ओबामा की किताब में मनमोहन सिंह की जमकर तारीफ, सोनिया गांधी ने क्यों बनाया था उन्हें पीएम, इस पर भी बड़ी टिप्पणी
By विनीत कुमार | Published: November 17, 2020 08:42 AM2020-11-17T08:42:33+5:302020-11-17T10:12:49+5:30
बराक ओबामा की किताब 'ए प्रोमिस्ड लैंड' बाजार में आ गई है। पिछले हफ्ते इस किताब की समीक्षा छपने के बाद काफी चर्चा हुई थी। इस किताब में ओबामा ने 2010 में भारत दौरे को लेकर अपने अनुभव साझा किए हैं।
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के लिखे संस्मरण के पिछले हफ्ते न्यूयॉर्क टाइम्स में छपी समीक्षा के बाद भारत में भी इस किताब की खूब चर्चा हुई थी। खासकर इसमें राहुल गांधी को लेकर की गई टिप्पणी पर कई तरह की बातें कही गई। अब ये किताब 'ए प्रोमिस्ड लैंड' बाजार में आ गई है। इस किताब के दो भाग हैं, जिनमें से पहला मंगलवार को दुनियाभर में जारी हुआ।
इसमें पूर्व भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ मुलाकात को लेकर ओबामा ने कई अहम बातों का जिक्र किया है। साथ ही उन्होंने सोनिया गांधी द्वारा मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री पद के लिए चुने जाने को लेकर भी बड़ी टिप्पणी की है।
बराक ओबामा ने बतौर राष्ट्रपति 2010 की अपनी भारत यात्रा को लेकर लिखते हैं कि तब प्रधानमंत्री रहे मनमोहन सिंह ने 26/11 के मुंबई हमलों के बाद पाकिस्तान के खिलाफ जवाबी कार्रवाई करने की मांग का विरोध किया, लेकिन उनका 'ये संयम राजनीतिक रूप से उन्हें महंगा पड़ा'। मनमोहन सिंह ने ये जिक्र भी बराक ओबामा के साथ मुलाकात में किया था कि मुस्लिमों के खिलाफ बन रही भावना ने बीजेपी को मजबूत किया है। ओबामा दिसंबर-2010 में भारत दौरे पर आए थे।
ओबामा इस किताब में मनमोहन सिंह के साथ हुई मुलाकात पर लिखते हैं, ''उन्हें (मनमोहन सिंह) डर था कि मुस्लिमों के खिलाफ बन रही भावना ने भारत की मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी के प्रभाव को मजबूती दी है। एक अनिश्चित समय में, मिस्टर प्रेसिडेंट'', प्रधानमंत्री ने कहा, ''धार्मिक और जातीय एकजुटता का आह्वान जहरीला हो सकता है। ऐसे में इसका राजनेताओं द्वारा दोहन करना भारत या किसी अन्य देश में इतना मुश्किल नहीं है।''
ओबामा ने लिखा है कि उन्हें मनमोहन सिंह बेहद 'बुद्धिमान, विचारशील, और ईमानदार' पाया। ओबामा लिखते हैं, 'सिंह और मैंने एक मधुर और प्रोडक्टिव रिलेशनशिप विकसित किया था। जबकि वे विदेश नीति में सतर्क हो सकते थे, जो भारतीय नौकरशाही से बहुत आगे निकलने के लिए शायद तैयार नहीं है और जो ऐतिहासिक रूप से अमेरिकी इरादों के लिए संदिग्ध हो सकता था, लेकिन हमारी मुलाकात ने पुष्टि की कि वे एक असामान्य बुद्धिमता से भरे और शालीन शख्स हैं। मैं यह नहीं बता सकता कि क्या सिंह के उदय ने भारत के लोकतंत्र के भविष्य का प्रतिनिधित्व किया था या केवल एक भ्रम था।'
सोनिया गांधी ने मनमोहन सिंह को क्यों बनाया पीएम?
सोनिया गांधी द्वारा मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री के पद के लिए चुने जाने पर भी ओबामा इस किताब में टिप्पणी करते हैं। ओबामा लिखते हैं, 'एक से अधिक राजनीतिक समीक्षकों का मानना था कि सोनिया गांधी ने मनमोहन सिंह को सोच-समझ कर चुना होगा क्योंकि एक बुजुर्ग सिख के रूप में जिनके पास कोई राष्ट्रीय राजनीतिक आधार नहीं था, वो उनके 40 वर्षीय बेटे राहुल को कोई खतरा नहीं था, जिसे वह कांग्रेस पार्टी को संभालने के लिए तैयार कर रही थीं।'
ओबामा साथ ही सोनिया गांधी की तारीफ करते हैं और लिखते हैं, '60 साल से ज्यादा की उम्र में और पारंपरिक साड़ी में, गहरी आंखों, शांत और शाही मौजूदगी के साथ वे एक ध्यान आकर्षित करने वाली महिला हैं।'
ओबमा लिखते हैं, 'उस रात के डिनर के दौरान, सोनिया गांधी ने बोलने से ज्यादा सबकुछ ध्यान से सुना। नीतियों से जुड़े मसले पर मनमोहन सिंह से अलग मत को लेकर कुछ बोलने पर वे सावधानी बरतती रहीं, अक्सर बातचीत को अपने बेटे राहुल गांधी की ओर मोड़ा। जहां तक राहुल गांधी की बात है तो वे स्मार्ट और उत्साही शख्स लग रहे थे। उनका गुड लुक उनकी मां से मेल खा रहा था।'
ओबामा राहुल के बारे में लिखते हैं, 'उन्होंने प्रगतिशील राजनीति के भविष्य के बारे में अपने विचार रखे, कभी-कभी मेरे 2008 के अभियान के बारे में बात की। हालांकि, उनमें एक नर्वस छवि जैसी थी, जैसे कि वह एक छात्र है, जिसने अपना कोर्स वर्क पूरा कर लिया है और शिक्षक को प्रभावित करने के लिए उत्सुक है, लेकिन अंदर कही उसे विषय में महारत हासिल नहीं है या फिर जुनून की कमी है।'