करगिल जंग के मैदान से अनुज नैय्यर ने पापा को किया था फोन, पापा ने कहा था बेटा पीठ मत दिखाना

By अजीत कुमार सिंह | Published: August 28, 2019 07:01 AM2019-08-28T07:01:13+5:302019-08-28T14:14:59+5:30

अनुज ने कहा था जब तक वो ये लड़ाई जीत नहीं लेंगें तब तक उन्हें  कुछ होने वाला नहीं है। अनुज की मां बताती है कि अनुज ने उन्हे अंत तक नहीं बताया था कि वो जंग लड़ रहे है। ये बात हमें उसके एक साथी मेजर ने बतायी।

Anuj Nayyar The Braveheart For Whom Nation Always Came First | करगिल जंग के मैदान से अनुज नैय्यर ने पापा को किया था फोन, पापा ने कहा था बेटा पीठ मत दिखाना

जंग के मैदान से अनुज नैय्यर ने पापा को किया था फोन, पापा ने कहा था बेटा पीठ मत दिखाना

देश की सरहदों की रक्षा करते हुए अपनी जान कुर्बान करने वाले कुछ अलग ही मिट्टी के बने होते। ऐसे ही एक सपूत ने सरहद पर जाने से पहले अपनी मां से एक दिन कहा था कि मैं करगिर जाकर देखना चाहता हूं कि हमालावर पाकिस्तानी ज्यादा मजबूत है या आपका अनुज। हम बात कर रहे करगिल में शहीद हुए में शहीद कैप्टन अनुज नैयर की जो अपने जन्मदिन  28 अगस्त से डेढ़ महीने पहले 7 जुलाई 1999 को वो देश के लिए कुर्बान हो गए।

अनुज नैय्यर का जन्म 28 अगस्त 1975 को दिल्ली में हुआ था। पिता एस के नैय्यर ने दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में विजिटिंग प्रोफेसर थे जबकि उनकी मीना सतीश नय्यर दिल्ली विश्वविद्यालय के साउथ कैंपस की लाइब्रेरी में काम करती थीं। अनुज के बचपन को याद करते हुए उनकी मां कहती हैं वो बचपन में बहुत शरारती थे।

मां से कहा, देखूं पाकिस्तान मजबूत या आपका अनुज

वो आगे कहती हैं कि अनुज जब एनडीए की ट्रेनिंग से लौटे तो मैं काफी डरी हुई थी। तब अनुज ने कहा था कि मां अगर हर कोई तुम्हारे जैसे डरने लगा तो इस देश को पाकिस्तान ले जाएग। उस दिन के बाद से मैंने उसे कभी नहीं टोका। वो बताती हैं कि करगिल जाकर ये टेस्ट करना चाहता था कि जरा देखूं तो कि पाकिस्तानी ज्यादा मजबूत हैं या अनुज।

अनुज ने कहा था जब तक वो ये लड़ाई जीत नहीं लेंगें  तब तक उन्हें  कुछ होने वाला नहीं है। अनुज की मां बताती है कि अनुज ने उन्हे अंत तक नहीं बताया था कि वो जंग लड़ रहे है। ये बात  हमें उसके एक साथी मेजर ने बतायी। वो कहती हैं जंग में शामिल होने की बात शायद अनुज की मंगेतर को भी पता रही होगी लेकिन अनुज ने उसे भी हमें बताने से मना किया था।

जंग के दौरान एक बार अनुज ने अपने पिता से बात की तब उनके पिता ने कहा था कि बेटा पीठ मत दिखाना और जंग जीत कर घर आ जाओ। इतना कहते हुए अनुज की मां के आखों में आंसू तैर जाते है वो कहती हैं मुझे अनुज की मां होने का गर्व है। वो कहती हैं कि लोग भरोसा नहीं करते लेकिन अनुज को जंग के दौरान ही प्रमोट कर के कैप्टन बना दिया गया था।

