राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है। अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला सर्वसम्मति यानी 5-0 से आया है। सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में 2.77 एकड़ की पूरी विवादित जमीन राम लला को दी है। 5 सदस्यीय संविधान पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा है कि केंद्र सरकार एक ट्रस्ट बनाएगी जो मंदिर का निर्माण कराएगी। यह जमीन अभी केंद्र सरकार के पास रहेगी और बाद में ट्रस्ट को दी जाएगी। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को सुन्नी वक्फ बोर्ड को 5 एकड़ की वैकल्पिक जमीन उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है।
आइए जानते हैं फैसले पर विभिन्न पक्षकारों और तमाम नेताओं ने क्या प्रतिक्रिया दी है...
यह फैसला न्यायिक प्रक्रियाओं में जन सामान्य के विश्वास को और मजबूत करेगा: पीएम मोदी
पीएम मोदी ने ट्वीट कर कहा, यह फैसला न्यायिक प्रक्रियाओं में जन सामान्य के विश्वास को और मजबूत करेगा। हमारे देश की हजारों साल पुरानी भाईचारे की भावना के अनुरूप हम 130 करोड़ भारतीयों को शांति और संयम का परिचय देना है। भारत के शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व की अंतर्निहित भावना का परिचय देना है।
दावा खारिज होने का अफसोस नहीं : निर्मोही अखाड़ा
निर्मोही अखाड़े ने कहा है कि अयोध्या में विवादित जमीन पर मालिकाना हक का अपना दावा खारिज होने का उसे कोई अफसोस नहीं है। निर्मोही अखाड़े के वरिष्ठ पंच महंत धर्मदास ने 'भाषा' से बातचीत में कहा कि विवादित स्थल पर अखाड़े का दावा खारिज होने का कोई अफसोस नहीं है, क्योंकि वह भी रामलला का ही पक्ष ले रहा था। उन्होंने कहा कि न्यायालय ने रामलला के पक्ष को मजबूत माना है। इससे निर्मोही अखाड़े का मकसद पूरा हुआ है।
बता दें कि उच्चतम न्यायालय ने शनिवार को राजनीतिक दृष्टि से संवेदनशील राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद में यह कहते हुए निर्मोही अखाड़े का दावा खारिज किया कि निर्मोही अखाड़ा राम लला की मूर्ति का उपासक या अनुयायी नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं: पक्षकार इकबाल अंसारी
बाबरी मस्जिद रामजन्मभूमि विवाद के एक पक्षकार इकबाल अंसारी ने मीडिया से बात करते हुए कहा है कि हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं। यह राज्य सरकार के ऊपर है कि वह हमें कहां जमीन देती है। यह हिन्दुस्तान के लिए बहुत बड़ा मसला था जिसका निपटारा होना जरूरी था, मैं फैसले से खुश हूं।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला सामाजिक ताने बाने को और मजबूत करेगा: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला सामाजिक ताने बाने को और मजबूत करेगा। मैं लोगों से शांति और सौहार्द बनाए रखने की अपील करता हूं।
बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला देशवासियों के हित में है।
कोर्ट के फैसले से संतुष्ट नहीं है: मुस्लिम लॉ बोर्ड के वकील जफरयाब जिलानी
मुस्लिम लॉ बोर्ड के वकील जफरयाब जिलानी ने कहा है कि हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं लेकिन हम कोर्ट के फैसले से संतुष्ट नहीं है। हम वकील राजीव धवन से बात करके आगे का फैसला करेंगे और चुनौती के बारे में सोचेंगे। अगर सहमति बनी तो हम पूर्ण विचार याचिका दायर करेंगे।
दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल ने अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है।
कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा है कि हम फैसले का सम्मान करते हैं और राम मंदिर बनने के पक्ष में हैं।
शिवसेना के नेता संजय राउत ने कहा- पहले मंदिर फिर सरकार
अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत है: शिवराज सिंह चौहान
मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं भाजपा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवराज सिंह चौहान ने अयोध्या मामले में शनिवार को उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि सभी को फैसले का सम्मान करना चाहिए। चौहान ने फैसले के बाद ट्वीट किया, ‘‘माननीय उच्चतम न्यायालय के फैसले का हम सभी सम्मान करें, आदर करें और स्वागत करें। किसी की हार नहीं हुई है। हमारे देश ने सदैव दुनिया को शांति का संदेश दिया है। मैं देश और प्रदेशवासियों से अपील करता हूँ कि आपस में एकता, प्रेम, सद्भाव और भाईचारा बनाए रखें।’’ इस बीच, लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने भी इस फैसले का स्वागत किया।
ऐतिहासिक फैसला, सब स्वागत करें: गहलोत
अयोध्या मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले को ऐतिहासिक बताते हुए राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शनिवार को यहां कहा कि सभी को इसका स्वागत करना चाहिए। गहलोत ने अपने निवास पर संवाददाताओं से कहा कि आज के दिन जो फैसला आया है, सभी को उसका स्वागत करना चाहिए।
खुशी है कि जीतेजी राममंदिर देख सकूंगा : एक कारसेवक
वर्ष 1992 में अयोध्या में कारसेवा में शामिल होने वाले 66 वर्षीय पुरोहित ने अयोध्या मामले पर सर्वोच्च न्यायालय के फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि उन्हें खुशी है कि अब वह इस जीवन में ही भव्य राम मंदिर देख सकेंगे। पुरोहित ने 1992 में राम जन्मभूमि आंदोलन के चरम पर होने पर वहां कारसेवा में हिस्सा लिया था।