अयोध्या में प्रमुख स्थान पर मस्जिद निर्माण के लिए 5 एकड़ जमीन तलाशना योगी सरकार के लिए है टेढ़ी खीर

By रामदीप मिश्रा | Published: November 10, 2019 02:15 PM2019-11-10T14:15:42+5:302019-11-10T14:17:22+5:30

Ayodhya Verdict: योगी सरकार के सामने 14 कोसी परिक्रमा को लेकर भी सवाल खड़ा है। बीजेपी चाहती है कि दोनों समुदायों के बीच किसी भी तरह का कोई विवाद न हो इसलिए 14 कोसी परिक्रमा के बाहर ही मस्जिद बनाई जानी चाहिए।

Ayodhya Verdict: yogi adityanath has big task for land acquisition at prime location in ayodhya | अयोध्या में प्रमुख स्थान पर मस्जिद निर्माण के लिए 5 एकड़ जमीन तलाशना योगी सरकार के लिए है टेढ़ी खीर

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Highlightsअयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद उत्तर प्रदेश के योगी आदित्यनाथ सरकार के लिए एक बड़ी समस्या खड़ी हो सकती है।, कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि केन्द्र सरकार सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद के निर्माण के लिए पांच एकड़ जमीन प्रमुख स्थान पर आवंटित करे।

अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद उत्तर प्रदेश के योगी आदित्यनाथ सरकार के लिए एक बड़ी समस्या खड़ी हो सकती है। दरअसल, कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि केन्द्र सरकार सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद के निर्माण के लिए पांच एकड़ जमीन प्रमुख स्थान पर आवंटित करे। इसी को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार के पास बड़ी चुनौती है।

समाचार वेबसाइट नवभारत टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, योगी आदित्यनाथ सरकार को अयोध्य में प्रमुख स्थान पर पांच एक जमीन देना मुश्किल हो सकता है क्योंकि शहर में घनी बसी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सरयू के इस पार जमीन का आवंटन संभवत: नहीं हो सकेगा या तो केंद्र सरकार अपनी 67 एकड़ अधिगृहीत जमीन में से 5 एकड़ देगी।

कहा गया है कि योगी सरकार के सामने 14 कोसी परिक्रमा को लेकर भी सवाल खड़ा है। बीजेपी चाहती है कि दोनों समुदायों के बीच किसी भी तरह का कोई विवाद न हो इसलिए 14 कोसी परिक्रमा के बाहर ही मस्जिद बनाई जानी चाहिए। सरकार सुन्नी वक्फ बोर्ड को फैजाबाद हाईवे पर जमीन आवंटित कर सकती है। बता दें यूपी सरकार ने फैजाबाद जिले का नाम बदलकर अयोध्या कर दिया था। अब जिले में कहीं भी प्रमुख जगह जमीन आवंटित की जा सकती है।    

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार (09 नवंबर) को अयोध्या विवाद पर अपना फैसला सुनाया। कोर्ट ने रामलला के पक्ष में फैसला सुनाते हुए  राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ कर दिया। इसके अलावा कोर्ट ने केन्द्र सरकार को आदेश दिया कि वह सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद के निर्माण के लिए पांच एकड़ जमीन उपयुक्त जगह पर आवंटित करे। 

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने भारतीय इतिहास की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण इस व्यवस्था के साथ ही करीब 130 साल से चले आ रहे इस संवेदनशील विवाद का पटाक्षेप कर दिया। सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर शामिल थे। पीठ ने कहा कि 2.77 एकड़ की विवादित भूमि का अधिकार राम लला की मूर्ति को सौंप दिया जाए, हालांकि इसका कब्जा केन्द्र सरकार के रिसीवर के पास ही रहेगा। 

संविधान पीठ ने 2.77 एकड़ विवादित भूमि तीन पक्षकारों- सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला विराजमान- के बीच बराबर बराबर बांटने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सितंबर, 2010 के फैसले के खिलाफ दायर 14 अपीलों पर 16 अक्टूबर को सुनवाई पूरी की थी। इसके बाद कोर्ट ने नौ नवंबर को अपना ऐतिहासि फैसला सुनाया। 

Web Title: Ayodhya Verdict: yogi adityanath has big task for land acquisition at prime location in ayodhya

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