उत्तर प्रदेश में कोरोना संकट के समय वेतन न मिलने पर एम्बुलेंस कर्मचारियों ने काम बंद करने की दी धमकी
By शीलेष शर्मा | Published: March 31, 2020 02:33 PM2020-03-31T14:33:14+5:302020-03-31T14:33:14+5:30
उत्तर प्रदेश में कोरोना संकट के समय वेतन न मिलने पर एम्बुलेंस कर्मचारियों ने काम बंद करने की दी धमकीएम्बुलेंस कर्मचारियों का यह भी आरोप है कि उनको सुरक्षा के लिये न तो दिये जा रहे हैं और न ही सैनेटाइजर। जीवन रक्षक बस्तुओं की भी आपूर्ति नहीं हो रही है।
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में कोरोना की जंग में हाथ बटाने वाले एम्बुलेंस कर्मचारियों ने वेतन न मिलने के कारण काम न करने का फ़ैसला कर राज्य सरकार की मुसीबतों को और बढ़ा दिया है। प्रदेश एम्बुलेंस कर्मचारियों के संगठन का आरोप है कि सरकारी और निजी क्षेत्रों में एम्बुलेंस की सेवा में लगे कर्मचारियों को पिछले दो महीनों से वेतन नहीं दिया गया है। यह जानते हुए भी कि यह कर्मचारी दिन रात कोरोना की जंग में कंधे से कंधा मिला कर सेवारत हैं।
अब इन कर्मचारियों ने एम्बुलेंस को जस का तस छोड़ कर अपने-अपने घरों में लौट जाने की चेतावनी दे दी है। ग़ौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में 4500 एम्बुलेंस काम कर रही हैं जिनमें 17000 कर्मचारी कार्यरत हैं। हैरानी की बात तो यह है कि प्रदेश की यह एम्बुलेंस जीवीके को मिले ठेके के तहत चलाई जा रही हैं, प्रदेश सरकार ने भी अधिकांश एम्बुलेंस ठेके पर ले रखी हैं।
एम्बुलेंस कर्मचारियों का यह भी आरोप है कि उनको सुरक्षा के लिये न तो दिये जा रहे हैं और न ही सैनेटाइजर। जीवन रक्षक बस्तुओं की भी आपूर्ति नहीं हो रही है। यह जानते हुये कि एम्बुलेंस कर्मचारियों के चले जाने से कितना बड़ा संकट खड़ा हो जायेगा राज्य सरकार मौन है।
सरकारी सूत्रों से मिली ख़बरों के अनुसार राज्य सरकार ने हाथ खड़े कर दिये हैं साथ ही कर्मचारियों के संघटन से कहा है कि वे उस कंपनी से बात करें जिसने उनको संविदा पर रखा है। इधर संविदा पर कर्मचारियों को रखने वाली कम्पनी जीवीके ने अभी तक संकट को टालने के लिए कोई वयान जारी नहीं किया है। उम्मीद की जा रही है कि जल्दी ही कोई समाधान निकलेगा क्योंकि निजी अस्पतालों ने इस दिशा में बातचीत के रास्ते हल निकालने के प्रयास शुरू किये हैं।