आरिफ मोहम्मद खानः तीन तलाक को अपराध ठहराने के लिए लड़ी लंबी लड़ाई, जानें क्या है शाह बानो केस से नाता

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: September 1, 2019 12:14 PM2019-09-01T12:14:42+5:302019-09-01T12:15:06+5:30

आरिफ मोहम्मद खान को केरल का नया राज्यपाल नियुक्त किया गया है। उन्होंने तीन लताक को अपराध ठहराने के लिए लंबी लड़ाई लड़ी। पढिए, उनकी जिंदगी का सफरनामा...

Arif Mohammad Khan become governor of Kerala, complete profile and political journey triple talaq shahbano case | आरिफ मोहम्मद खानः तीन तलाक को अपराध ठहराने के लिए लड़ी लंबी लड़ाई, जानें क्या है शाह बानो केस से नाता

आरिफ मोहम्मद खानः तीन तलाक को अपराध ठहराने के लिए लड़ी लंबी लड़ाई, जानें क्या है शाह बानो केस से नाता

Highlightsखान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पिछले साल अक्टूबर में छह पन्ने का पत्र तीन तलाक के चलन को अपराध ठहराने के आग्रह के साथ लिखा था।खान 1986 में राजीव गांधी की सरकार में राज्य मंत्री थे लेकिन उन्होंने शाह बानो मामले में सरकार के रुख के खिलाफ इस्तीफा दे दिया था।

तीन तलाक को अपराध ठहराने के लिए लंबी लड़ाई लड़ने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री आरिफ मोहम्मद खान को केरल का राज्यपाल नियुक्त किया गया है। खान 1986 में राजीव गांधी की सरकार में राज्य मंत्री थे लेकिन उन्होंने शाह बानो मामले में सरकार के रुख के खिलाफ इस्तीफा दे दिया था। खान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पिछले साल अक्टूबर में छह पन्ने का पत्र तीन तलाक के चलन को अपराध ठहराने के आग्रह के साथ लिखा था।

क्या है शाह बानो केस?

शाह बानो इंदौर की एक मुस्लिम महिला थी जिसे उसके पति ने 1978 में तलाक दे दिया था। इसके बाद उसने अदालत में इसके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज कराया और अपने पति से गुजारा भत्ता पाने का मामला भी जीत गई। निचली अदालत के फैसले को उसके पति ने उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी थी लेकिन उच्चतम न्यायालय ने निचली अदालत का फैसला बरकरार रखा। हालांकि इसके बाद तत्कालीन राजीव गांधी सरकार मुस्लिम महिला(तलाक पर अधिकारों का संरक्षण) विधेयक लेकर आई और कानून बनाकर अदालत का फैसला पलट दिया।

आरिफ ने क्यों दिया था इस्तीफा

खान 1986 में राजीव गांधी की सरकार में राज्य मंत्री थे लेकिन उन्होंने शाह बानो मामले में सरकार के रुख के खिलाफ इस्तीफा दे दिया था। खान ने मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों के जबरदस्त समर्थन में मुसलमानों की प्रगतिशीलता की वकालत कर रहे थे, लेकिन राजनीति और मुस्लिम समाज का एक बड़ा वर्ग इन विचारों के विरोध में दिख रहा था। पार्टी का स्टैंड बदलने के बाद इम्बैरेसमेंट से बचने के लिए आरिफ मोहम्मद खान ने अपना इस्तीफा दे दिया था।

छात्र जीवन से राजनीति में रखा कदम

आरिफ मोहम्मद खान का जन्म यूपी के बुलंदशहर में 1951 में हुआ था। उन्होंने दिल्ली के जामिया मिल्लिया इस्लामिया से अपनी पढ़ाई की और उसके बाद अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी और लखनऊ के शिया कॉलेज से उच्च शिक्षा हासिल की। उन्होंने छात्र जीवन से ही राजनीति में कदम रखा। 26 साल की उम्र में पहली बार विधायक चुने गए। इसके बाद उन्होंने कांग्रेस ज्वॉइन कर ली।

कई पार्टियों से रहा नाता

1986 में कांग्रेस पार्टी छोड़ने के बाद उन्होंने जनता दल का दामन थामा। जनता दल को छोड़कर बहुजन समाज पार्टी से जुड़े और उसके बाद भाजपा में गए। लेकिन भाजपा में भी ज्यादा दिन नहीं टिक सके और 2007 में इस्तीफा दे दिया। 2014 में नरेंद्र मोदी सरकार बनने के बाद एकबार फिर सक्रिय हुए और तीन तलाक मुद्दे पर सक्रिय भूमिका निभाई।

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