अर्नब गोस्वामी मुंबई में दर्ज नई FIR के खिलाफ पहुंचे सुप्रीम कोर्ट, बांद्रा में हजारों प्रवासी मजदूर के जमा होने से जुड़ा है मामला
By पल्लवी कुमारी | Published: May 6, 2020 11:11 AM2020-05-06T11:11:34+5:302020-05-06T11:11:34+5:30
मुंबई के स्थानीय कांग्रेस नेताओं ने महाराष्ट्र के पालघर में भीड़ द्वारा तीन साधुओं की पीट-पीट कर हत्या के संदर्भ में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ कथित रूप से अपमानजनक टिप्पणी करने के लिए एफआईआर दर्ज कराई है।
मुंबई: रिपब्लिक भारत न्यूज चैनल के प्रधान संपादक अर्नब गोस्वामीमुंबई पुलिस द्वारा दर्ज नई FIR को निरस्त कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली है। अर्नब गोस्वामी ने सुप्रीम कोर्ट में डाली अपनी नई याचिका में अनुरोध किया है कि दो मई को दर्ज प्राथमिकी के संबंध में आगे किसी भी तरह की जांच से पुलिस को रोका जाए। अर्नब गोस्वामी के रवैये के खिलाफ महाराष्ट्र सरकार की याचिका के एक दिन बाद पत्रकार ने सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका दायर की है।
जानें 2 मई को अर्नब गोस्वामी के खिलाफ क्या FIR दर्ज हुई और किसने करवाया?
मुंबई पुलिस मुताबिक मुंबई में दो मई को अर्नब गोस्वामी और दो अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है। जिसमें अर्नब गोस्वामी पर आरोप लगाया गया है कि बांद्रा में स्थित एक मस्जिद के बारे में अपमानजनक टिप्पणी करके उन्होंने धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई है।
एफआईआर में दावा किया गया है कि टीवी कार्यक्रम में बांद्रा की एक मस्जिद को लेकर अर्नब गोस्वामी ने आपत्तिजनक टिप्पणी की है। अर्नब गोस्वामी ने अपने एक कार्यक्रम में 14 अप्रैल को इस मस्जिद के बाहर हजारों लोगों के जमा होने पर सवाल उठाया था।
बता दें कि इस भीड़ में ज्यादातर प्रवासी मजदूर थे जो अपने घर जाना चाहते थे। अर्नब गोस्वामी के खिलाफ ये नई एफआईआर रजा एजूकेशन वेलफेयर सोसायटी के सचिव इरफान अबुबकर शेख ने दर्ज कराई है।
सुप्रीम कोर्ट ने अर्नब गोस्वामी को दंडात्मक कार्रवाई से तीन सप्ताह के लिए संरक्षण दिया है
24 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने अर्नब गोस्वामी को तीन सप्ताह के लिए किसी भी तरह की दंडात्मक कार्रवाई से संरक्षण प्रदान कर दिया था। यह संरक्षण महाराष्ट्र के पालघर में दो साधुओं सहित तीन व्यक्तियों की भीड़ द्वारा हत्या किए जाने से संबंधित कार्यक्रम में कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के लिये कथित अपमानजनक बयानों के कारण उनके खिलाफ कई राज्यों में प्राथमिकी दर्ज कराये जाने के मामले में दिया गया था।
पीठ ने यह भी कहा था कि गोस्वामी तीन सप्ताह के बाद इन प्राथमिकी के सिलसिले में अग्रिम जमानत के लिये दायर कर सकते हैं और उन्हें जांच एजेंसी के साथ सहयोग करना चाहिए।