एडल्टरी को अपराध बनाए रखना चाहती है आर्मी, साथी अफसर की पत्नी का 'प्रेम चुराने' को लेकर चिंतित
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: September 9, 2019 09:48 IST2019-09-09T09:48:33+5:302019-09-09T09:48:33+5:30
सेना में एडल्टरी को 'स्टीलिंग अफेक्शन ऑफ फेलो ब्रदर आफिसर्स वाइफ' (साथी अफसर की पत्नी का प्रेम चुराना) कहा जाता है। इसे बेहद शर्मनाक कृत्य माना जाता है।

एडल्टरी को अपराध बनाए रखना चाहती है आर्मी, साथी अफसर की पत्नी का 'प्रेम चुराने' को लेकर चिंतित
सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में एडल्टरी अथवा विवाहेत्तर संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया लेकिन 14 लाख लोगों की मजबूत भारतीय सेना इस फैसले से खुश नहीं दिख रही है। हिंदुस्तान टाइम्स ने अपनी एक रिपोर्ट में लिखा कि सेनाओं को इस फैसले से बाहर रखने के लिए उच्चतम न्यायालय का रुख किया जा सकता है। इंडियन आर्मी ने इस मुद्दे से रक्षा मंत्रालय को अवगत करा दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने आईपीसी की धारा 497 को असंवैधानिक करार देते हुए एडल्टरी को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया था। सेना में एडल्टरी को 'स्टीलिंग अफेक्शन ऑफ फेलो ब्रदर आफिसर्स वाइफ' (साथी अफसर की पत्नी का प्रेम चुराना) कहा जाता है। इसे बेहद शर्मनाक कृत्य माना जाता है। सेना का मानना है कि इसे अपराध की श्रेणी से बाहर रखने पर रैंक में अनुशासन कायम रखने में चुनौती पेश होगी।
सेना में एडल्टरी अथवा साथी अफसर की पत्नी का प्रेम चुराना अक्षम्य अपराध है। तीनों सेनाओं में सेक्शन 497 के तहत कार्रवाई का प्रावधान होता था और आरोपी अधिकारी को अधिकांश मामलों में सेना से निलंबित कर दिया जाता था।
सेक्शन 497 के हटाए जाने से सेना में पशोपेश की स्थिति है। हिंदुस्तान टाइम्स ने एक अधिकारी के हवाले से लिखा कि अधिकारी अपने परिवार से महीनों दूर रहते हैं, ऐसे में उनके परिवार का ख्याल रखने की जिम्मेदारी दूसरों पर होती है। अगर कोई ऐसा कृत्य करता है तो उसे निपटने के लिए कुछ प्रावधान तो होना ही चाहिए।
एडल्टरी पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि पुरुष हमेशा फुसलाने वाला और महिला हमेशा पीड़िता, लेकिन ऐसा अब नहीं होता। कोर्ट के मुताबिक एडल्टरी तलाक का आधार हो सकता है, लेकिन अपराध नहीं।
समलैंगिकता पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से भी सेना चिंतित है। सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने तो खुले तौर पर कहा था कि वो सेना में गे सेक्स की इजाजत नहीं देंगे। उन्होंने कहा कि समलैंगिक संबंधों पर सेना के अपने कानून हैं। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिकता को कानूनी मान्यता दते हुए इसे अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया है।
