कांग्रेस के लिए संजीवनी लेकर आए महाराष्ट्र और हरियाणा के नतीजे, अब ये है आगे की चुनौती!
By भाषा | Updated: October 24, 2019 20:17 IST2019-10-24T20:17:26+5:302019-10-24T20:17:26+5:30
महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनावों से पहले की सीटों की संख्या को बरकरार रखना भी कांग्रेस के लिए चुनौती होगी। पिछली बार के चुनाव में महाराष्ट्र में कांग्रेस को 42 और हरियाणा में 15 सीटें हासिल हुईं थीं।

महाराष्ट्र में 46 और हरियाणा में 31 सीटें हासिल हुई हैं।
लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद निराशा के दौर से गुजर रही कांग्रेस के लिए महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजे संजीवनी की तरह हैं और इन्हें पार्टी नेताओं एवं कार्यकर्ताओं के लिए नयी उम्मीद के तौर पर देखा जा रहा है। देश की सबसे पुरानी पार्टी ने इन दोनों राज्यों में राजनीतिक जानकारों के आकलन को उस वक्त गलत साबित किया है जब दोनों जगहों खासकर महाराष्ट्र में वह नेताओं के पार्टी छोड़ने और आपसी कलह के कारण मुश्किल में थे।
कुछ महीने पहले आम चुनाव में महज 52 सीटों पर सिमटने और फिर राहुल गांधी के अध्यक्ष पद से इस्तीफे के बाद कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं में घोर निराशा का माहौल पैदा हुआ और इसी क्रम में कई प्रदेश अध्यक्षों ने इस्तीफा दे दिया था और कई नेताओं ने दूसरी पार्टियों खासकर भाजपा का दामन थाम लिया था।
राजनीतिक विशेषज्ञों का यह आकलन था कि महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनावों से पहले की सीटों की संख्या को बरकरार रखना भी कांग्रेस के लिए चुनौती होगी। पिछली बार के चुनाव में महाराष्ट्र में कांग्रेस को 42 और हरियाणा में 15 सीटें हासिल हुईं थीं। इस बार उसे महाराष्ट्र में 46 और हरियाणा में 31 सीटें हासिल हुई हैं।
पार्टी के वरिष्ठ नेता शक्ति सिंह गोहिल कहते हैं, ‘‘ये नतीजे पार्टी का उत्साह बढ़ाने वाले हैं। हम इनका स्वागत करते हैं। इन चुनावों में जनता ने भाजपा के झूठे दावों और अहंकार को भी चकनाचूर किया है।’’ माना जा रहा है कि दोनों राज्यों में कांग्रेस के इस प्रदर्शन के बाद पार्टी के भीतर वरिष्ठ नेताओं की स्थिति मजबूत हुई है।
हरियाणा में पार्टी के बेहतर नतीजों का श्रेय भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कुमारी शैलजा के बीच तालमेल को दिया जा रहा है। दूसरी तरफ, महाराष्ट्र में कांग्रेस ज्यादा बिखरी नजर आ रही थी तो पार्टी का प्रदर्शन अपेक्षाकृत कम बेहतर रहा है।