सीबीआई के दो वरिष्ठ अधिकारियों के ऊपर घूस और अनियमितता के आरोप लगने के बाद केंद्र सरकार ने पहली प्रतिक्रिया दी है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए दोनों अधिकारियों को छुट्टी पर भेजे जाने के फैसले पर सफाई भी दी। उन्होंने कहा कि इस फैसले से उनका कोई लेना-देना नहीं है। जेटली ने कहा, 'सीबीआई के दो सबसे बड़े अधिकारियों पर आरोप हैं। अब इसकी जांच कौन करेगा। ये सरकार के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता। सरकार उसकी जांच नहीं कर सकती। सीबीआई एक्ट के मुताबिक सेंट्रल विजिलेंस कमीशन (सीवीसी) के पास जांच का अधिकार है। सीवीसी के पास ही उन आरोपों की जानकारी है।'
जेटली ने कहा, 'सीवीसी ने सिफारिश की थी कि इन आरोपों की जांच ये अधिकारी नहीं कर सकते हैं और ना ही उनकी देखरेख में हो सकती है। इसलिए जबतक इस केस की जांच होगी इन्हें उस दौरान छुट्टी पर भेज दिया जाए। और इस मामले में एक एसआईटी का गठन किया जाए जो इनके अंडर काम ना करती हो। सरकार ने सीवीसी की सिफारिश पर ही अधिकारियों को छुट्टी पर भेजने का फैसला लिया है।'
जेटली ने कहा, 'विपक्ष में जो इस आदेश पर सवाल उठा रहे हैं उनसे कहना है कि क्या जिस पर आरोप हैं उन्हीं से जांच करने दिया जा सकता था। मैं विपक्षी दलों की बात को बकवास मानता हूं। मैं भरोसा दिलाना चाहता हूं कि भारतीय जांच एजेंसी की अखंडता बरकरार रहेगी। अगर वो निर्दोष पाए जाते हैं तो उनकी वापसी होगी।'
यह भी पढ़ेंः- सीबीआई में संघर्षः छुट्टी पर भेजे जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे आलोक वर्मा, सरकार के आदेश पर सवाल
इससे पहले केंद्र सरकार ने सख्त कदम उठाते हुए घूसकांड में आरोपी केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के दोनों शीर्ष अधिकारियों को छुट्टी पर भेज दिया। यह फैसला सीबीआई के अधिकारियों के बीच की लड़ाई खुलकर सामने आने के बाद लिया गया।
सीबीआई के निदेशक आलोक वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना ने एक दूसरे पर रिश्वतखोरी और अनियमितता के गंभार आरोप लगाए थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मामले का संज्ञान लेते हुए सख्त कदम उठाया है। इस मामले से जुड़े सभी जांच अधिकारियों को हटा दिया गया है। नागेश्वर राव को सीबाआई का नया अंतरिम निदेशक बनाया गया है।