Ayodhya Verdict: अब ट्रस्ट बनाने को लेकर अयोध्या में 'जुबानी जंग', सभी की अपनी-अपनी दलील

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: November 12, 2019 09:14 IST2019-11-12T09:14:02+5:302019-11-12T09:14:02+5:30

सुप्रीम कोर्ट के संविधान पीठ ने सर्वसम्मति (5-0) से शनिवार को इस बेहद पुराने विवाद में फैसला सुनाया। कोर्ट ने अपने फैसले में निर्मोही अखाड़े के पक्ष को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि वे कभी से राम लल्ला के शेबैती (उपासक/सेवादार) नहीं रहे हैं।

Ayodhya Verdict: war of words on Trust formation after supreme court judgement on Ram Janmabhoomi Babri Masjid site | Ayodhya Verdict: अब ट्रस्ट बनाने को लेकर अयोध्या में 'जुबानी जंग', सभी की अपनी-अपनी दलील

अयोध्या में राम मंदिर के लिए ट्रस्ट बनाने पर भी 'विवाद' (फाइल फोटो)

Highlightsसुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर के लिए केंद्र सरकार को एक ट्रस्ट बनाने का निर्देश दिया हैट्रस्ट बनाने को लेकर अयोध्या में ही राम जन्मभूमि न्यास और दूसरे अखाड़ों में मतभेद सामने आने लगे हैं

राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट की ओर से फैसले के बाद अब सभी की नजरें राम मंदिर के लिए बनने वाले ट्रस्ट पर हैं। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया है कि केंद्र सरकार एक ट्रस्ट बनाये जिसे विवादित जमीन ट्रांसफर की जाए। ये ट्रस्ट ही मंदिर निर्माण का कार्य आगे बढ़ाएगी। हालांकि, अब ये ट्रस्ट कैसा होगा और इसमें कौन शामिल होंगे, इस लेकर मंथन शुरू हो गया है।

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार 1990 में अयोध्या मंदिर आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाने वाले और राम जन्मभूमि न्यास के प्रमुख महंत नृत्य गोपाल दास ने कहा है कि नया ट्रस्ट बनाने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि न्यास एक ट्रस्ट ही है जिसे राम मंदिर के लिए बनाया गया था। महंत गोपाल दास के अनुसार निर्मोही अखाड़ा जैसे दूसरे भी इस कार्य को पूरा करने के लिए न्यास से जुड़ सकते हैं।

न्यास प्रमुख महंत नृत्य गोपाल दास ने नया ट्रस्ट बनाये जाने पर सवाल उठाते हुए कहा, 'किस लिए बनेगा, कौन बनायेगा और कौन इसमें रहेगा? क्या जरूरी है?'

हालांकि, निर्मोही अखाड़ा के महंत दिनेंद्र दास इस पर सहमत नहीं है। अखबार के अनुसार उन्होंने कहा, 'हम उनके खिलाफ (राम जन्मभूमि न्यास) लड़ रहे हैं। कोई ये कैसे उम्मीद कर सकता है कि हम उनके ट्रस्ट के सदस्य हो जाएंगे? वे चाहें तो अपने ट्रस्ट को सरेंडर कर हमारे ट्रस्ट का हिस्सा बन सकते हैं। हम निर्मोही हैं और उनका हिस्सा नहीं बन सकते। हल खोजने और सबको साथ लाने का काम सरकार का है।'

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के संविधान पीठ ने सर्वसम्मति (5-0) से शनिवार को इस बेहद पुराने विवाद में फैसला सुनाया है। कोर्ट ने अपने फैसले में निर्मोही अखाड़े के पक्ष को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि वे कभी से राम लल्ला के शेबैती (उपासक/सेवादार) नहीं रहे हैं। हालांकि, उसके इस जमीन पर 'ऐतिहासिक मौजूदगी' को गौर करते हुए केंद्र को निर्देश दिये कि जो ट्रस्ट बनाया जाना है उसमें निर्मोही अखाड़े को भी अहम भूमिका मिले।

अयोध्या के प्रभावशाली अखाड़ों में से एक दिगंबर अखाड़ा ने कहा है कि उनके प्रमुख महांत सुरेश दास बुधवार को यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलेंगे और इन मुद्दों पर चर्चा करेंगे। दिगंबर अखाड़ा का मानना है कि कोई भी पहले से चले आ रहे ट्रस्ट को राम मंदिर की जिम्मेदारी नहीं मिलनी चाहिए। दिगंबर अखाड़ा का पूर्व में नेतृत्व परमहंस रामचंद्र दास के पास था जो न्यास के भी प्रेसिडेंट रह चुके हैं। परमहंस रामचंद्र दास का निधन 2003 में हो गया था।

महंत सुरेश दास ने कहा, 'अब सीएम से चर्चा करके बताएंगे। ये अच्छा फैसला है। एक नया ट्रस्ट बनाना जरूरी है, जैसा कि सोमनाथ मंदिर ट्रस्ट है। ऐसा इसलिए क्योंकि मंदिर बनाना सरकार का काम नहीं है।'

Web Title: Ayodhya Verdict: war of words on Trust formation after supreme court judgement on Ram Janmabhoomi Babri Masjid site

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