इसरो ने लॉन्च किया GSAT-29 सैटेलाइट, पूर्वोत्तर और जम्मू-कश्मीर के लोगों की इस जरूरत को करेगा पूरा
By रामदीप मिश्रा | Updated: November 14, 2018 18:45 IST2018-11-14T18:45:13+5:302018-11-14T18:45:13+5:30
GSAT-29 satellite के प्रक्षेपण के लिए 27 घंटों की उलटी गिनती मंगलवार दोपहर शुरू हुई थी और रॉकेट चेन्नई से करीब 100 किमी दूर स्थित श्री हरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से शाम पांच बजकर आठ मिनट पर रवाना हुआ।

इसरो ने लॉन्च किया GSAT-29 सैटेलाइट, पूर्वोत्तर और जम्मू-कश्मीर के लोगों की इस जरूरत को करेगा पूरा
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अत्यधिक भार वाहक रॉकेट जीएसएलवी मार्क 3-डी2 रॉकेट को श्री हरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से बुधवार को प्रक्षेपित किया गया। यह भारत के नवीनतम संचार उप्रहग जीसैट-29 को लेकर अंतरिक्ष के लिए रवाना हुआ।
प्रक्षेपण के लिए 27 घंटों की उलटी गिनती मंगलवार दोपहर शुरू हुई थी और रॉकेट चेन्नई से करीब 100 किमी दूर स्थित श्री हरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से शाम पांच बजकर आठ मिनट पर रवाना हुआ।
#WATCH: Indian Space Research Organisation (ISRO) launches GSLV-MK-III D2 carrying GSAT-29 satellite from Satish Dhawan Space Centre in Sriharikota. #AndhraPradeshpic.twitter.com/7572xEzTq2
— ANI (@ANI) November 14, 2018
जीसैट-29 उपग्रह का वजन 3,423 किग्रा है। इसमें ‘‘का एवं कु बैंड’’ के ट्रांसपोंडर लगे हुए हैं, जिनका मकसद पूर्वोत्तर और जम्मू कश्मीर सहित उपयोगकर्ताओं की संचार जरूरतों को पूरा करना है। उपग्रह के प्रक्षेपण के आठ मिनट बाद भूस्थैतिक कक्षा में प्रवेश करने का कार्यक्रम है। यह प्रक्षेपण निर्धारित समय पर हुआ है।
वहीं, इस संबंध में इसरो के अध्यक्ष के सिवन ने बताया था मौसम के अनुकूल नहीं रहने पर प्रक्षेपण टाला जा सकता है। हालांकि, चक्रवात के मार्ग में बदलाव आया। उन्होंने बताया था कि महज 16 मिनट में ही जीएसएलवी-एमके 3 उपग्रह को पृथ्वी से लगभग 36 हजार किलोमीटर दूर कक्षा में स्थापित कर देगा। जीसैट-29 उपग्रह उच्च क्षमता वाले का एवं कू-बैंड के ट्रांसपोंडरों से लैस है।
(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)