'दिल्ली हिंसा पर संसद में चर्चा से क्यों बचना चाहती है मोदी सरकार', कांग्रेस सदस्यों के निलंबन पर अलका लाम्बा ने उठाए सवाल
By स्वाति सिंह | Published: March 5, 2020 05:53 PM2020-03-05T17:53:25+5:302020-03-05T17:53:25+5:30
कांग्रेस के सात लोकसभा सदस्यों को बृहस्पतिवार को सदन का अपमान करने और ‘घोर कदाचार’ के मामले में मौजूदा संसद सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित कर दिया गया।
कांग्रेस नेता अलका लाम्बा ने गुरुवार को पार्टी के सात सदस्यों को लोकसभा शेष अवधि के लिए निलंबित किए जाने पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि यह लोकतंत्र की हत्या है।अलका लाम्बा ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से लिखा 'यह लोकतंत्र की हत्या है, आखिर क्यों बीजेपी की मोदी सरकार इतनी डरी हुई है जो संसद में दिल्ली हिंसा पर चर्चा से बचना चाहती है? चर्चा हुई तो दंगाइयों के साथ उनके आक़ाओं को भी होना पड़ सकता है बेनकाब। दिल्ली के 7 सांसद दंगों पर चुप, कांग्रेस के 7 सांसदों को किया गया सस्पेंड।'
बता दें कि कांग्रेस के सात लोकसभा सदस्यों को बृहस्पतिवार को सदन का अपमान करने और ‘घोर कदाचार’ के मामले में मौजूदा संसद सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित कर दिया गया। पीठासीन सभापति मीनाक्षी लेखी ने कहा कि कांग्रेस सदस्यों द्वारा अध्यक्षीय पीठ से बलपूर्वक कागज छीने जाने और उछालने का ऐसा दुर्भाग्यपूर्ण आचरण संसदीय इतिहास में संभवत: पहली बार हुआ है।
संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कांग्रेस सदस्यों गौरव गोगोई, टी एन प्रतापन, डीन कुरियाकोस, राजमोहन उन्नीथन, बैनी बहनान, मणिकम टेगोर और गुरजीत सिंह औजला को निलंबित करने संबंधी प्रस्ताव पेश किया जिसे सदन ने ध्वनिमत से पारित कर दिया। पीठासीन सभापति ने मीनाक्षी लेखी ने कहा, ‘‘जिन माननीय सदस्यों को निलंबित किया गया है वे तुरंत बाहर चले जाएं।’’
इससे पहले पीठासीन सभापति लेखी ने अपराह्न तीन बजे सदन की कार्यवाही शुरू होने पर कहा, ‘‘आज दोपहर सदन में चर्चा के दौरान कुछ सदस्यों ने सभा की कार्यवाही से संबंधित आवश्यक कागज अध्यक्षीय पीठ से बलपूर्वक छीन लिये और उछाले गये। संसदीय इतिहास में ऐसा दुर्भाग्यपूर्ण आचरण संभवत: पहली बार हुआ है जब अध्यक्ष पीठ से कार्यवाही से संबंधित पत्र छीने गये। मैं इस आचरण की घोर निंदा करती हूं।’’ उन्होंने संसदीय प्रक्रिया नियमों के नियम 374 के तहत उक्त सदस्यों को नामित किया।