Amit Shah Exclusive Interview: नए कानूनों को लेकर गृहमंत्री ने कहा, 'तारीख पे तारीख नहीं, समय पर न्याय होगा'
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: February 6, 2024 11:42 AM2024-02-06T11:42:50+5:302024-02-06T13:24:06+5:30
गृह मंत्री अमित शाह ने लोकमत समूह के संयुक्त प्रबंध संचालक ऋषि दर्डा को दिये इंटरव्यू में कहा कि हम ‘मॉब लीचिंग’ पर कानून लेकर आए लेकिन विपक्ष ने न एक शब्द कहा और न उसकी सराहना की।
Amit Shah Exclusive Interview: मोदी सरकार में सबसे रसूखदार और सशक्त शख्सियत के तौर पर अपनी पहचना रखने वाले देश के गृह मंत्री अमित शाह जितने आत्मविश्वास के साथ संसद में अपनी बात रखते हैं, उतनी दृढता के साथ उसे पालन कराने का दावा भी करते हैं।
बीते सप्ताह नई दिल्ली में ढलती शाम में गृह मंत्री अमित शाह के साथ नए कानूनों के विषय पर लोकमत समूह के संयुक्त प्रबंध संचालक और संपादकीय संचालक ऋषि दर्डा और नेशनल एडिटर हरीश गुप्ता ने लंबी वार्ता की।
लोकमत समूह के संयुक्त प्रबंध संचालक ऋषि दर्डा ने बातचीत की शुरूआत देश में बढ़ते ‘मॉब लीचिंग’ की घटनाओं के प्रति चिंता व्यक्त करते हुए की। जिसके जवाब में गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, "आज तक ‘मॉब लीचिंग’ की व्याख्या नहीं थी। सब मानते थे हमारे कानून में ‘मॉब लीचिंग’ कैसे आ सकता है? बहुत सारे एनजीओ जो भारतीय जनता पार्टी पर आरोप लगाते थे, उनका कोई अध्ययन नहीं है। सब से ज्यादा ‘मॉब लीचिंग’ से मरने वालों की संख्या चोरों की है। छोटे गांवों में चोर पकड़ा जाता है, तो पूरा गांव इकट्ठा होकर उसे मारता हैं। उसके बाद की संख्या डायन घटनाओं की है। गांवों में महिला को डायन घोषित कर दिया जाता है और लोग पत्थर से मार-मार कर बेचारी की हत्या कर देते हैं।"
गृहमंत्री शाह ने आगे कहा, "उसके बाद नंबर आता है प्रेमी युगलों का। उसमें भी पुरुष को मार देते हैं, कई जगह तो महिला को भी मार देते हैं। उसके बाद हिंदू, मुस्लिम, ईसाई ये सारे आते हैं। अब हम ‘मॉब लीचिंग’ पर कानून लेकर आए तो वे एक शब्द भी नहीं बोलते हैं क्योंकि वह सराहना करना ही नहीं चाहते हैं। हमने ढ़ेर सारी नई चीजें लाई हैं। हमने जिस राजद्रोह की सालों साल आलोचना होती थी, उसे खत्म कर दिया, जो व्यक्ति की अभिव्यक्ति स्वतंत्रता के साथ जुड़ी थी।"
सवालों के अगले सिलसिले में ऋषि दर्डा ने अगला सवाल अपराधियों द्वारा किये जा रहे कानून के दुरुपयोग का उठाते हुए कहा कि क्या आपने निर्दोष छूट जाने वाले अपराधियों के लिए भी कुछ नए कदम उठाए हैं?
