अयोध्या मामले में मध्यस्थता प्रक्रिया के बाद सुप्रीम कोर्ट में आज पहली बार सुनवाई

By भाषा | Published: May 10, 2019 09:14 AM2019-05-10T09:14:56+5:302019-05-10T09:17:53+5:30

सुप्रीम कोर्ट ने मामले के सर्वमान्य समाधान की संभावना तलाशने के लिये इसे आठ मार्च को मध्यस्थता के लिये संदर्भित किया था।

ayodhya land dispute supreme court to hear case after mediation panel submits report | अयोध्या मामले में मध्यस्थता प्रक्रिया के बाद सुप्रीम कोर्ट में आज पहली बार सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)

Highlightsमध्यस्थता प्रकिया के बाद पहली बार सुप्रीम कोर्ट अयोध्या मामले पर करेगा सुनवाईपूर्व न्यायाधीश एफ एम कलीफुल्ला की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति सौंप चुकी है अपनी रिपोर्टपांच जजों की संविधान पीठ इस रिपोर्ट को देखने के बाद दे सकती है कोई निर्देश

राजनीतिक रूप से संवेदनशील अयोध्या के राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद के सर्वमान्य हल के लिये सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित तीन सदस्यीय मध्यस्थता समिति ने सीलबंद लिफाफे में अंतरिम रिपोर्ट सौंप दी है। मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों ने कहा सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री को छह मई को रिपोर्ट सौंप दी गई थी और इस मामले को सुनवाई के लिये शुक्रवार को सूचीबद्ध किया गया है। 

सुप्रीम कोर्ट ने मामले के सर्वमान्य समाधान की संभावना तलाशने के लिये इसे आठ मार्च को मध्यस्थता के लिये संदर्भित किया था। इस विवाद के सर्वमान्य समाधान की संभावना तलाशने के लिये शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश एफ एम कलीफुल्ला की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय मध्यस्थता समिति के गठन के आदेश के बाद पहली बार इस मामले की सुनवाई शुक्रवार को होगी। 

इस समिति के अन्य सदस्यों में आध्यत्मिक गुरू और आर्ट आफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर और वरिष्ठ अधिवक्ता श्रीराम पंचू शामिल थे। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की पांच सदस्यीय संविधान पीठ अब इस रिपोर्ट को देखेगी और आगे की कार्रवाई पर फैसला करेगी। 

शीर्ष अदालत ने मध्यस्थता के लिये गठित इस समिति को बंद कमरे में अपनी कार्यवाही करने और इसे आठ सप्ताह में पूरा करने का निर्देश दिया था। संविधान पीठ ने कहा था कि उसे विवाद के संभावित समाधान के लिये मध्यस्थता के संदर्भ में कोई ‘‘कानूनी अड़चन’’ नजर नहीं आती। 

पूर्व में पीठ को निर्मोही अखाड़े को छोड़कर, हिंदू संगठनों और उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा बताया गया कि वे अदालत के मध्यस्थता के सुझाव का विरोध करते हैं। मुस्लिम संगठनों ने प्रस्ताव का समर्थन किया था। मध्यस्थता के सुझाव का विरोध करते हुए हिंदू संगठनों ने दलील दी कि पूर्व में समझौते के प्रयास विफल हो चुके हैं और दीवानी प्रक्रिया संहिता (सीपीसी) के प्रावधानों के लिये प्रक्रिया की शुरुआत से पहले सार्वजनिक नोटिस जारी करने की जरूरत है। 

सर्वोच्च अदालत ने निर्देश दिया था कि मध्यस्थता की कार्यवाही ‘‘बेहद गोपनीयता’’ के साथ होनी चाहिए जिससे उसकी सफलता सुनिश्चित हो सके और मध्यस्थों समेत किसी भी पक्ष द्वारा व्यक्त किये गए मत गोपनीय रखे जाने चाहिए और किसी दूसरे व्यक्ति के सामने इनका खुलासा नहीं किया जाना चाहिए। 

न्यायालय ने हालांकि इस चरण में किसी तरह की रोक लगाने का आदेश देने से परहेज किया और इसके बजाए मध्यस्थों को यह अधिकार दिया कि अगर जरूरत हो तो वे लिखित में अनिवार्य आदेश जारी करें, जिससे मध्यस्थता कार्यवाही के विवरण का प्रकाशन रोका जा सके। 

Web Title: ayodhya land dispute supreme court to hear case after mediation panel submits report

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