अनुज के बचपन को याद करते हुए वो कहती है कि वो बचपन से ही पढ़ने बहुत अच्छा था लेकिन उसने सेना में जाने के बारे कभी नहीं सोचा था। 12 वीं के बाद अनुज ने सेना में जाने का फैसला अचानक किया। अनुज नैय्यर की हाई-स्कूल शिक्षा तक आर्मी पब्लिक स्कूल, धौला कुआँ  में पढ़े। अनुज पढ़ाई के साथ साथ खेलों में अच्छे छात्र थे। जहां से नेशनल डिफेंस एकेडमी में पहुंचे। एनडीए से निकलने के बाद जून 1997 में 17 वीं बटालियन जाट रेजिमेंट में कमीशन किया।

अकेले 9 पाकिस्तानी सैनिकों को मार डाला

1999 में जब भारतीय सेना को  जम्मू-कश्मीर के कारगिल क्षेत्र में पाकिस्तानी सेना के घुसपैठ का पता चला। इन घुसपैठियों को बाहर निकालने के लिए भारतीय सेना ने हरकत में आ गयी। अनुज नैय्यर जिसमें कमीशन थे वो 17 जाट रेजिमेंट इसी इलाके में तैनात थी। जल्दी ही नैय्यर के सामने उनकी जिंदगी का पहला बड़ा ऑपरेशन आने वाला था। ये ऑपरेशन था रणनीतिक रुप से बेहद अहम मुश्कोह घाटी के पश्चिमी ढलान पर प्वाइंट 4875 को आजाद कराने का।

अपने रणनीतिक महत्व के कारण प्वाइंट 4875 पर वापस कब्जा करना भारतीय सेना के लिए बेहद जरूरी था। प्वाइंट 4875 की बेहद खड़ी ढलान थी और बिना एअर सपोर्ट के इस प्वाइंट को वापस हासिल करना असंभव माना जाता था।

17 जाट रेजिमेंट ने की उस टुकड़ी ने इस मुश्किल और चुनौतीपूर्ण टारगेट को हासिल करने के लिए एक साहसिक फैसला लिया। ऑपरेशन के वक्त अनुज नैय्यर अपनी टुकड़ी में सेकेंड इन-कमांड थे।  6 जुलाई को एअर सपोर्ट का इंतजार किए बिना चोटी को वापस हासिल करने का फैसला कर लिया गया।

इस आपरेशन के शुरुआत में अनुज के कंपनी कमांडर घायल हो गए जिसके कारण चार्ली कंपनी की जिम्मेदारी अब अनुज के कंधो पर थी। दुश्मन के तोपखाने और मोर्टार आग बरसा रहे थे। तभी अनुज को लीड सेक्शन ने 3-4 दुश्मन बंकरों की जानकारी दी। दुश्मन बंकरों से मौत बरसा रहा था लेकिन अनुज ने इसकी परवाह ना करते हुए रॉकेट लांचर और ग्रेनेड से पहले बंकर को नष्ट कर दिया।

अनुज लीड सेक्शन में शामिल 7 जवानों के साथ और आगे बढ़े और दुश्मन के दो और बंकर तबाह कर दिए। इस लड़ाई के दौरान नैय्यर ने 9 पाकिस्तानी सैनिकों को मार डाला और तीन मीडियम मशीन गन बंकरों को तबाह कर दिया। अनुज की कंपनी ने इसके बाद अंतिम बंकर पर अपना हमला शुरू किया। अनुज अपने साथियों के साथ लगातार आगे बढ़ रहे थे तभी  दुश्मन की एक आरपीजी सीधे आकर आकर अनुज को लगी। अनुज वहीं शहीद हो गए। उस वक्त अनुज नय्यर सिर्फ 24 साल के थे।

पिंपल कॉम्प्लेक्स की इस पूरी लड़ाई के दौरान कैप्टन नैयर सहित भारतीय सेना के 11 जवान मारे गए। दूसरी ओर 46 पाकिस्तानी सैनिक मारे गए। पिंपल कॉम्प्लेक्स पर वापस कब्जा ही वो रास्ता जिसके कारण टाइगर हिल को वापस हासिल किया गया। इस रणनीतिक बढ़त ने आखिरकार पाकिस्तान को पीछे हटने के लिए मजबूर कर दिया। कैप्टन अनुज नैय्यर को मरणोपरांत उनकी वीरता और युद्ध में नेतृत्व के लिए महावीर चक्र से सम्मानित किया गया।

