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गुड न्यूज: सीएमआईई का दावा, लॉकडाउन के बाद उद्योग धंधे खुलने से रोजगार के अवसर बढ़े

By एसके गुप्ता | Updated: June 24, 2020 20:36 IST

ग्रामीण इलाकों में मनरेगा और अच्छे मानसून की वजह से खरीफ सीजन में रोज़गार के अवसर ज्यादा पैदा हो रहे हैं लेकिन लॉकडाउन की वजह से कमज़ोर हुए छोटे-बड़े उद्योगों और टूटे हुए सप्लाई चेन्स को जोड़ने अभी काफी लम्बा वक्त लगेगा। इसकी वजह यह भी बताई जा रही है कि शहरों में कोरोना का संक्रमण ज्यादा फैला हुआ है।

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ठळक मुद्देअनलॉकडाउन में देश के शहर और गांवों में उद्योग-धंधे खुलने से रोजगार के नए अवसर पैदा हो गए हैं।21 जून को ख़त्म हुए सप्ताह में बेरोज़गारी दर घट कर 8.5 % रह गई है

नई दिल्ली: अर्थव्यस्था और बेरोजगारी से जूझ रहे लोगों के लिए अच्छी खबर है कि लॉकडाउन के बाद अनलॉकडाउन में देश के शहर और गांवों में उद्योग-धंधे खुलने से रोजगार के नए अवसर पैदा हो गए हैं। अर्थव्यवस्था पर नज़र रखने वाली संस्था सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी (सीएमआईई) ने जारी सर्वे रपट में कहा है कि 21 जून को ख़त्म हुए सप्ताह में बेरोज़गारी दर घट कर 8.5 % रह गई है जो प्री-लॉकडाउन स्तर के लगभग बराबर है।

सीएमआईई ने मई में आंकलन किया था कि अप्रैल और मई महीने में 10 करोड़ से ज्यादा कामगार बेरोज़गार हुए। अब अपने ताज़ा आंकलन में सीएमआईई ने कहा है लॉकडाउन की पाबंदियां हटने के बाद शहर और ग्रामीण इलाकों में उद्योग-धंधे खुलने से बेरोज़गारी घट रही है।

ग्रामीण इलाकों में मनरेगा और अच्छे मानसून की वजह से खरीफ सीजन में रोज़गार के अवसर ज्यादा पैदा हो रहे हैं लेकिन लॉकडाउन की वजह से कमज़ोर हुए छोटे-बड़े उद्योगों और टूटे हुए सप्लाई चेन्स को जोड़ने अभी काफी लम्बा वक्त लगेगा। इसकी वजह यह भी बताई जा रही है कि शहरों में कोरोना का संक्रमण ज्यादा फैला हुआ है।

सीएमआईई की सर्वे रपट में कहा गया है कि लॉकडाउन के दौरान 3 मई को खत्म होने वाले सप्ताह में बेरोज़गारी दर 27.1 % तक पहुंच गई थी। मार्च में बेरोज़गारी दर 8.75 % थी। सीएमआईई के अनुसार मई महीने में मनरेगा के तहत रोजगार की दर 53 फीसदी और जून में 65 फीसदी बढ़ी है।

खरीफ फसलों की बुआई से अब तक जून में 40 फीसदी तक बढ़ी है, जिससे मज़दूरों को गावों में अच्छा रोज़गार मिल रहा है। हालांकि शहरी इलाकों में बेरोजगारी दर 11.2 के उंचे स्तर पर बनी हुई है जो लॉकडाउन के पहले के स्तर के मुकाबले अब भी 2% से कुछ ज्यादा है। छोटे और लघु उद्योगों के संघ ने कहा है की एमसएसएमई सेक्टर में संकट बरकरार है और सरकार ने जो राहत पैकेज का ऐलान किया है उसको लागू करने की प्रक्रिया धीमी है।

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