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यूपी के 11 जिलों में पशु लॉकडाउन लागू, मेलों पर रोक, लंपी वायरस की चपेट, बेंगलुरु से 60000 वैक्सीन मंगाकर पशुओं का टीकाकरण

By राजेंद्र कुमार | Updated: September 17, 2025 17:26 IST

पशुधन मंत्री धर्मपाल सिंह के अनुसार, यूपी में गोवंश की संख्या करीब 1.88 करोड़ है. इसमें करीब 11.84 लाख निराश्रित (आवारा) गोवंश हैं. वर्ष 2021 और वर्ष 2022 में यूपी के गोवंश को लंपी वायरस ने अपनी चपेट में लिए था.

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ठळक मुद्देसूबे के 11 जिलों में पशुओं के लिए लॉकडाउन लगाया गया है.जिलों में पशु मेलों के आयोजन पर रोक लगा दी गई है. वायरस को अन्य जिलों में फैलने नहीं दिया जाएगा.

लखनऊः उत्तर प्रदेश के गोवंश को बीते पांच वर्षों में तीसरी बार लंपी वायरस ने अपनी चपेट में लिया लिया है. पशुओं की खाल में फफोले हो जाते हैं. इस फफोलों के कारण गोवंश की मौत तक हो जाती है. वर्ष 2021 और वर्ष 2022 में लंपी वायरस के कारण बड़ी संख्या में गोवंश की मौत भी हुई. इस बार भी इस वायरस ने सूबे के 11 जिलों में नौ हजार से अधिक गोवंश को अपनी चपेट में लिया है. इस रोग से गोवंश को बचाने के लिए बेंगलुरु से 60 हजार से अधिक वैक्सीन मंगाकर पशुओं का टीकाकरण कराया जा रहा है. इसके साथ ही सूबे के 11 जिलों में पशुओं के लिए लॉकडाउन लगाया गया है.

जिसके चलते इन जिलों में पशु मेलों के आयोजन पर रोक लगा दी गई है. राज्य के अन्य जिलों से उक्त जिलों में पशुओं के आवागमन हो भी रोका गया है. उक्त जिलों के समीप वाले जिलों में भी युद्धस्तर पर टीकाकरण शुरू किया गया है. राज्य के पशुधन एवं दुग्ध विकास मंत्री धर्मपाल सिंह का दावा है कि लंपी वायरस को अन्य जिलों में फैलने नहीं दिया जाएगा.

इस वायरस की चपेट में आए पशुओं का इलाज किया जा रहा है, जल्दी ही वह स्वस्थ हो जाएंगे. पशुधन मंत्री धर्मपाल सिंह के अनुसार, यूपी में गोवंश की संख्या करीब 1.88 करोड़ है. इसमें करीब 11.84 लाख निराश्रित (आवारा) गोवंश हैं. वर्ष 2021 और वर्ष 2022 में यूपी के गोवंश को लंपी वायरस ने अपनी चपेट में लिए था.

वर्ष 2021 में नेपाल से सटे यूपी के कुछ जिलों में इस बीमारी ने गोवंश को अपनी चपेट में लिया था. इसके बाद वर्ष 2022 में पश्चिम यूपी के अलीगढ़, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर और मथुरा जिसे बड़े जिलों में लंपी के कारण बड़ी संख्या में गोवंश की मौत हुई थी. इस बार इस वायरस ने प्रदेश के 11 जिलों बस्ती, गोरखपुर, देवरिया, महराजगंज, कुशीनगर, सिद्धार्थनगर, गाजीपुर, संतकबीरनगर, मऊ, बलिया और चंदौली में बड़ी संख्या में गोवंश को अपनी चपेट में लिया हुआ है. इन 11 जिलों में नौ हजार से अधिक गोवंश लंपी संक्रामण से जूझ रहे है, इनका इलाज किया जा रहा है.

धर्मपाल का कहना है कि इस बार यूपी में इस संक्रामक रोग का फैलाव बिहार से हुआ है और इसी वजह से बिहार से यूपी में पशुओं का आवागमन को रोका जा रहा है. सूबे के जिन 11 जिलों में इस बीमारी का फैलाव हुआ हैं, उनमें पशुओं का आवागमन पूरी तरह से रोक दिया गया है. अब इन जिलों से ना तो कोई पशु किसी अन्य जिले में जाएगा और ना ही किसी अन्य जिले का पशु यहां आने दिया जाएगा.

हम कह सकते हैं कि इन 11 जिलों में पशुओं के ए लॉकडाउन लगाया गया है. पशुधन मंत्री ने यह भी बताया है कि इन 11 जिलों में इस रोग से गोवंश को बचाने के लिए बेंगलुरु से 60 हजार से अधिक वैक्सीन मंगाकर पशुओं को उसे लगाया जा रहा है. अब तक इन जिलों के 4005 ग्रामों में पशुओं का टीकाकरण किया जा चुका है. फिलहाल इस रोग पर नियंत्रण के लिए पशुधन विभाग की टीमें गांव-गांव में पशुओं का टीकाकरण करने में जुटी हैं. इस अभियान पर विभाग के उच्चाधिकारी नजर रख रहे हैं. इसके साथ ही इस रोग पर सघन निगरानी करने के लिए एक सेल का गठन किया गया है.

इस सेल के टोल फ्री नंबर 18001805141 पर संपर्क करने पर तत्काल विभाग के अधिकारी रोग के नियंत्रण करने के लिए टीमों के साथ वहां पहुंचेंगे. इस रोग से बचाव के लिए सूबे की सभी गोशालाओं में विशेष सतर्कता बरतने के निर्देश दिए गए हैं. फिलहाल इस बीमारी पर पूरी तरह से अंकुश लगाए जाने तक 11 जिलों कोई पशु मेला नहीं लगेगा.

लंपी वायरस क्या है

यह एक वायरल बीमारी है, जो मुख्य रूप से गायों और भैंसों को प्रभावित करती है. यह बीमारी "लंपी स्किन डिजीज वायरस" नामक वायरस से होती है, जो पॉक्स वायरस परिवार का एक सदस्य है. इससे संक्रमित पशुओं के शरीर पर, विशेषकर सिर, गर्दन, पैरों आदि पर गोल गांठें (लंप) बन जाती हैं.

इस बीमारी की चपेट में आए पशु को तेज बुखार हो जाता है और उसकी नाक और आंखों से तरल पदार्थ बहने लगता है. यह बीमारी पशुओं में छुआछूत से फैलती. मक्खी से भी यह एक से दूसरे में फैलता है. इससे मनुष्य प्रभावित नहीं होता है. इस बीमारी की चपेट में आए पशु का समय पर इलाज ना होने पर उसकी मौत तक हो जाती है. 

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