अनुच्छेद 370: जम्मू-कश्मीर में 38वें दिन ऐसे हैं हालात, कई दिग्गज नेता अभी भी नजरबंद
By सुरेश डुग्गर | Published: September 11, 2019 05:48 PM2019-09-11T17:48:10+5:302019-09-11T17:48:10+5:30
कश्मीर में 5 अगस्त को प्रतिबंध पहली बार तब लगाए गए जब केंद्र ने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के अपने फैसले की घोषणा की। अब समय बीतने के साथ स्थिति में सुधार हुआ है।
कश्मीर बंद के कारण आम जनजीवन फिलहाल प्रभावित है, जो बुधवार को 38वें दिन में प्रवेश कर गया। अधिकारियों ने कहा कि बाजार और अन्य व्यापारिक प्रतिष्ठान अभी भी बंद हैं। इसके अलावा राज्य के तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती सहित मुख्यधारा के नेताओं, अलगाववादी नेताओं को अभी भी नजरबंद रखा गया है।
यह बात अलग है कि बुधवार को कश्मीर की सड़कों पर जैसे निजी वाहनों का हजूम ही उतर आया हो। मुहर्रम जुलूस पर लगाए गए प्रतिबंध के बाद घाटी में एक बार फिर पाबंदियां लगा दी गई थी। दो दिन की इन पाबंदियों के बाद बुधवार (11 सितंबर) सुबह जब श्रीनगर के लाल चौक सहित अन्य मुख्य बाजारों, चौकों व मुहल्लों से कंटीली तारें हटाई गई, बेरीकेड हटाए गए तो शहर की सड़कों पर ट्रैफिक बढ़ गई।
हालांकि प्रशासन ने एहतियातन आज स्कूल बंद रखे हुए थे। इसके अलावा यात्री वाहन भी सड़कों से दूर रहे। कर्ण नगर-बटमालू-लाल चौक-डलगेट पर कई स्थानों पर निजी वाहनों की संख्या इस कदर थी कि यहां लगने वाले ट्रैफिक जाम को हटाने के लिए ट्रैफिक पुलिस कर्मियों को भी सड़कों पर उतरना पड़ा।
कई इलाकों में तो ऑटो रिक्शा और अंतर-जिला टैक्सी भी घूमती नजर आई। अधिकारियों ने कहा कि अब घाटी के अधिकांश क्षेत्रों से प्रतिबंध हटा दिया गया है। लेकिन कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए सुरक्षा बल की तैनाती अभी भी कायम है। मोहर्रम के आठवें और दसवें दिन शहर और अन्य जगहों पर किसी भी जुलूस को रोकने के लिए रविवार और मंगलवार को घाटी के कुछ हिस्सों में प्रतिबंध लगाया गया था।
सनद रहे कि कश्मीर में 5 अगस्त को प्रतिबंध पहली बार तब लगाए गए जब केंद्र ने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के अपने फैसले की घोषणा की। अब समय बीतने के साथ स्थिति में सुधार हुआ है। हालांकि हर शुक्रवार जुम्मे के दिन स्थानीय प्रशासन घाटी के संवेदनशील इलाकों में प्रतिबंध लागू कर देता है। यही वजह है कि पिछले एक महीने से घाटी में ऐतिहासिक जामा मस्जिद सहित अन्य किसी भी प्रमुख मस्जिद में शुक्रवार की नमाज की अनुमति नहीं दी जा रही है।