Atal Tunnel: दस साल की मेहनत के बाद तैयार, करीब 160 साल पुराना, 1458 करोड़ की लागत

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: September 10, 2020 07:16 PM2020-09-10T19:16:46+5:302020-09-10T19:17:13+5:30

10 हजार फीट पर स्थित इस टनल का नाम है, अटल टनल। इसे बनाने में करीबन 10 साल लगे है। देश के इंजीनियरों और मजदूरों की दस साल की कड़ी मेहनत के बाद तैयार रोहतांग अटल सुरंग अगले सप्ताह उद्घाटन के लिए तैयार है।

Atal Tunnel Ready after ten years of hard work about 160 years old costing Rs 1458 crore | Atal Tunnel: दस साल की मेहनत के बाद तैयार, करीब 160 साल पुराना, 1458 करोड़ की लागत

वर्ष 2002 में रोहतांग दर्रे पर सुरंग बनाने की परियोजना की घोषणा की।

Highlightsवेबसाइट के मुताबिक रोहतांग दर्रे पर सुरंग बनाने का पहला विचार 1860 में मोरावियन मिशन ने रखा था।1,458 करोड़ रुपये की लगात से बनी दुनिया की यह सबसे लंबी सुरंग लद्दाख के हिस्से को साल भर संपर्क सुविधा प्रदान करेगी। इस परियोजना को मूर्त रूप प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में मिला।

शिमलाः दुनिया की सबसे लंबी रोड टनल भारत में बनकर तैयार हो गई है। 10 हजार फीट पर स्थित इस टनल का नाम है, अटल टनल। इसे बनाने में करीबन 10 साल लगे है। देश के इंजीनियरों और मजदूरों की दस साल की कड़ी मेहनत के बाद तैयार रोहतांग अटल सुरंग अगले सप्ताह उद्घाटन के लिए तैयार है।

सुरंग का डिजाइन तैयार करने वाली ऑस्ट्रेलियाई कंपनी स्नोई माउंटेन इंजीनियरिंग कंपनी (एसएमईसी) के वेबसाइट के मुताबिक रोहतांग दर्रे पर सुरंग बनाने का पहला विचार 1860 में मोरावियन मिशन ने रखा था। समुद्र तल से 3,000 मीटर की ऊंचाई पर 1,458 करोड़ रुपये की लगात से बनी दुनिया की यह सबसे लंबी सुरंग लद्दाख के हिस्से को साल भर संपर्क सुविधा प्रदान करेगी।

नेहरू के कार्यकाल में भी रोहतांग दर्रे पर ‘रोप वे’ बनाने का प्रस्ताव आया था

हालांकि, देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के कार्यकाल में भी रोहतांग दर्रे पर ‘रोप वे’ बनाने का प्रस्ताव आया था। बाद में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सरकार में मनाली और लेह के बीच सालभर कनेक्टिविटी देने वाली सड़क के निर्माण की परियोजना बनी। लेकिन इस परियोजना को मूर्त रूप प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में मिला।

उन्होंने वर्ष 2002 में रोहतांग दर्रे पर सुरंग बनाने की परियोजना की घोषणा की। बाद में वर्ष 2019 में वाजपेयी के नाम पर ही इस सुरंग का नाम ‘अटल सुरंग’ रखा गया। सीमा सड़क संगठन ने वर्ष 2009 में शापूरजी पोलोनजी समूह की कंपनी एफकॉन्स और ऑस्ट्रिया की कंपनी स्टारबैग के संयुक्त उपक्रम को इसके निर्माण का ठेका दिया और इसके निमार्ण कार्य में एक दशक से अधिक वक्त लगा।

पूर्वी पीर पंजाल की पर्वत श्रृंखला में बनी यह 9.02 किलोमीटर लंबी सुरंग लेह- मनाली राजमार्ग पर है। यह करीब 10.5 मीटर चौड़ी और 5.52 मीटर ऊंची है। सुरंग के भीतर किसी कार की अधिकतम रफ्तार 80 किलोमीटर प्रतिघंटा हो सकती है। यह सुरंग मनाली को लाहौल और स्पीति घाटी से जोड़ेगी। इससे मनाली-रोहतांग दर्रा-सरचू-लेह राजमार्ग पर 46 किलोमीटर की दूरी घटेगी और यात्रा समय भी चार से पांच घंटा कम हो जाएगा। यह सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण लद्दाख क्षेत्र में सैन्य आवाजाही के लिए सालभर उपयोग करने लायक रास्ता उपलब्ध कराएगा।

समुद्र तल से 10,000 फुट या 3,000 मीटर की ऊंचाई पर बनी दुनिया की सबसे लंबी सुरंग है। साथ ही यह देश की पहली ऐसी सुरंग होगी जिसमें मुख्य सुरंग के भीतर ही बचाव सुरंग बनायी गयी है। सामान्यत: दुनियाभर में बचाव सुरंग को मुख्य सुरंग के साथ-साथ बनाया जाता है।

एफ्कॉन ने इस सुरंग के निर्माण में करीब 150 इंजीनियरों और 1,000 श्रमिकों को लगाया था। परेटकर ने कहा कि उनकी टीम जम्मू-कश्मीर में चेनाब नदी पर दुनिया का सबसे ऊंचा ‘सिंगल आर्क रेलवे पुल’ भी बना रही है। सिंगल आर्क पुल में दो पर्वतों को आधार बनाकर उनके बीच एक उल्टे चांदनुमा आकार का गार्डर बनाया जाता है। 

Web Title: Atal Tunnel Ready after ten years of hard work about 160 years old costing Rs 1458 crore

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