीं अब यह आशंका व्यक्त की जा रही है कि पिछली बार जिन तीन राज्यों- राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में बीजेपी हार गई थी, वहां भी कर्नाटक जैसा राजनीतिक दांव आजमाया जाएगा.
यह बात अलग है कि कर्नाटक का सियासी नाटक खत्म होने के तुरंत बाद राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने कहा था कि- यह घटनाक्रम लंबे समय से चल रहा है, पूरा देश देख रहा है किस प्रकार पीएम मोदी को भारी बहुमत मिला, लेकिन आम जनता को उम्मीद नहीं थी कि जीतने के बावजूद राजग सरकार इस प्रकार की हरकत करेगी. जो कुछ हो रहा है, यह जनता देख रही है और आने वाले वक्त में ये उन्हें ही भारी पड़ेगा. इनकी खुद की पार्टी में बगावत होगी, ये मैं कह सकता हूं. समय का इंतजार कीजिए. अंतिम विजय सत्य की होती है.
अब, छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने एक न्यूज चैनल से बातचीत में कहा कि लोकतंत्र में चुनी गई सरकार को सत्ता और पैसे के प्रभाव से गिराएंगे, तो लोकतंत्र के लिए घातक होगा. बीजेपी अनेक प्रदेशों में ऐसा कर रही है, जो ठीक नहीं है. आप चाहते हैं कि आपके अलावा कोई न रहे, तो यह तानाशाही प्रवृत्ति है.
हालांकि, उनका यह भी दावा है कि छत्तीसगढ़ में ऐसा हो पाने की कोई गुंजाइश नहीं है. कर्नाटक में तो कर लिया, लेकिन राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में नहीं कर पाएंगे.
उल्लेखनीय है कि सत्ता से बेदखल होने के बाद कांग्रेस नेतृत्व ने कर्नाटक के उन 14 पूर्व विधायकों को पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है, जिन्हें कर्नाटक के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष ने अयोग्य करार दिया था.
सीएम भूपेश बघेल भले ही तीनों राज्यों को जोड़ तोड़ की राजनीति से सुरक्षित करार दे रहे हैं, लेकिन तीनों राज्यों के मुख्यमंत्री अपने ही विधायकों पर नजर बनाएं रखे हैं और राजस्थान, मध्य प्रदेश में तो डिनर पॉलिटिक्स के जरिए इन्हें एकजुट रखने की कवायद भी जारी है.