बीटिंग रिट्रीट समारोह: आज होगा गणतंत्र दिवस समारोह का भव्य समापन
By स्वाति सिंह | Published: January 29, 2018 01:48 AM2018-01-29T01:48:15+5:302018-01-29T07:50:40+5:30
गणतंत्र दिवस का यह समारोह 26 जनवरी को समाप्त नहीं होता बल्कि 29 जनवरी को इस समारोह का समापन बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी के साथ होता है।
'द बीटिंग रिट्रीट' समारोह चार दिवसीय गणतंत्र दिवस समारोहों के अंत का प्रतीक है। गणतंत्र दिवस का यह समारोह 26 जनवरी को समाप्त नहीं होता बल्कि 29 जनवरी को इस समारोह का समापन बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी के साथ होता है। इसमें भारत की सैन्य शक्ति, समृद्ध विविधता और सांस्कृतिक विरासत को दिखाया जाता है। बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी में तीनों सेनाओं के बैंड और अर्धसैनिक बल बीएसएफ के जवानों की मौजूदगी में होता है। गणतंत्र दिवस समारोह के साथ यह समारोह भी देश के लिए काफी अहमियत रखता है। इस समारोह के साथ ही 26 जनवरी यानी गणतंत्र दिवस के समारोह का औपचारिक रूप से समापन होता है।
क्या है द बैटिंग रिट्रीट समारोह
29 जनवरी को होने वाले इस समारोह में दिल्ली के विजय चौक पर इंडियन आर्मी, इंडियन नेवी और इंडियन एयरफोर्स के बैंड्स की ओर से परफॉर्म किया जाता है। इस दौरान राष्ट्रपति भवन के नॉर्थ और साउथ ब्लॉक पर बैंड्स का प्रदर्शन होता है इसके बाद राजपथ की तरफ इसका अंत होगा। 'द बैटिंग रिट्रीट' समारोह के मुख्य अतिथि राष्ट्रपति होते हैं वे यहां प्रेसीडेंट्स बॉडीगार्ड्स के सुरक्षा घेरे में आते हैं। उनके आने के बाद प्रेसीडेंट्स बॉडीगार्ड्स के कमांडर की ओर से राष्ट्रपति को नेशनल सैल्यूट देते हैं। इसके साथ ही तिरंगा फहराया जाता और राष्ट्रीय गान होता है।
द बैटिंग रिट्रीट समारोह शुरूआत
कुछ देश की सेनाएं इस समारोह को परंपरा के रूप में निभाती हैं। इस समारोह को लोग नए बैंड मेंबर्स के लिए उनका कौशल साबित करने वाला टेस्ट भी मानते हैं वहीं कुछ लोगों का मानना है कि यह एक कठिन ड्रिल्स का अभ्यास है। बीटिंग रिट्रीट समारोह की शुरूआत की तब हुई जब इंग्लैंड के राजा जेम्स टू ने 18 जून 1690 में अपनी सेनाओं को उनके ट्रूप के वापस आने पर ड्रम बजाने का आर्डर दिया था। इसके बाद सन 1694 में विलियम थर्ड ने रेजीमेंट के कैप्टन को ट्रूप्स के वापस आने पर गलियों में ड्रम बजाकर स्वागत किया था। बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी का असली नाम 'वॉच सेटिंग' है, यह समारोह अक्सर सूरज डूबने के समय होता है।