Ayodhya Verdict: RSS प्रमुख मोहन भागवत ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का किया स्वागत, कहा- जीत या हार के रूप में नहीं देखना चाहिए

By रामदीप मिश्रा | Published: November 9, 2019 01:11 PM2019-11-09T13:11:49+5:302019-11-09T13:26:53+5:30

Ayodhya Verdict: प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने भारतीय इतिहास की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण इस व्यवस्था के साथ ही करीब 130 साल से चले आ रहे इस संवेदनशील विवाद का पटाक्षेप कर दिया।

ayodhya verdict: We welcome this decision of Supreme Court says Mohan Bhagwat | Ayodhya Verdict: RSS प्रमुख मोहन भागवत ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का किया स्वागत, कहा- जीत या हार के रूप में नहीं देखना चाहिए

File Photo

Highlightsसुप्रीम कोर्ट द्वारा शनिवार (09 नवंबर) को अयोध्या मामले पर फैसला सुनाए जाने के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि हम सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत करते हैं।उन्होंने कहा कि यह मामला दशकों से चल रहा था और यह सही निष्कर्ष पर पहुंच गया।

सुप्रीम कोर्ट द्वारा शनिवार (09 नवंबर) को अयोध्या मामले पर फैसला सुनाए जाने के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि हम सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत करते हैं। यह मामला दशकों से चल रहा था और यह सही निष्कर्ष पर पहुंच गया। इसे जीत या हानि के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। हम समाज में शांति और सद्भाव बनाए रखने के लिए सभी के प्रयासों का भी स्वागत करते हैं।  


बता दें कि शीर्ष अदालत ने फैसला सुनाते हुए राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ कर दिया है। अपना फैसला सुनाते समय कोर्ट ने कहा कि केन्द्र सरकार सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद के निर्माण के लिए पांच एकड़ जमीन वैकल्पित रूप से आवंटित करे।

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने भारतीय इतिहास की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण इस व्यवस्था के साथ ही करीब 130 साल से चले आ रहे इस संवेदनशील विवाद का पटाक्षेप कर दिया। इस विवाद ने देश के सामाजिक ताने बाने को तार तार कर दिया था। 

सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर शामिल थे। पीठ ने कहा कि 2.77 एकड़ की विवादित भूमि का अधिकार राम लला की मूर्ति को सौंप दिया जाये, हालांकि इसका कब्जा केन्द्र सरकार के रिसीवर के पास ही रहेगा। 

संविधान पीठ ने 2.77 एकड़ विवादित भूमि तीन पक्षकारों- सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला विराजमान- के बीच बराबर बराबर बांटने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सितंबर, 2010 के फैसले के खिलाफ दायर 14 अपीलों पर 16 अक्टूबर को सुनवाई पूरी की थी। 

Web Title: ayodhya verdict: We welcome this decision of Supreme Court says Mohan Bhagwat

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