इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा-लिव-इन रिलेशनशिप के खिलाफ नहीं, लेकिन दंपति में से एक शादीशुदा है तो हम सुरक्षा नहीं दे सकते

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: June 21, 2021 06:22 PM2021-06-21T18:22:43+5:302021-06-21T18:23:36+5:30

इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति कौशल जयेंद्र ठाकर और न्यायमूर्ति दिनेश पाठक की खंडपीठ ने कहा कि हम लिव इन संबंध के खिलाफ नहीं हैं।

Allahabad High Court said not against live-in relationship but if one couple married then we cannot give security | इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा-लिव-इन रिलेशनशिप के खिलाफ नहीं, लेकिन दंपति में से एक शादीशुदा है तो हम सुरक्षा नहीं दे सकते

महिला पहले से शादीशुदा है और एक दूसरे पुरुष के साथ लिव इन संबंध में रह रही है।

Highlightsकारण यह था कि उन याचिकाकर्ताओं में से एक व्यक्ति पहले से विवाहित था।अदालत ने 15 जून, 2021 को लिव-इन संबंध में रह रही एक दंपति की सुरक्षा की मांग वाली याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी थी।अदालत ने याचिकाकर्ताओं पर 5,000 रुपये जुर्माना भी लगाया था।

प्रयागराजः इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक मामले में शुक्रवार को कहा कि वह लिव-इन संबंध के खिलाफ नहीं है, लेकिन जब लिव इन संबंध में रह रही दंपति में से एक व्यक्ति शादीशुदा हो तो वह सुरक्षा नहीं दे सकता।

 

अदालत ने यह टिप्पणी उन याचिकाकर्ताओं को पुलिस सुरक्षा प्रदान करते हुए की, जो विवाह योग्य थे और साथ रहना चाहते थे और बाद में उन्होंने विवाह कर लिया। उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले की इस दंपति की रिट याचिका आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए न्यायमूर्ति कौशल जयेंद्र ठाकर और न्यायमूर्ति दिनेश पाठक की खंडपीठ ने कहा, “हम लिव इन संबंध के खिलाफ नहीं हैं। इससे पूर्व, हमने लिव इन संबंध में रहने के इच्छुक एक दंपति की पुलिस सुरक्षा की मांग वाली याचिका खारिज कर दी थी। इसका कारण यह था कि उन याचिकाकर्ताओं में से एक व्यक्ति पहले से विवाहित था।”

मौजूदा मामले में अदालत को बताया गया कि इस रिट याचिका के लंबित रहने के दौरान दंपति ने आर्य समाज मंदिर में विवाह कर लिया है। उन्होंने इस आशंका को लेकर अदालत का रुख किया है कि उनके परिजनों द्वारा उनका उत्पीड़न किया जा सकता है।

याचिकाकर्ताओं को सुरक्षा उपलब्ध कराने का पुलिस को निर्देश देते हुए अदालत ने कहा कि इस मामले में दोनों याचिकाकर्ता विवाह योग्य हैं और वे लिव इन संबंध में रहना चाहते थे, लेकिन बाद में उन्होंने विवाह कर लिया। इसलिए ज्ञान देवी बनाम नारी निकेतन अधीक्षक, दिल्ली और इसी तरह के अन्य मामलों में उच्चतम न्यायालय के निर्णयों को देखते हुए ये याचिकाकर्ता सुरक्षा के पात्र हैं।

उल्लेखनीय है कि इस अदालत ने 15 जून, 2021 को लिव-इन संबंध में रह रही एक दंपति की सुरक्षा की मांग वाली याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि महिला पहले से शादीशुदा है और एक दूसरे पुरुष के साथ लिव इन संबंध में रह रही है। अदालत ने याचिकाकर्ताओं पर 5,000 रुपये जुर्माना भी लगाया था।

Web Title: Allahabad High Court said not against live-in relationship but if one couple married then we cannot give security

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे