एनएचआरसी समिति के खिलाफ पक्षपात के आरोप सही नहीं हैं : न्यायमूर्ति आईपी मुखर्जी

By भाषा | Published: August 20, 2021 01:39 PM2021-08-20T13:39:25+5:302021-08-20T13:39:25+5:30

Allegations of bias against NHRC committee are not true: Justice IP Mukherjee | एनएचआरसी समिति के खिलाफ पक्षपात के आरोप सही नहीं हैं : न्यायमूर्ति आईपी मुखर्जी

एनएचआरसी समिति के खिलाफ पक्षपात के आरोप सही नहीं हैं : न्यायमूर्ति आईपी मुखर्जी

न्यायमूर्ति आई पी मुखर्जी ने पश्चिम बंगाल में चुनाव बाद हुए जघन्य अपराधों की जांच सीबीआई को सौंपने के निर्णय से सहमति व्यक्त की और अपने अलग से लिखे फैसले में कहा कि मानव अधिकार आयोग की समिति के दुराग्रह से ग्रसित होने के आरोप में दम नहीं है। कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति मुखर्जी ने कहा कि मानव अधिकार आयोग द्वारा गठित समिति के पास पांच न्यायाधीशों की पीठ के आदेश के तहत ही जांच करने और एकत्र किए गए तथ्यों को पेश करने का अधिकार था न्यायमूर्ति मुखर्जी ने जनहित याचिकाओं पर पीठ द्वारा पारित फैसले से सहमति जताते हुए कहा, ‘‘समिति के खिलाफ दुराग्रह से ग्रसित होने के आरोप में दम नहीं है क्योंकि अदालत ने न केवल समिति की रिपोर्ट पर विचार किया बल्कि उसके बाद अधिवक्ताओं के तर्क और दलीलों पर भी गौर किया।’’ जनहित याचिकाओं में चुनाव बाद हुई कथित हिंसा की स्वतंत्र जांच कराने तथा पीड़ितों को मुआवजा देने का अनुरोध किया गया था। उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल, न्यायमूर्ति आई पी मुखर्जी, न्यायमूर्ति हरीश टंडन, न्यायमूर्ति सौमेन सेन और न्यायमूर्ति सुब्रत तालुकदार की पीठ ने दुष्कर्म, दुष्कर्म की कोशिश और हत्या जैसे जघन्य अपराधों की सीबीआई जांच तथा पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद कथित हिंसा के अन्य मामलों की जांच के लिए तीन वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों की एसआईटी के गठन का आदेश दिया है। अपनी टिप्पणियों में न्यायमूर्ति मुखर्जी ने कहा कि निर्वाचन आयेाग की दलीलें बिल्कुल सही हैं कि चुनाव कराना उसका काम है लेकिन प्रशासन चलाना सरकार का काम है। उन्होंने कहा, ‘‘मेरी राय में निर्वाचन आयोग सैद्धांतिक रूप से सही है। लेकिन यह भी सही है कि निर्वाचन आयोग ने प्रशासन को प्रशासनिक ड्यूटी में लगे अधिकारियों का तबादला करने और उन्हें उस समय उसके निर्देशों के अनुसार तैनात करने के लिए कहा था जब वह चुनाव का प्रभारी था।’’ उन्होंने कहा, ‘‘अगर चुनाव के परिणामस्वरूप अपराध हुए तो यह निर्वाचन आयोग का कर्तव्य है कि वह कम से कम प्रशासन को शिकायतें दर्ज करने का निर्देश या सलाह दे जो उसने नहीं किया।’’ न्यायमूर्ति मुखर्जी ने कहा कि चुनाव और नयी सरकार के पदभार ग्रहण करने के बीच निर्वाचन आयोग प्रशासन को शिकायतें दर्ज करने का निर्देश देकर अधिक सकारात्मक भूमिका निभानी चाहिए थी। उन्होंने कहा, ‘‘अगर अपराध साबित हो जाता है तो दोषियों को सजा दी जाएगी। केवल तभी पूरी व्यवस्था को निष्पक्ष और पारदर्शी बनाया जा सकता है।’’ गौरतलब है कि एनएचआरसी समिति की रिपोर्ट की सिफारिशों और निष्कर्षों का विरोध करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने दावा किया था कि यह गलत और पक्षपातपूर्ण है। उन्होंने यह दावा किया था कि सात सदस्यीय समिति के कुछ सदस्यों का भारतीय जनता पार्टी से संबंध था।

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Web Title: Allegations of bias against NHRC committee are not true: Justice IP Mukherjee

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