मुलायम के इतिहास बन जाने पर छलका अखिलेश का दर्द, बोले- "आज पहली बार लगा, बिन सूरज के उगा सवेरा"

By आशीष कुमार पाण्डेय | Updated: October 12, 2022 14:14 IST2022-10-12T14:01:53+5:302022-10-12T14:14:52+5:30

मुलायम सिंह यादव के पंचतत्व में विलीन होने के बाद सपा प्रमुख अखिलेश यादव का दर्द पहली बार उस समय जनता के सामने आया, जब उन्होंने ट्विटर पर सैफई मेला ग्राउंड के उस जगह की तस्वीर साझा की, जहां कल चिता में जलने वाला मुलायम सिंह का शरीर आज ठंडी राख में बदल चुका था।

Akhilesh Yadav's pain spilled after Mulayam Singh Yadav became history, said - "Today felt for the first time, without sun ke uga savera" | मुलायम के इतिहास बन जाने पर छलका अखिलेश का दर्द, बोले- "आज पहली बार लगा, बिन सूरज के उगा सवेरा"

ट्विटर से साभार

Highlightsमुलायम सिंह की ठंडी चिता को निहारते हुए अखिलेश यादव ने कहा आज बिना सूरज सबेरा हुआ हैअखिलेश ने ट्विटर पर सैफई मेला ग्राउंड की तस्वीर साझा की, जहां कल 'नेताजी' की अंत्येष्टि हुई थीपिता की मौत से दुखी अखिलेश ने लिखा, "आज पहली बार लगा, बिन सूरज के उगा सवेरा"

सैफई:मुलायम सिंह यादव के पंचतत्व में विलीन होने के बाद उनकी ठंडी चिता को निहार रहे अखिलेश यादव के लिए बुधवार का सवेरा बिना सूरज के उगा। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव का दर्द पहली बार उस समय जनता के सामने आया, जब उन्होंने ट्विटर पर सैफई मेला ग्राउंड के उस जगह की तस्वीर साझा की, जहां कल जलने वाली मुलायम सिंह चिता आज ठंडी राख में बदल चुकी थी। पिता की मौत से मर्माहत सपा प्रमुख ने ट्विटर के कैप्शन में लिखा, "आज पहली बार लगा, बिन सूरज के उगा सवेरा"।

बताया जा रहा है कि अखिलेश यादव ने आज पिता मुलायम सिंह की अस्थियां चुनी, जिन्हें हरिद्वार, प्रयाग और काशी में बह रही गंगा में प्रवाहित किया जाएगा। इसके लिए मुलायम परिवार की ओर से तैयारियां की जा रही हैं। बताया जा रहा है कि अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल यादव और राम गोपाल यादव नेताजी के श्राद्ध की तैयारियों को संभाले हुए सैफई में मुलायम सिंह की होने वाली तेरहवीं के व्यापक आयोजन की रूप-रेखा बना रहे हैं।

वहीं अखिलेश यादव हिंदू कर्मकांड के जरिये उन रस्मों को पूरा करने में लगे हैं, जिनका वर्णन शास्त्रों में किया गया है। बीते मंगलवार को जब सैफई के मेला ग्राउंड में दोपहर बाद मुलायम सिंह का अंतिम संस्कार संपन्न किया गया तो तो रुक-रुक कर बूंदाबांदी हो रही थी। 'नेताजी' के नाम से लोकप्रिय मुलायम सिंह की चिता को जब अखिलेश यादव ने मुखाग्नि दी तो सपा कार्यकर्ता ‘धरती पुत्र मुलायम सिंह अमर रहें’ के नारे लगा रहे थे।

हजारों-लाखों लोगों के साथ राजनीति, कला, फिल्म और साहित्य के क्षेत्र के कई लोग मुलायम सिंह को अंतिम विदाई देने के लिए सैफई पहुंचे थे। उस मौके पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, एनसीपी प्रमुख शरद पवार, राजद के वरिष्ठ नेता तेजस्वी यादव, तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव, झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन, छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल, यूपी के दोनों डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक और केशव प्रसाद मौर्य के अलावा योगगुरु रामदेव समेत तमाम हस्तियों ने दुख की घड़ी में अखिलेश यादव को सराहा दिया।

यूपी के इटावा जिले स्थित सैफई गांव में एक किसान परिवार में पैदा होने वाले मुलायम सिंह यादव का जन्म 22 नवंबर 1939 को हुआ था। पहली बार जसवंत नगर विधानसभा सीट से विधायक बने मुलायम सिंह यादव 10 बार विधायक रहे। इसके अलावा वो सात बार सांसद भी रहे।

मुलायम सिंह यादव तीन बार साल 1989-91,1993-95 और 2003-2007 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे और साल 1996 से 98 तक संयुक्त मोर्चा की सरकार में वो देश के रक्षा मंत्री भी रहे। साल 2012 में बसपा को हराकर चुनाव जीतने वाले मुलायम सिंह ने अपने बेटे और मौजूदा सपा प्रमुख अखिलेश यादव को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाकर सपा की विरासत उन्हें ट्रांसफर कर दी। 

Web Title: Akhilesh Yadav's pain spilled after Mulayam Singh Yadav became history, said - "Today felt for the first time, without sun ke uga savera"

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