नई दिल्ली: हर साल की तरह आज देश भर में मिसाइल मैन यानी एपीजे अब्दुल कलाम का जन्मदिन मनाया जा रहा है। उनका जन्म तमिलनाडु के रामेश्वरम में 15 अक्टूबर, 1931 को हुआ था। उन्हें भारत में मिसाइल मैन और एक प्रशासक के रूप में जाना जाता है। कलाम को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान यानी भारत रत्न से नवाजा जा चुका है।
पूर्व राष्ट्रपति ने शिक्षा और विज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान पर हर साल 15 अक्टूबर को 'विश्व छात्र दिवस' भी भारत में मनाया जाता है। उन्होंने लगभग चार दशक से भी ज्यादा डीआरडीओ (रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन) के साथ काम किया है। साथ ही उन्हें 2002 में 11वें राष्ट्रपति के पद पर आसीन होने का गौरव भी प्राप्त हुआ।
उनका जन्म तमिल मुस्लिम परिवार में हुआ था, जो तब के रामबान आईलैंड में रहता था और आज वह मद्रास प्रेसीडेंसी के नाम से जाना जाता है। कलाम के पिता नाविक और घर के पास स्थित मस्जिद में इमाम थे। वहीं, उनकी मां एक गृहणी थीं। कलाम अपने पांच भाई-बहनों में सबसे छोटे थे।
उन्होंने रामनाथपुरम के एक स्कूल में अपनी स्कूली शिक्षा ली और हाइयर एजुकेशन के लिए तिरुचिरापल्ली के सेंट जोसेफ कॉलेज में दाखिला लिया। इसके बाद कलाम ने मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की।
कलाम ने डीआरडीओ को 1960 में एक वैज्ञानिक के तौर पर ज्वाइन किया था। इसके बाद उनका ट्रांसफर इसरो में हुआ और उन्होंने वहां पर भारत की पहली सैटेलाइट व्हीकल लॉन्च करने में अहम भूमिका निभाई। साथ ही कई रॉकेट प्रोजेक्ट पर भी काम किया।
एपीजे अब्दुल कलाम राजस्थान के पोखरण जिले में पहले नाभिकीय परीक्षण का भी हिस्सा रहे हैं। साथ ही उन्होंने प्रोजेक्ट डेविल और वैलिएंट पर भी काम किया है। उनकी इसी मेहनत ने सफल एसएलवी (SLV) कार्यक्रम के तहत बैलिस्टिक मिसाइल विकसित करने का किया।
एपीजे अब्दुल कलाम ने अपनी पुस्तक "माई जर्नी: ट्रांसफॉर्मिंग ड्रीम्स इंटू एक्शन" में कहा कि सालों से उन्हें यह आशा थी कि स्ट्रैटोसफेयर (ओजोन मंडल) में ऊपर उठती मशीन से उड़ान भर सकू, यह उनका सबसे खास सपना था।
ओजोन मंडल पृथ्वी की दूसरी परत है, जो ट्रोपास्फेयर से नीचे और मीसोस्फीयर से ऊपर होती है। साथ ही उन्होंने 'विंग्स ऑफ फायर' में अपनी पूरी आत्मकथा भी लिखी है।
इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर श्रद्धांजलि देकर कहा, "अपने विनम्र व्यवहार और विशिष्ट वैज्ञानिक प्रतिभा को लेकर जन-जन के चहेते रहे पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम जी को उनकी जयंती पर कोटि-कोटि नमन। राष्ट्र निर्माण में उनके अतुलनीय योगदान को सदैव श्रद्धापूर्वक स्मरण किया जाएगा।"