पत्नी को बेवफा कहना चरित्र, प्रतिष्ठा और सेहत पर गंभीर हमला, हाईकोर्ट ने कहा-गंभीर आरोपों से मानसिक पीड़ा, यंत्रणा होता है, वह क्रूरता के समान...

By भाषा | Published: March 23, 2022 06:01 PM2022-03-23T18:01:56+5:302022-03-23T18:04:50+5:30

शादी एक पवित्र रिश्ता है और उसकी शुद्धता स्वस्थ समाज के लिए बनायी रखी जानी चाहिए। इस प्रकार, हमें संबंधित फैसले में दखल देने का कोई तुक नजर नहीं आता।

Allegation extramarital wife affair serious attack character spouse, false should be condemned Saying unfaithful High Court said mental agony, torture cruelty | पत्नी को बेवफा कहना चरित्र, प्रतिष्ठा और सेहत पर गंभीर हमला, हाईकोर्ट ने कहा-गंभीर आरोपों से मानसिक पीड़ा, यंत्रणा होता है, वह क्रूरता के समान...

उच्च न्यायालय ने महिला की अपील खारिज कर दी जिसने पारिवारिक अदालत के 31 जनवरी 2019 के आदेश को चुनौती दी थी।

Highlights झूठे आरोप लगाने की प्रवृति की अदालतों द्वारा निंदा की जाए। कार्यवाहक मुख्य नयायाधीश विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा ने 21 मार्च को अपने एक फैसले में कहा है।किसी भी संबंध में विवाहेत्तर संबंध के आरोप गंभीर आरोप हैं।

नई दिल्लीः दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि बेवफा होने या विवाहेत्तर संबंध रखने का आरोप लगाना किसी भी उस जीवनसाथी के चरित्र, प्रतिष्ठा एवं सेहत पर गंभीर हमला है जिसके विरूद्ध ऐसे गंभीर आरोप लगाये जाते हैं। अदालत ने कहा कि विवाह पवित्र संबंध है तथा उसकी शुद्धता स्वस्थ समाज के लिए बनायी रखी जानी चाहिए।

उच्च न्यायालय ने कहा कि ऐसे गंभीर आरोपों से मानसिक पीड़ा, यंत्रणा एवं दुख होता है एवं वह क्रूरता के समान है, इसलिए झूठे आरोप लगाने की प्रवृति की अदालतों द्वारा निंदा की जाए। कार्यवाहक मुख्य नयायाधीश विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा ने 21 मार्च को अपने एक फैसले में कहा, ‘‘बेवफा होने या विवाहेत्तर संबंध रखने का आरोप लगाना किसी भी उस जीवनसाथी के चरित्र, प्रतिष्ठा एवं सेहत पर गंभीर हमला है जिसके विरुद्ध ऐसे गंभीर आरोप लगाये जाते हैं।

उससे मानसिक पीड़ा, यंत्रणा एवं दुख होता है एवं वह क्रूरता के समान है। किसी भी संबंध में विवाहेत्तर संबंध के आरोप गंभीर आरोप हैं। झूठे आरोप लगाने की प्रवृति की अदालतों द्वारा निंदा की जाए।’’ उच्च न्यायालय ने एक पारिवारिक अदालत का फैसला बरकरार रखते हुए यह निर्णय सुनाया।

पारिवारिक अदालत ने एक महिला द्वारा क्रूरता किये जाने के आधार पर उसके पति के पक्ष में तलाक को मंजूरी दी। उच्च न्यायालय ने कहा कि पारिवारिक अदालत ने सबूतों की सही पहचान की एवं यह उचित ही पाया कि पत्नी ने बेबुनियाद आरोप लगाकर पति का चरित्र हनन किया । उच्च न्यायालय ने महिला की अपील खारिज कर दी जिसने पारिवारिक अदालत के 31 जनवरी 2019 के आदेश को चुनौती दी थी।

पारिवारिक अदालत ने महिला से अलग रहे रहे उसके पति के पक्ष में हिंदू विवाह अधिनियम के प्रावधानों के तहत तलाक मंजूर किया। उच्च न्यायालय ने कहा कि अपील में भी महिला निचली अदालत के निष्कर्षों को गलत साबित करने के लिए भरोसेमंद सबूत नहीं ला पायी और उसकी दुर्भावना अपने ससुर के विरुद्ध अपने आरोपों को सार्वजनिक करने की उसकी स्वीकारोक्ति से स्पष्ट हो जाती है।

न्यायालय ने कहा, ‘‘वर्तमान मामले में अपीलकर्ता पत्नी ने गंभीर आरोप लगाये हैं लेकिन सुनवाई के दौरान उनकी पुष्टि नहीं हो पायी है। अपीलकर्ता ने पति के पिता के विरूद्ध भी गंभीर शिकायत दर्ज करायी और उसमें भी वह बरी हुए। हम समझते है कि इन दो पहलुओं को अपीलकर्ता द्वारा प्रतिवादी (पति) पर क्रूरता के कृत्य के लिए लिया जा सकता है।

शादी एक पवित्र रिश्ता है और उसकी शुद्धता स्वस्थ समाज के लिए बनायी रखी जानी चाहिए। इस प्रकार, हमें संबंधित फैसले में दखल देने का कोई तुक नजर नहीं आता। अपील खारिज की जाती है।’’ इस दंपत्ति की 2014 में शादी हुई थी लेकिन उसके शीघ्र बाद ही उनके बीच रिश्ते में खटास आ गयी और दोनों अलग रहने लगे। महिला ने छेड़खानी के आरोपों को लेकर ससुर के विरूद्ध आपराधिक मामला दर्ज किया, उसके बाद उसके पति ने क्रूरता के आधार पर तलाक की अर्जी दी। 

Web Title: Allegation extramarital wife affair serious attack character spouse, false should be condemned Saying unfaithful High Court said mental agony, torture cruelty

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