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#KuchhPositiveKarteHain: बनारस के अमन की दिल्ली तक में है चर्चा, काम जानकर आप भी करेंगे सैल्यूट

By जोयिता भट्टाचार्या | Updated: July 20, 2018 12:31 IST

हर ऐरे-गैरे की सेवा की सनक को देखते हुए घर वालों ने पैरों में लोहे की बेड़ियां डाल दीं। इस आसरे में कि बेटा सुधर जाएगा, किसी धंधे में मन लगाएगा, पर अमन तो ठहरा अमन। जो ठान ली सो ठान ली।

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23 साल का एक लड़का बनारस की गलियों और सड़को पर अक्सर घूमता रहता है। चाहें तपती धूप हो या शाम, हो चाहें अंधेरी रात। उसका कोई समय नहीं। जब जहां जाने का मन करें वो वहां जाता है लेकिन किसी चाह में नहीं बल्कि किसी जरूरतमंद की जरूरत पूरी करने। जी हां, 23 साल का अमन बनारस में जगह-जगह घूमता है दूसरों की मदद करने के लिए।

लोकमत न्यूज हिंदी में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर चल रहे कैम्पेन #KuchhPositiveKarteHain में आज हम आपको बताने जा रहे हैं उस शक्स के बारे में जिसे लोग मसीहा कह कर बुलाते हैं। लोगों की सेवा का जुनून अमन यादव में इतना है जिसके  लिए क्या दिन और क्या रात। लोकमत न्यूज ने इस लड़के से जब बात की तो इससे जज्बे को हम भी दंग रह गए।  तो आइये मुलाकात कराते हैं आपको इस जुनूनी लड़के से।

नाम- अमन यादवउम्र-23 सालपिता-स्व. राजू यादवनिवास-दारानगरआजीविका-चाय की पुश्तैनी दुकानजुनून-लावारिसों की सेवामौजूदगी-पूरे शहर में कहीं भी-कभी भी।

अमन यादव, उम्र महज 23 साल, अक्सर सरकारी अस्पतालों में किसी मरीज को ले जाते दिख जाएगा। अमन एक समाज सेवक है जिसके 2007 से अपनी इस यात्रा को शुरू किया था। अमन के मुताबिक, देश सेवा का जुनून उसके मन में बचपन से ही था लेकिन 2007 में बनारस के कचहरी में हुए बम विस्फोट ने उसके इस काम को और बढ़ावा दिया। लावारिस सड़को पर घायल या बीमार पड़े रहते हैं, उनके लिए अमन से मुलाकात एक वरदान से कम नहीं होता। अमन की नजर जैसे ही ऐसे किसी व्यक्ति पर पड़ती है वह तत्काल उसे अस्पताल पहुंचाता है। डॉक्टरों के मना करने पर वह उनसे उलझ जाता है और तब तक पीछे नहीं हटते जब तक मरीज का इलाज न शुरू हो।

हर ऐरे-गैरे की सेवा की सनक को देखते हुए घर वालों ने पैरों में लोहे की बेड़ियां डाल दीं। इस आसरे में कि बेटा सुधर जाएगा, किसी धंधे में मन लगाएगा, पर अमन तो ठहरा अमन। जो ठान ली सो ठान ली। अंतत: उसकी जिद के आगे परिवार को अपना इरादा छोड़ना पड़ा, अपने ही हाथों डाली बेड़ी तोड़नी पड़ी। अमन अब आजाद था, असहायों की सेवा का सपना उसकी आंखों में नाबाद था।

बिना किसी आर्थिक मदद के करता है मदद

अमन से जब हमने पूछा कि कैसे वो इतने लोगों की मदद करता है तो उसने सोशल मीडिया को अपना साथी बताया। अमन ने बताया कि किसी जरूरतमंद की इलाज, किसी लावारिस इंसान की मदद के लिए वो फेसबुक का सहारा लेता है। अमन ऐसे लोगों की फोटो फेसबुक में पोस्ट करता है और लोगों से इनकी मदद की मांग करता है। लेकिन यह आर्थिक मदद वो खुद नहीं लेता। वो किसी से मरीज की दवाई का खर्च देने को कहता है तो किसी को अस्पताल का फीस भरने की गुजारिश करता है।

चार साल पहले छोड़ दी पढ़ाई

अमन ने बीए सेकेंड ईयर की पढ़ाई करते-करते छोड़ दी थी जब उसके पिता की कैंसर से मौत हो गई। लेकिन उसने हार नहीं मानी और इस साल एक बार फिर से उसने BA में एडमिशन लिया है। अमन आगे की पढ़ाई पूरी करना चाहता है लेकिन वो कोई बड़ा आदमी या अफसर नहीं बनना चाहता। अमन ने कहा कि वो अपनी पूरी जिंदगी इसी समाज सेवा में लगाना चाहता है।

किसी एनजीओ से भी नहीं जुड़े

कई एनजीओ ने अमन को अपने साथ जोड़ने की कोशिश भी की, लेकिन वह तैयार नहीं हुए। वह समाज से सहयोग लेते हैं और लावारिसों की मदद करते हैं।

अमन का बैग चलती फिरती डिस्पेंसरी

अमन यादव अपने साथ एक बैग लेकर चलते हैं। इसमें मरहम पट्टी, बिस्किट, पुराने कपड़े और कुछ अन्य जरूरी सामान होते हैं। सामने कोई पीड़ित दिखने पर अमन उसका प्रारंभिक इलाज करने के साथ ही उसे कुछ खाने के लिए भी देते हैं। अमन जल्द ही एक बाइक एंबुलेंस बनाने की तैयारी कर रहा है ताकु वो मरीजों को आसानी से अस्पताल पहुंचा सके।

अमन बताते हैं कि सात साल के सेवा व्रत में वह अब तक 1000 से भी अधिक पीड़ितों की दुआ बटोर चुके हैं। इनमें अंधे, लंगड़े, भिखारी, तीर्थयात्री, विदेशी पर्यटक आदि शामिल हैं। सेवा के इस जज्बे ने अमन को तन, मन से इतना मजबूत बना दिया है कि बीमार को कंधे पर लाद कर दो-चार किलोमीटर की दौड़ भी अब उसके लिए मुश्किल नहीं। दुर्गध, जुगुप्सा, सड़े हुए, कीड़े पड़े बजबजाते घाव भी अब उसे विचलित नहीं करते।

लोकमत न्यूज अमन के इस जज्बे को सलाम करता है। देश सेवा का जुनून सरहद पर जाकर पूरी हो यह जरूरी नहीं अमन ने इस बात को साबित किया है। अगर आप भी अमन से मिलना चाहते हैं तो उसके इस फेसबुक लिंक पर जाकर उसके काम को देख सकते हैं। साथ ही आप भी उसके इस सराहनीय कदम में उसकी मदद कर उसका साथ दे सकते हैं।

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टॅग्स :कुछ पॉजिटिव करते हैंवाराणसी
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