नयी दिल्ली, एक अक्टूबर उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को दिल्ली मेट्रो रेल निगम (डीएमआरसी) को बताया कि उसने उसकी उस याचिका पर सुनवाई के लिए एक पीठ का गठन किया है जिसमें दावा किया गया है कि राष्ट्रीय राजधानी में कुछ परियोजनाओं पर चल रहे निर्माण कार्य पेड़ों की कटाई के लिए अनुमति नहीं मिलने के कारण रुके हुए हैं, जिससे उसे प्रतिदिन लगभग 3.5 करोड़ रुपये का भारी नुकसान हो रहा है।
प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण की अध्यक्षता वाली पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा, "मुझे लगता है, हमने इस पर सुनवाई के लिए एक पीठ का गठन किया है।"
मेहता ने कहा, “मजदूर बेकार बैठे हैं और निर्माण कार्य रुका हुआ है।’’ उन्होंने कहा कि डीएमआरसी को प्रति दिन 3.5 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है।
मेहता ने तब संतोष व्यक्त किया जब प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि पीठ इस मुद्दे से अवगत है और उसने पीठ का गठन किया है।
विधि अधिकारी ने सात सितंबर को तत्काल सुनवाई के लिए डीएमआरसी की याचिका का उल्लेख किया था।
मेहता ने कहा था कि परियोजना रुकी होने के कारण करीब 3,000 कर्मचारी खाली बैठे हैं और अनुमति के अभाव में कोई निर्माण कार्य नहीं होने से डीएमआरसी को प्रतिदिन 3.4 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ रहा है।
मेहता ने कहा था कि डीएमआरसी ने लंबित जनहित याचिका (पीआईएल)- शीर्षक ‘टी एन गोदावरम बनाम भारत संघ’ में अंतरिम आवेदन दायर किया है जो वन संरक्षण समेत अन्य मुद्दों से संबंधित है।
डीएमआरसी के चौथे चरण की विस्तार योजना के लिए राष्ट्रीय राजधानी में पेड़ों की कटाई जरूरी है।
डीएमआरसी ने जनकपुरी-आरके आश्रम, मौजपुर-मजलिस पार्क और एरोसिटी-तुगलकाबाद कॉरिडोर के विस्तार कार्य के लिए 10,000 से अधिक पेड़ों की पहचान की है और उन्हें काटने के लिए आवश्यक अनुमति नहीं मिली है।
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