इस सवाल के जवाब में गृह मंत्री शाह ने कहा, "बहुत विस्तार से अगर कानून में हुए बदलाव को पढ़ेंगे तो उससे समझ में आएगा कि कानून में जिन बातों का सहारा बहुत सारे अपराधी लेते हैं, उन्हें हटा दिया गया है। जैसे सबसे बड़ा भ्रष्टाचार तो तब होता है, जब एक गरीब आदमी के मामले में पुलिस, कई बार ‘जज साहब’ और वकील, तीनों मिलकर मुकदमा खत्म करते हैं और अपराधी निर्दोष छूट जाते हैं, आगे अपील तो पुलिस को ही करनी होती है, वो अधिकार अब पुलिस से ले लिया गया है। अब न्यायिक क्षेत्र से जुड़े ‘डायरेक्टर ऑफ प्रोसिक्यूशन’ अपील तय करेगा।"
अगले सवाल में ऋषि दर्डा ने पूछा कि क्या आम जनता के लिए न्याय की राह आसान बनाने का भी कोई प्रयास किया गया है?
गृहमंत्री शाह ने कहा, "आपने देखा होगा किसी भी पुलिस स्टेशन में ढेर सारी साइकिलें रखी रहती हैं। जब्त किया सामान पड़ा रहता है, जब तक मामला फाइनल नहीं होता तब तक उसे हटाया नहीं जा सकता है। अब हमने यह कह दिया कि यदि रसायन है, नकली नोट है, तो फोरेंसिक रिपोर्ट बनाकर और यदि वाहन हैं तो फोटोग्राफी, वीडियोग्राफी कर राज्य अपने भीतर उसे समाप्त कर सकता है। पुलिस स्टेशन साफ कर सकता है।"
आपने अपराध के शिकार होने वाले लोगों को राहत देने के लिए कोई प्रावधान किया है? ऋषि दर्डा के पूछे इस सवाल पर अमित शाह ने कहा, "आम तौर पर कोई पुलिस थाने में शिकायत करते हैं तो वह रख ली जाती है। वह एफआईआर में बदलती नहीं है। हमने तय कर दिया सात दिन में उसे एफआईआर में बदलना होगा या फिर उसे खारिज करना होगा। इसके बाद 90 दिन में रिपोर्ट देनी होगी। उसकी प्रगति की जानकारी ऑनलाइन देनी होगी। जिससे आपको एफआईआर की जानकारी मिलेगी। अदालत में क्या चल रहा है, वह सब बताया जाएगा। हर 15 दिन में ई-मेल करना है या एसएसएस भेजना होगा। ऐसे में पीड़ित के सगे-संबंधी या वह स्वयं जान पाएगा कि उसके मामले का क्या हुआ? कई बार, पुलिस मामला वापस ले लेती है और पता ही नहीं चलता। हमारे यहां पीड़ित की मुकदमे में कोई भूमिका ही नहीं रहती थी। अब हमने उसकी भूमिका तय कर दी है. अब सभी की सहमति के बिना मामला वापस नहीं लिया जा सकेगा।"
इसके बाद गृह मंत्री शाह से ऋषि दर्डा ने पुलिस हिरासत को लेकर आ रही शिकायतों के बारे में पूछा कि पुलिस द्वारा कभी-कभी अनेक तरह के अत्याचार किये जाते हैं। क्या नये कानून में उस पर कोई स्पष्टता लाने का प्रयास किया गया है?
इसके जवाब में गृह मंत्री ने कहा, "पुलिस कई लोगों को गिरफ्तार कर लेती थी। कोई कारण या जवाब नहीं मिलता था। हाईकोर्ट में अपील करना पड़ती थी। कोर्ट पुलिस को नोटिस देती थी तो वह कहती थी, हां हमारी कस्टडी में है। अब हर पुलिस स्टेशन में ऑनलाइन रजिस्टर रखना पड़ेंगे। आपकी हिरासत में आज कितने लोग हैं, बताना होगा। हिरासत में लेने के 24 घंटे के अंदर अदालत में पेश करना होगा। पहले अदालत के सामने जाकर हिरासत मांगनी होगी और बताना होगा कि मामला कानून के संज्ञान में है या फिर व्यक्ति पुलिस की हिरासत में है। जब तक कोर्ट नहीं ले जाते तो उसे रजिस्टर में चढ़ाना पड़ेगा।"