बेटा अनुज हुआ शहीद, पिता को लड़नी पड़ी करगिल जैसी एक और लड़ाई

नैय्यर के पिता एस नैय्यर को भारत सरकार द्वारा दिल्ली में एक पेट्रोल पंप आवंटित किया गया। जिसे उनके पिता एस के नैय्यर ने करगिल हाइटस का नाम दिया। लेकिन इसके लिए भी शहीद के पिता एस के नैय्यर को एक अलग लड़ाई लड़नी पड़ी। वो बताते है कि उन्होंने सरकार को लिखा है कि आप करगिल विजय दिवस मना रहे हैं। और एक करगिल लड़ाई मैं आपकी व्यूरोक्रेसी से लड़ रहा हूं। मैं उसी फौजी का बाप हूं और मैं ये लड़ाई भी जीत कर दिखाऊंगा।

एस के नैय्यर बताते है कि भ्रष्ट अधिकारी घूस को हिस्सा कहते थे। वो कहते हैं कि अधिकारियों ने मुझसे कहा कि आप पेट्रोल पंप लगा कर लाखों करोड़ों कमाओगे तो उसमें से हमको भी हिस्सा चाहिए। वैसे तो ये रिश्वत है लेकिन वो समझते है कि ये चंदा है। वो आगे कहते है कि हमारी लड़ाई वहीं से शुरू हुई, चाहे दिल्ली पुलिस हो, विद्युत बोर्ड हो या डीडीए हमने सबसे जंग लड़ी।

बेहद भावुक नैय्यर के पिता आगे कहते है कि हमें ये पंप पैसों के लिए नहीं चलाना चाहते थे। वो याद करते है जनरल मलिक की वो बात जब उन्होनें कहा था कि हम ये पंप आप को नहीं दे रहे  है, ये हम अनुज को दे रहे हैं। अनुज के पिता कहते हैं कि हम भी ये अनुज के लिए चला रहे है।

अपने शहीद बेटे को याद करते हुए अनुज नैयर के पिता कहते हैं कि जब मैं इस पंप पर आता हूं उस पत्थर के पास जाता हूं जहां अनुज का नाम खुदा है तो  हर रोज उससे कहता हूं कि आई एम ऑन ड्यूटी।

कैप्टन अनुज नैय्यर ने करगिल की लड़ाई सरहद पार के दुश्मनों से लड़ी और जान दे दी और उनके पिता ने उनकी शहादत के बाद अपने ही देश के भ्रष्ट अधिकारियों से लड़ी और एक सैनिक की तरह उन्होने भी ये मुश्किल लड़ाई भी जीत ही ली।

सैफ अली खान ने निभाई शहीद अनुज की भूमिका

2003 में अनुज नैय्यर की शहादत के बाद उनके माता-पिता की ज़िदगी पर अश्विनी चौधरी ने एक फिल्म धूप बनाई जिसमें अपने बेटे को खोने वाले मां बाप की जिंदगी का दर्द दिखाया गया है। 2003 में ही जे.पी. दत्ता द्वारा निर्देशित हिंदी फिल्म एलओसी कारगिल बनी। भारतीय सेना के इन वीर जवानों के साहसिक कारनामों पर सिनेमा के पर्दे पर दिखाया गया जिसमें सैफ अली खान ने अनुज नैय्यर की भूमिका निभाई थी।

जाट रेजिमेंट में अनुज नैय्यर के साथी रहे सैनिक तेजबीर सिंह ने उनके सम्मान में अपने बेटे का नाम नैय्यर के नाम पर रख दिया। दिल्ली के जनकपुरी इलाके में एक सड़क का नाम “कैप्टन अनुज नैय्यर मार्ग” रखा गया। ये तो महज़ ईंट पत्थर की कुछ निशानियां है लेकिन शहीद कैप्टन अनुज नैय्यर जैसे वीर सपूत आज करोड़ों हिंदुस्तानियों के दिलों में हैं।

Web Title: Anuj Nayyar The Braveheart For Whom Nation Always Came First

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