अमरनाथ श्राइन बोर्ड ने दरकिनार किए यात्रा में सुधार के सुझाव, खतरे में जान!

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: June 24, 2018 01:26 AM2018-06-24T01:26:25+5:302018-06-24T05:25:14+5:30

अमरनाथ यात्रा पर संस्तुतियां और सुझाव दरकिनार किए गए।

Amarnath Shrine Board Ignore suggestions on improvement in travel, life in danger! | अमरनाथ श्राइन बोर्ड ने दरकिनार किए यात्रा में सुधार के सुझाव, खतरे में जान!

अमरनाथ श्राइन बोर्ड ने दरकिनार किए यात्रा में सुधार के सुझाव, खतरे में जान!

श्रीनगर, 24 जून (सुरेश डुग्गर): अमरनाथ यात्रा में शामिल होने जा रहे लाखों श्रद्धालुओं की जान खतरे में है? अमरनाथ यात्रा श्राइन बोर्ड ने उन सभी सुझावों और संस्तुतियों को एक बार फिर दरकिनार कर श्रद्धालुओं की जान खतरे में डालने का फैसला किया है जो यात्रा में हुए दो हादसों के बाद गठित किए गए आयोगों ने दिए थे। यही नहीं यात्रा में श्रद्धालुओं की संख्या फ्री फॉर आल करने के बाद प्रदूषण से बेहाल हुए पहाड़ों को बचाने पर्यावरण बोर्ड ने भी श्रद्धालुओं की संख्या कम करने को कई बार कहा है पर नतीजा हमेशा ढाक के तीन पात रहा है।

वर्ष 1996 में यात्रा में हुए प्राकृतिक हादसे में 300 से अधिक श्रद्धालुओं की जान गंवाने के बाद गठित सेन गुप्ता आयोग की सिफारिशें फिलहाल रद्दी की टोकरी में हैं। यही नहीं वर्ष 2002 में श्रद्धालुओं के नरसंहार के बाद गठित मुखर्जी आयोग की सिफारिशें भी अब कहीं नजर नहीं आती।

सेनगुप्ता आयोग ने श्रद्धालुओं की संख्या को कम करने की संस्तुति करते हुए कहा था कि अधिक संख्या में श्रद्धालुओं को भिजवाना उन्हें मौत के मुंह में धकेलना होगा। आयोग ने 75 हजार से अधिक श्रद्धालुओं को यात्रा में शामिल नहीं करने की संस्तुति करते हुए कहा था कि इसके लिए उम्र की सीमा भी रखी जानी चाहिए।

मगर ऐसा हुआ नहीं। तत्कालीन फारूक सरकार ने एकाध साल के लिए इसे अपनाया मगर धार्मिक दबाव के चलते इसे हटाना पड़ा। मुफ्ती सरकार चाहती तो यही थी पर श्राइन बोर्ड के गठन ने राज्यपाल एसके सिन्हा और मुफ्ती सईद के बीच आरंभ हुई लड़ाई ने यात्रा को गुगली बना दिया।

सिन्हा जब अड़े तो यात्रा धार्मिक यात्रा से सैरगाह में तब्दील हो गई। कभी श्रावण पूर्णिमा पर हिमलिंग के मुख्य दर्शन से संपन्न होने वाली यात्रा में अब छड़ी यात्रा का अंत बिना दर्शन के भी होने लगा है क्योंकि यात्रा का प्रतीक हिमलिंग अक्सर यात्रा शुरू होने से पहले ही पिघलने लगा है।

यात्रा बोर्ड इसके लिए ग्लोबल वार्मिंग को दोषी ठहराता है पर जानकार कहते हैं कि श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या इसके लिए जिम्मेदार है। यह इसी से स्पष्ट होता है कि यात्रा की आधिकारिक शुरूआत से पहले ही लोग दर्शन करने की कोशिशों में जुट जाते हैं और उन्हें रोकता भी कोई नहीं है। वैसे भी अब श्राइन बोर्ड की, जो भी आए वही जाए बिना पंजीकरण के भी, इस नीति ने यात्रा को सैरगाह बना दिया है। सैरगाह में हैलिकाप्टर अपनी भूमिका भी निभाते रहे हैं।

यही नहीं मुखर्जी आयोग ने सुरक्षा पर चिंता व्यक्त की तो श्राइन बोर्ड खामोश हो गया। उसे चिंता नहीं है। वह बस सेना पर इसका जिम्मा छोड़ना चाहता है। श्राइन बोर्ड प्रवक्ता कहते हैंः ‘सुरक्षाबल इस मसले पर पूरी तरह से सचेत हैं।’ पर मुखर्जी आयोग की रिपोर्ट कहती थी यात्रा मार्ग में सुरक्षा मुहैया करवा पाना असंभव है।

श्राइन बोर्ड से राज्य प्रदूषण बोर्ड भी नाराज है। नाराजगी का कारण यात्रा मार्ग पर फैलने वाली गंदगी है। इससे पहाड़ भी बेहाल हैं। इस संबंध में तैयार की गई रिपोर्ट में राज्य प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड का कहना है कि पिछले कुछ सालों से यात्रा में शामिल होने वालों की बढ़ती संख्या का परिणाम है कि लिद्दर दरिया का पानी पीने लायक नहीं रहा और बैसरन तथा सरबल के जंगल, जो अभी तक मानव के कदमों से अछूते थे, अब अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं।।

अपनी रिपोर्ट में यात्रा में शामिल होने वालों की संख्या सीमित करने का आग्रह करते हुए प्रदूषण बोर्ड कहता है कि बढ़ती संख्या से पहाड़ों और दरियाओं का संतुलन व इको सिस्टम बिगड़ा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यात्रा में अधिक संख्या में शामिल होने की अनुमति देकर आर्थिक रूप से कुछ संगठन अपने आपको मजबूत कर रहे हैं पर वे पर्यावरण को बचाने हेतु कुछ नहीं कर रहे।

हालांकि इस बार भी श्राइन बोर्ड ने घोषणा की है कि श्रद्धालुओं को अपने साथ प्लास्टिक के लिफाफे या प्लास्टिक से बनाई गई कोई भी वस्तु ले जाने की अनुमति नहीं दी होगी पर पिछले साल भी ऐसी घोषणा के बावजूद जो 55 हजार किग्रा कूड़ा करकट यात्रा मार्ग पर एकत्र किया गया था उसमें आधा प्लास्टिक ही था और जो दरियाओं में बहा दिया गया था उसका कोई हिसाब नहीं है।

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Web Title: Amarnath Shrine Board Ignore suggestions on improvement in travel, life in danger!

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