बिहार में कांग्रेस उत्थान का मतलब राजद का पतन?, हर विधानसभा चुनाव में राहुल गांधी को कमजोर सीट देते हैं राजद प्रमुख लालू यादव, 70 सीटों पर लड़ने की तैयारी

By एस पी सिन्हा | Updated: February 14, 2025 14:53 IST2025-02-14T14:52:17+5:302025-02-14T14:53:21+5:30

Assembly elections: बिहार कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने ऐलान कर दिया है कि आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 70 सीटों पर विधानसभा चुनाव लड़ेगी।

Assembly elections Rise Congress in Bihar means decline RJD chief Lalu Yadav gives weak seats Rahul Gandhi every election preparing contest on 70 seats | बिहार में कांग्रेस उत्थान का मतलब राजद का पतन?, हर विधानसभा चुनाव में राहुल गांधी को कमजोर सीट देते हैं राजद प्रमुख लालू यादव, 70 सीटों पर लड़ने की तैयारी

file photo

Highlightsइस मांग से कम में कोई समझौता नहीं होने जा रहा है।उच्च जाति से तो एक मुसलमान समुदाय से हो सकता है।कांग्रेस के बिना कोई भी विपक्षी गठबंधन सफल नहीं हो सकता।

पटनाः दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस भले ही जीरो पर आउट हो गई, लेकिन बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर उसके हौसले सातवें आसमान पर है। वह अपनी ताकत दिखाने के प्रयास में जुट गई है। दिल्ली चुनाव के बाद कांग्रेस ने एक तरह से क्षेत्रीय दलों को संदेश दिया है कि वह किसी के सामने अब झुकने और गिड़गिड़ाने की हालत में नहीं आने वाली है और फ्रंटफुट पर आकर बैटिंग करने वाली है। चाहे किसी दल से गठबंधन रहे या न रहे। इस बीच बिहार कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने ऐलान कर दिया है कि आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 70 सीटों पर विधानसभा चुनाव लड़ेगी।

उन्होंने जोर देते हुए आगे कहा कि इस मांग से कम में कोई समझौता नहीं होने जा रहा है। ऐसे में अगर राजद इस पर राजी होती है तो ठीक अन्यथा कांग्रेस गठबंधन तोड़ने के के बारे में सोच सकती है। कांग्रेस की ओर से यह भी आवाज बुलंद हो रही है कि महागठबंधन के जीतने की स्थिति में 2 उपमुख्यमंत्री उसकी ओर से होंगे, जिसमें एक उच्च जाति से तो एक मुसलमान समुदाय से हो सकता है।

कांग्रेस नेता प्रेम चंद्र मिश्रा मानते हैं कि कांग्रेस के बिना कोई भी विपक्षी गठबंधन सफल नहीं हो सकता। इस बीच ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के सदस्य और बिहार कांग्रेस के नेता किशोर कुमार झा ने कहा है कि बिहार में कांग्रेस कम से कम सौ सीटों पर चुनाव लड़े। अगर इतनी सीटें नहीं मिलती है तो पार्टी अकेले विधानसभा चुनाव लड़ने पर विचार करे।

उन्होंने कहा कि राजद की आदत रही है कि वह हमेशा सीटों का मामला उलझाए रहता है। अंतिम समय में अपने मत के अनुसार कांग्रेस के मत्थे कमजोर सीटें थोप देता है। इससे कांग्रेस को नुकसान होता है। उन्होंने कहा कि जब पार्टी दिल्ली में अकेले चलने का निर्णय ले सकती है तो बिहार में भी उसे संकोच नहीं करना चाहिए।

वहीं, राजनीति के जानकारों का मानना है कि राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव को पता है कि बिहार में कांग्रेस का उत्थान का मतलब राजद का पतन होगा। इसलिए कांग्रेस को पनपने देने के पक्ष में वह नहीं हैं। ऐसा प्रयास पहले भी किया जा चुका है। वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में लालू और रामविलास पासवान ने मनमाने तरीके से सीटें बांट ली थी।

कांग्रेस के लिए मात्र तीन सीटें छोड़कर राजद ने 25 और लोजपा ने 12 सीटें ले ली थीं। यह सोनिया गांधी को मंजूर नहीं हुआ। उन्होंने रास्ता अलग करके सभी 40 सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशी उतार दिए। नतीजा हुआ कि लालू और पासवान की हैसियत छोटी हो गई और दोनों अपनी-अपनी सीटें भी हार गए। सोनिया गांधी का गुस्सा 2010 के बिहार विधानसभा चुनाव तक जारी रहा।

राजद से अलग होकर उन्होंने सभी 243 सीटों पर प्रत्याशी उतार दिए, जिससे राजद विधायकों की संख्या 54 से घटकर 22 के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गई। वर्ष 1990 के बाद बीते साढ़े तीन दशक की बिहार की राजनीति में कांग्रेस राजद से बाहर की सोच भी नहीं पा रही है। इस कालखंड में कांग्रेस अपने मजबूत आधार को ही गंवा बैठी।

कांग्रेस अपना वोट बैंक राजद के हाथों गंवा चुकने के बाद खड़ी भी नहीं हो पा रही है। कांग्रेस न तो सवर्णों का होकर रह पाई, न पिछड़ों में आधार बना पाई और दलित समुदाय ने तो कांग्रेस से किनारा ही कर लिया। इससे भी बढ़कर जो मुसलमानों ने भी कांग्रेस का साथ पूरी तरह से छोड़ दिया और राजद के साथ पूरी मजबूती से खड़े हो गए।

बता दें कि 2020 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने खराब प्रदर्शन किया था। उसने 70 सीटों पर चुनाव लड़कर केवल 19 पर जीत हासिल की थी। यही हाल लोकसभा चुनाव में राजद का हुआ था। लोकसभा चुनाव में बिहार की 40 में से 23 सीटों पर राष्ट्रीय जनता दल ने चुनाव लड़ा था और केवल 4 पर जीत हासिल की थी। लोकसभा चुनाव में 9 सीटों पर लड़कर कांग्रेस 3 पर जीती थी।

वहीं, जदयू प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा ने कहा कि निजी महत्वाकांक्षा में इंडिया गठबंधन ताश के पत्ते की तरह बिखर रहा है। गठबंधन दिशाहीन हो चुका है। वर्तमान में तथाकथित विपक्षी एकता अपनी ढपली, अपना राग का पर्याय बन कर रह गया है। नीति, नीयत और नेता के घोर अभाव में इंडिया गठबंधन का राजनीतिक उद्देश्य, औचित्य और अस्तित्व तीनों समाप्ति के कगार पर है।

उन्होंने कहा कि राजद और कांग्रेस राजनीतिक भ्रष्टाचार की जननी रही है। घोटाला व परिवारवाद से इनका गहरा रिश्ता है। यही वजह है कि दोनों दलों की राजनीति अब रसातल की ओर तेजी से अग्रसर है। सिर्फ लूट-खसोट मचाने का काम किया।

Web Title: Assembly elections Rise Congress in Bihar means decline RJD chief Lalu Yadav gives weak seats Rahul Gandhi every election preparing contest on 70 seats

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे