बाबरी विध्वंस मामला: लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी समेत सभी 32 आरोपी बरी, कोर्ट ने कहा-घटना पूर्व नियोजित नहीं
By स्वाति सिंह | Published: September 30, 2020 12:26 PM2020-09-30T12:26:25+5:302020-09-30T13:16:09+5:30
विशेष सीबीआई अदालत के न्यायाधीश एस के यादव ने 16 सितंबर को इस मामले के सभी 32 आरोपियों को फैसले के दिन अदालत में मौजूद रहने को कहा था। आरोपियों में वरिष्ठ भाजपा नेता एवं पूर्व उप प्रधानमंत्री आडवाणी, पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी शामिल हैं।
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सीबीआई ने पेश किए थे 351 गवाह और करीब 600 दस्तावेजी सुबूत
नई दिल्ली: 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में हुए बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने बुधवार को अपना फैसला सुनाया। अदालत ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया है।
विशेष अदालत ने फैसला सुनाते हुए पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी, यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, एमपी की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती, बीजेपी के सीनियर नेता विनय कटियार समेत कुल 32 आरोपियों को बरी कर दिया है।
Special CBI Court observed that the 1992 Babri Masjid demolition was not pre-planned. https://t.co/dwpyHkDM6X
— ANI (@ANI) September 30, 2020
16 सितंबर को सुरक्षित रखा था फैसला
बता दें कि विशेष सीबीआई अदालत के न्यायाधीश एस के यादव ने 16 सितंबर को इस मामले के सभी 32 आरोपियों को फैसले के दिन अदालत में मौजूद रहने को कहा था। आरोपियों में वरिष्ठ भाजपा नेता एवं पूर्व उप प्रधानमंत्री आडवाणी, पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती, उप्र के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के अलावा विनय कटियार और साध्वी रितंभरा शामिल हैं। उमा भारती और कल्याण सिंह कोरोना संक्रमण की चपेट में आकर दो अलग अलग अस्पतालों में भर्ती हैं।
कल्याण सिंह जब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे, तब ही मस्जिद गिरायी थी। सिंह पिछले साल सितंबर में इस मामले की सुनवाई में शामिल हुये थे। राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय भी इस मामले के आरोपियों में से एक हैं। उच्चतम न्यायालय ने सीबीआई अदालत को मामले का निपटारा 31 अगस्त तक करने के निर्देश दिए थे लेकिन गत 22 अगस्त को यह अवधि एक महीने के लिए और बढ़ा कर 30 सितंबर कर दी गई थी। सीबीआई की विशेष अदालत ने इस मामले की रोजाना सुनवाई की थी ।
सीबीआई ने पेश किए थे 351 गवाह और करीब 600 दस्तावेजी सुबूत
केंद्रीय एजेंसी सीबीआई ने इस मामले में 351 गवाह और करीब 600 दस्तावेजी सुबूत अदालत में पेश किए। इस मामले में कुल 48 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था जिनमें से 17 की मामले की सुनवाई के दौरान मृत्यु हो चुकी है। इस मामले में अदालत में पेश हुए सभी अभियुक्तों ने अपने ऊपर लगे तमाम आरोपों को गलत और बेबुनियाद बताते हुए केंद्र की तत्कालीन कांग्रेस सरकार पर दुर्भावना से मुकदमे दर्ज कराने का आरोप लगाया था। पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने गत 24 जुलाई को सीबीआई अदालत में दर्ज कराए गए बयान में तमाम आरोपों से इनकार करते हुए कहा था कि वह पूरी तरह से निर्दोष निर्दोष हैं और उन्हें राजनीतिक कारणों से इस मामले में घसीटा गया है।
इससे एक दिन पहले अदालत में अपना बयान दर्ज कराने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी ने भी लगभग ऐसा ही बयान देते हुए खुद को निर्दोष बताया था। कल्याण सिंह ने गत 13 जुलाई को सीबीआई अदालत में बयान दर्ज कराते हुए कहा था कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने सियासी बदले की भावना से प्रेरित होकर उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है। उन्होंने दावा किया था कि उनकी सरकार ने अयोध्या में मस्जिद की त्रिस्तरीय सुरक्षा सुनिश्चित की थी। इस मामले में लालकुष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, उमा भारती, विनय कटियार, साघ्वी ऋतंभरा, महंत नृत्य गोपाल दास, डा. राम विलास वेदांती, चंपत राय, महंत धर्मदास, सतीश प्रधान, पवन कुमार पांडेय, लल्लू सिंह, प्रकाश शर्मा, विजय बहादुर सिंह, संतोष दूबे, गांधी यादव, रामजी गुप्ता, ब्रज भूषण शरण सिंह, कमलेश त्रिपाठी, रामचंद्र खत्री, जय भगवान गोयल, ओम प्रकाश पांडेय, अमर नाथ गोयल, जयभान सिंह पवैया, महाराज स्वामी साक्षी, विनय कुमार राय, नवीन भाई शुक्ला, आरएन श्रीवास्तव, आचार्य धमेंद्र देव, सुधीर कुमार कक्कड़ व धर्मेंद्र सिंह गुर्जर आरोपी हैं।