“व्यापार से जुड़े मामलों में उचित दिशानिर्देश जारी किए जाएंगे”
By भाषा | Updated: August 25, 2021 21:29 IST2021-08-25T21:29:18+5:302021-08-25T21:29:18+5:30

“व्यापार से जुड़े मामलों में उचित दिशानिर्देश जारी किए जाएंगे”
उत्तर प्रदेश के अपर मुख्य सचिव (गृह) अवनीश कुमार अवस्थी ने बुधवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय को आश्वस्त किया कि पुलिस व्यापार और कारोबारी मामलों में मनमाने तरीके से काम ना करे, इस संबंध में राज्य सरकार द्वारा उचित दिशानिर्देश जारी किए जाएंगे। अपर मुख्य सचिव (गृह) का यह आश्वासन तब आया जब अदालत द्वारा यह संकेत दिया गया कि नियमित तौर पर ऐसे मामले आ रहे हैं जिसमें पुलिस वाणिज्यिक मामलों में व्यापारियों और कारोबारियों के खिलाफ मनमाने तरीके से भारतीय दंड विधान की धारा 420 के तहत प्राथमिकी दर्ज कर रही है। इससे पूर्व, न्यायमूर्ति एसपी केसरवानी और न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की पीठ ने मंगलवार को अपर मुख्य सचिव (गृह) अवनीश कुमार अवस्थी, जालौन के पुलिस अधीक्षक रवि कुमार और जालौन के नंदी गांव पुलिस थाना के उप निरीक्षक केदार सिंह को बुधवार को अदालत के समक्ष उपस्थित होने का निर्देश दिया था और पूछा कि क्यों ना उनके खिलाफ प्रतिकूल आदेश पारित किया जाए और भ्रामक हलफनामा दाखिल करने के लिए उन पर भारी हर्जाना लगाया जाए। अदालत ने विशाल गुप्ता नाम के एक व्यक्ति द्वारा दायर याचिका पर यह आदेश पारित किया था। विशाल गुप्ता ने कथित धोखाधड़ी और सरकारी सेवक के आदेश की अवहेलना को लेकर 20 फरवरी, 2021 को दर्ज प्राथमिकी रद्द करने का अदालत से अनुरोध किया था। इस याचिका में बताया गया कि याचिकाकर्ता वस्तुओं की आपूर्ति का कारोबार करता है। आरोपों के मुताबिक, याचिकाकर्ता अपने वाहन में सुपारी और तंबाकू के आठ बंडल ले जा रहा था और एसआई द्वारा पूछे जाने पर वह वैध परिपत्र नहीं दिखा सका जिसकी वजह से आईपीसी की धारा 420 और 188 के तहत उक्त एफआईआर दर्ज की गई। बुधवार को अपर मुख्य सचिव (गृह) और जालौन के पुलिस अधीक्षक अदालत के समक्ष पेश हुए और निजी हलफनामा दाखिल किया जिसमें बताया गया कि दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है और इस मामले में जांच के बाद अंतिम रिपोर्ट दाखिल कर दी गई है। इस पर अदालत ने इस याचिका को अर्थहीन मानते हुए खारिज कर दिया क्योंकि अंतिम रिपोर्ट दाखिल कर दी गई है और याचिकाकर्ता के पास अब कोई शिकायत नहीं रह गई। हालांकि अदालत ने कहा कि कारोबार की सामान्य प्रक्रिया में वस्तुओं के परिवहन वाले मामलों में एफआईआर दर्ज करने में पुलिस की मनमानी से प्रदेश की कारोबारी सुगमता की नीति प्रभावित हो रही है।
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