भोपाल, 4 अप्रैल: अनुसूचित जाति/जन जाति को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में 2 अप्रैल को भारत बंद किया गया था। तब से लेकर 4 अप्रैल तक इसका असर देखने को मिल रहा है। मध्यप्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश सहित 14 राज्यों में इसका असर देखने को मिला। लेकिन इसका सबसे ज्यादा प्रभाव मध्यप्रदेश में देखने को मिला है। ताजा खबरों के मुताबिक मध्यप्रदेश में सात लोगों की मौत हुई है। वहीं, 200 से ज्यादा लोगों के घायल होने की खबर है। घायलों में 64 पुलिसकर्मी शामिल हैं।
कर्फ्यू अभी भी जारी
मध्यप्रदेश में हालात अभी भी बेकाबू है। हिंसा अभी तक जारी है। ग्वालियर, भिंड और मुरैना में अभी भी कर्फ्यू जारी है। हालांकि कर्फ्यू 4 अप्रैल को दिन में दो घंटे के लिए ढील कर दी जाएगी। ग्वालियर, भिंड और मोरैना के विभिन्न इलाकों में सुबह 10 से लेकर दोपहर 12 बजे तक कर्फ्यू में ढील की जाएगी। हालांकि बड़ी संख्या में उपद्रवियों को गिरफ्तार भी कर लिया गया है।
इंटरनेट सेवाएं अभी भी बैन
मोरैना, बालाघाट और सागर में इंटरनेट सेवाएं अभी भी बैन है। हालांकि ग्वालियर में इंटरनेट सेवा फिर से शुरू कर दी गई है। वहीं, एक अन्य जिलों में धारा-144 लागू है। मौरेना में पुलिस के ऊपर पत्थरबाजी के आरोप में 50 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है।
शांति के पुलिन ने किया फ्लैग मार्च
पुलिस ने राज्य में शांति बनाए रखने के लिए भोपाल समेत कुछ जिलों में फ्लैग मार्च भी किया है। हिंसा को मद्देनजर रखते हुए भिंड जिले के मेहगांव, गोहाद और मछंद इलाकों में हथियारों के लाइसेंस सस्पेंड कर दिया गया है।
हिंसा की वजह से दो ट्रेनें कैंसिल
खबरों के मुताबिक तनावग्रस्त इलाके में रेल सेवा पर भी खासा असर पड़ रहा है। भारतीय रेल के मुताबिक बुधवार को चलने वाली पटना-कोटा एक्सप्रेस और गुरुवार को चलने वाली कोटा-पटना एक्सप्रेस ट्रेनों को कैंसिल कर दिया गया है।
30 से ज्यादा लोगों पर मुकदमा दर्ज
भोपाल में आईजी कानून-व्यवस्था मकरंद देउस्कर के मुताबिक इस मामले में अभी तर 30 से ज्यादा मुकदमे दर्ज किए गए हैं। जिसमें राजा चौहान भी शामिल है। जिसकी सोशल मीडिया पर गोली चलाते हुए तस्वीर वायरल हो रही है।
इस कानून को लेकर हो रहा है विरोध
20 मार्च को सुप्रीम कोर्ट SC/ST एक्ट पर फैसला सुनाया था। जिसपर पुनर्विचार याचिका दायर करते हुए केंद्र सरकार ने तत्काल गिरफ्तारी पर रोक लगाने और अग्रिम जमानत को मंजूरी दिए जाने के फैसले पर दोबारा विचार करने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का तमाम दलित संगठन समेत कई राजनीतिक दलों ने इसकी आलोचना की थी। खुद बीजेपी के कई नेताओं ने इस फैसले पर पूर्नविचार की सिफारिश की थी।