बिहार: मांझी के बयान पर घमासान, सद्बुद्धि के लिए 51 पंडितों के द्वारा किया जाएगा बगलामुखी मंत्र का जाप
By एस पी सिन्हा | Updated: December 26, 2021 16:58 IST2021-12-26T16:19:44+5:302021-12-26T16:58:48+5:30
पटना स्थित विजय राघव मंदिर के पुजारी संजय तिवारी 51 पंडितों के साथ बगलामुखी जाप करने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि कौन ब्राह्मण मांस-मछली खाएगा और कौन नहीं, यह तय करने का अधिकार मांझी जी को किसने दे दिया?

बिहार: मांझी के बयान पर घमासान, सद्बुद्धि के लिए 51 पंडितों के द्वारा किया जाएगा बगलामुखी मंत्र का जाप
पटना: बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी के द्वारा ब्राह्मण और पंडितों को लेकर दिये गये विवादित बयान का मामला अभी ठंडा पड़ता नही दिख रहा है। मांझी को भगवान के द्वारा सद्बुद्धि दिये जाने को लेकर 51 पंडितों के द्वारा बगलामुखी मंत्र का जाप किये जाने की तैयारी की गई है।
उधर, 27 दिसंबर को मांझी के आवास पर दोपहर 12 बजे होने वाले ब्राह्मण-दलित भोज के आयोजन को लेकर पटना में पोस्टर लगाया गया है। वहीं दूसरी ओर 27 दिसंबर को ही पटना के विजय राघव मंदिर में शाम 6 बजे 51 पंडितों द्वारा बगलामुखी जाप किया जाएगा। मंदिर के पंडितों का कहना है कि जीतन राम मांझी को भगवान सद्बुद्धि दें। इसे लेकर यह जाप किया जा रहा है।
पटना स्थित विजय राघव मंदिर के पुजारी संजय तिवारी 51 पंडितों के साथ बगलामुखी जाप करने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि कौन ब्राह्मण मांस-मछली खाएगा और कौन नहीं, यह तय करने का अधिकार मांझी जी को किसने दे दिया? संजय तिवारी कहते हैं कि हमलोग तो प्याज और लहसुन भी खाने वाले नहीं हैं। बात यदि उनके भोज में जाने की है तो जो कुकुर(कुता) होगा, वही न मांझी जी के यहां जाएंगा। यह काफी पहले से ही चला आ रहा है कि जो चूहा खाता है, उसके यहां ब्राह्मण खाना खाने नही जाएंगे। यह परंपरा तो शुरू से ही है, वही रहेगी भी।
यहां उल्लेखनीय है कि मांझी के आवास पर 27 दिसंबर को भोज का आयोजन किया गया है। एक कार्यक्रम में ब्राह्मणों के बारे में आपत्तिजनक बयान देने के बाद उन्होंने गुरुवार को इस भोज के आयोजन की जानकारी दी थी। अब सोमवार को होने वाले कार्यक्रम का नाम बदलकर ब्राह्मण- दलित एकता भोज रख दिया गया है। हालांकि इससे पहले ब्राह्मण-पंडित भोज का नाम इसे दिया गया था।
हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा की ओर से इस भोज में शामिल होने के लिए ब्राह्मणों और पंडितों को सशर्त न्योता दिया गया था। जीतन राम मांझी की ओर से कहा गया था कि भोज में वैसे ही ब्राह्मण और पंडित शामिल हो सकते हैं। जिन्होंने मांस और मदिरा का कभी सेवन ना किया हो। साथ ही कभी चोरी डकैती ना की हो।