जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने कहा, जहां-जहां पाबंदियां हटा दी गई हैं वहां दुकानें खोली जा सकती हैं
By भाषा | Updated: August 27, 2019 20:10 IST2019-08-27T20:08:36+5:302019-08-27T20:10:17+5:30
जम्मू कश्मीर की सूचना एवं जन संपर्क निदेशक सेहरीश असगर ने संवाददाताओं से कहा कि और अधिक इलाकों में लैंडलाइन टेलीफोन कनेक्शन को बहाल करने के लिए घाटी में और भी टेलीफोन एक्सचेंज खोलने के लिए कदम उठाये जा रहे हैं।

घाटी में प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालय खुल गए हैं और पिछले कुछ दिनों में उनमें छात्रों की उपस्थिति भी बढ़ी है।
जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने मंगलवार को कहा कि जिन इलाकों में पाबंदियां हटा दी गई हैं वहां दुकानें और व्यापारिक प्रतिष्ठान खोले जा सकते हैं, जबकि कश्मीर घाटी में सार्वजनिक परिवहन सेवाएं बहाल करने के लिए कोशिशें की जा रही हैं।
जम्मू कश्मीर की सूचना एवं जन संपर्क निदेशक सेहरीश असगर ने संवाददाताओं से कहा कि और अधिक इलाकों में लैंडलाइन टेलीफोन कनेक्शन को बहाल करने के लिए घाटी में और भी टेलीफोन एक्सचेंज खोलने के लिए कदम उठाये जा रहे हैं।
Syed Sehrish Asgar, Director of Information & Public Relations Jammu and Kashmir: 10 more police stations will be opened by Thursday. pic.twitter.com/Z7MJZIbHSK
— ANI (@ANI) August 27, 2019
असगर ने कहा, ‘‘जहां-जहां पाबंदियां हटा दी गई हैं वहां दुकानें खोली जा सकती हैं।’’ दरअसल, उनसे पूछा गया कि व्यापारिक प्रतिष्ठान कब खुलेंगे। उन्होंने कहा कि घाटी में प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालय खुल गए हैं और पिछले कुछ दिनों में उनमें छात्रों की उपस्थिति भी बढ़ी है।
जम्मू-कश्मीर में केंद्रीय कानून के क्रियान्यन के ढांचे की स्थापना को जल्द पैकेज की घोषणा करेगी सरकार
सरकार जम्मू-कश्मीर में 100 से अधिक केंद्रीय कानूनों के क्रियान्यन को लेकर बुनियादी ढांचा बनाने के लिए जल्द ही करोड़ों रुपये के पैकेज की घोषणा कर सकती है। इस महीने जम्मू-कश्मीर से विशेष दर्जा वापस लिए जाने के मद्देनजर सरकार के लिए ये कदम उठाने की जरूरत है।
इस निर्णय के बाद 106 केंद्रीय कानून राज्य में 31 अक्टूबर, 2019 से पूरी तरह लागू हो जाएंगे। बदलाव की इस अवधि के दौरान 30 अक्टूबर तक जम्मू-कश्मीर में केंद्रीय और राज्य कानून दोनों लागू रहेंगे। एक सूत्र ने कहा कि केंद्र सरकर जम्मू-कश्मीर के लिए एक विशेष पैकेज पर काम कर रही है।
राज्य में केंद्रीय कानूनों के क्रियान्वयन के लिए करोड़ों रुपये के निवेश की जरूरत होगी। सूत्र ने बताया कि केंद्रीय विधि मंत्री रविशंकर प्रसाद ने पिछले सप्ताह श्रम, बिजली, अक्षय ऊर्जा और मानव संसाधन विकास जैसे महत्वपूर्ण विभागों के 12 से अधिक मंत्रियों के साथ बैठक की थी।
इस बैठक में पुनर्गठित जम्मू-कश्मीर में केंद्रीय कानूनों के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए परियोजनाओं और कोष की जरूरत पर चर्चा हुई थी। सूत्र ने कहा कि विभिन्न मंत्रालयों द्वारा दिए गए प्रस्तावों के अनुसार पैकेज की राशि का अभी आकलन नहीं किया गया है।
इस प्रस्ताव को जल्द व्यय वित्त समिति के पास भेजा जाएगा। इसकी सार्वजनिक घोषणा से पहले केंद्रीय मंत्रिमंडल भी इसकी समीक्षा कर सकता है। अन्य प्रस्तावों के अलावा श्रम मंत्रालय ने कर्मचारी राज्य बीमा निगम द्वारा स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने के लिए एक नए अस्पताल का प्रस्ताव किया गया है। केंद्र सरकार को बच्चों के लिए मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा कानून, 2009 के क्रियान्वयन के लिए भी करोड़ों रुपये खर्च करने की जरूरत होगी। राज्य के लोगों को विभिन्न लाभ और सब्सिडी के प्रत्यक्ष अंतरण के लिए केंद्र सरकार को वहां आधार को भी लागू करना होगा।
जम्मू कश्मीर में किसी को हिरासत में लिये जाने या रिहा करने में राज्यपाल शामिल नहीं : राजभवन
राजभवन ने मंगलवार को कहा कि किसी व्यक्ति को हिरासत में लिये जाने या रिहा किये जाने में जम्मू कश्मीर के राज्यपाल शामिल नहीं हैं और इस तरह के फैसले स्थानीय पुलिस प्रशासन द्वारा किये जाते हैं। साथ ही राजभवन ने कहा कि राज्यपाल सत्यपाल मलिक का पूर्व मुख्यमंत्रियों उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती से कोई संवाद नहीं हुआ है।
संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू कश्मीर को मिले विशेष दर्जे को केंद्र के समाप्त करने के बाद नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला और पीडीपी अध्यक्ष मुफ्ती को नजरबंद कर दिया गया था। राजभवन के एक प्रवक्ता ने यहां एक बयान में कहा, ‘‘एक खबर प्रकाशित हुई है जिसमें कहा गया है कि राज्यपाल ने पूर्व मुख्यमंत्रियों (उमर अब्दुल्ला और मुफ्ती) से कहा है कि उन्हें उनके आवास में स्थानांतरित कर दिया जाएगा, बशर्ते वे अनुच्छेद 370 को हटाने और राज्य को दो भागों में बांटने के खिलाफ घाटी में कोई भी बयान नहीं देंगे।
दोनों फिलहाल हिरासत में हैं।’’ उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट किया जाता है कि ये खबरें बिल्कुल ‘गलत और बेबुनियाद’ हैं। प्रवक्ता ने कहा, ‘‘जम्मू कश्मीर के राज्यपाल किसी भी व्यक्ति को हिरासत में लिये जाने या रिहा किये जाने में शामिल नहीं हैं और इस तरह के फैसले स्थानीय पुलिस प्रशासन द्वारा किये जाते हैं। राज्यपाल की इन नेताओं से कोई बातचीत नहीं हुई है।’’ उन्होंने कहा कि राजभवन इस तरह की ‘गलत और अपुष्ट’ खबरों का प्रसार किये जाने की निंदा करता है।