अनुच्छेद 370: जम्मू-कश्मीर में उद्योगों को मिल सकती है विशेष छूट!
By संतोष ठाकुर | Published: August 17, 2019 08:52 AM2019-08-17T08:52:02+5:302019-08-17T08:52:50+5:30
पांच अगस्त को केंद्र सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत राज्य को मिला विशेष दर्जा समाप्त करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने के निर्णय की घोषणा की थी।
जम्मू-कश्मीर में उद्योग लगाने वाली कंपनियों को सरकार विशेष रियायत दे सकती है. इसके तहत उन्हें दीर्घकालिक टैक्स छूट के साथ ही अन्य रियायतें मिल सकती हैं. एक अधिकारी ने कहा कि यहां पर विशेष इकॉनोमिक जोन की तरह सुविधाएं दी जा सकती हैं. इसकी रूपरेखा बनाने के लिए जल्द ही इंडस्ट्री की प्रतिनिधि संस्थाओं के साथ चर्चा की जाएगी.
सूत्रों के मुताबिक अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधान हटाए जाने के बाद सरकार पर यहां पर तेजी से विकास का दबाव लगातार बना रहेगा. यही वजह है कि सरकार ने यहां पर पहली बार इंवेस्टमेंट समिट आयोजित करने का फैसला करने के साथ ही पहलगाम और गुलमर्ग को इंडस्ट्री के लिए खास क्षेत्र के लिए चिह्नित किया है, लेकिन यहां पर उत्पादन कार्य शुरू करने, माल की आवाजाही पर लगने वाली भारी राशि और अन्य संसाधन पर किए जाने वाले निवेश को देखते हुए उद्योगपतियों ने यहां पर निवेश के लिए विशेष रियायत की मांग की है. जिस पर सरकार ने जल्द ही उद्योगपतियों के साथ बैठकर औपचारिक वार्ता करने का निर्णय किया है.
स्थानीय लोगों को तरजीह माना जा रहा है कि सरकार यहां पर इंडस्ट्री के लिए स्थानीय लोगों के लिए नौकरी में आरक्षण का प्रावधान भी लागू कर सकती है. जिससे यहां पर रोजगार के अवसर बढ़ें. हालांकि इसको लेकर सरकार के सामने कई चुनौतियां होंगी. खासकर वह शेष भारत के लोगों को यह कैसे समझाएगी कि स्थानीय लोगों के लिए निजी नौकरी में सिर्फ जम्मू कश्मीर में ही आरक्षण का प्रावधान क्यों किया जा रहा है.
पोस्टर बॉय से क्यों डर रही है सरकार : चिदंबरम
पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम ने सरकार से सवाल किया है कि आखिर उसने शाह फैसल को क्यों वापस कश्मीर भेज दिया. उन्होंने एक ट्वीट में कहा कि कुछ वर्ष पूर्व जब शाह फैसल ने आईएएस में स्थान बनाया था तो सरकार ने उसको अपना पोस्टर बॉय बना दिया था, लेकिन अब वही शाह फैसल कैसे जनता की सुरक्षा को खतरा बन गया.
कैद में रखने पर सवाल पी. चिदंबरम ने कश्मीर में तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों को कथित तौर पर कैद में रखने पर भी सवाल किए. उन्होंने कहा कि दो पूर्व मुख्यमंत्रियो को एक तरह से पूरी तरह सरकारी निगरानी में रखा गया है तो एक को उनके घर में नजरबंद किया गया है. आखिर अलगाववादियों और देश विरोधी ताकतों से लड़ने वाले इन नेताओं को आजादी क्यों नहीं दी जा रही है.