Ayodhya Ram Mandir: अखिल भारतीय मांग समाज ने राम मंदिर ट्रस्ट को दान की चांदी जड़ित झाड़ू, यहां पढ़ें पूरी जानकारी
By आकाश चौरसिया | Published: January 28, 2024 09:56 AM2024-01-28T09:56:57+5:302024-01-28T10:28:15+5:30
अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा समारोह के बाद अब अखिल भारतीय मांग समाज की ओर से श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र स्थल को चांदी जड़ित झाढ़ू दान की गई है। इसके साथ ही अखिल भारतीय मांग समाज ने तीर्थ क्षेत्र से अनुरोध किया है कि इसका प्रयोग सिर्फ गर्भगृह की साफ सफाई के लिए इस्तेमाल किया जाए।
नई दिल्ली: अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा समारोह के बाद अब अखिल भारतीय मांग समाज की ओर से श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र स्थल को चांदी जड़ित झाढ़ू दान की गई है। इसके साथ ही अखिल भारतीय मांग समाज ने तीर्थ क्षेत्र से अनुरोध किया है कि इसका प्रयोग सिर्फ गर्भगृह की साफ सफाई के लिए इस्तेमाल किया जाए। इसका वजन करीब 1.751 किलोग्राम बताया जा रहा है।
#WATCH | Ayodhya: Devotees of Shri Ram from the 'Akhil Bharatiya Mang Samaj' donate a silver broom to the Ram Janambhoomi Teerth Kshetra Trust, with a request that it be used for cleaning the Garbha Griha.
— ANI (@ANI) January 28, 2024
The silver broom weighs 1.751 kg. pic.twitter.com/K9Mgd6HnMZ
बता दें कि बीती 22 जनवरी को मंदिर के गर्भगृह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रभु राम की मूर्ति स्थापित की थी। वहीं, इस अवसर के बाद लगातार श्रद्धालुओं में भगवान के दर्शन को लेकर यूपी के अयोध्या में भीड़ उमड़ रही है। एएनआई के अनुसार अब तक करीब 2.5 लाख श्रद्धालुओं ने अयोध्या में रामलाल के दर्शन कर लिए हैं और इतनी ही संख्या में भक्त दर्शन करने के लिए इंतजार कर रहे हैं।
22 जनवरी को हुए प्राण प्रतिष्ठा समारोह के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रभु राम के मंदिर के महत्व को बताते हुए एक नए युग के आगमन का प्रतीक करार दिया और लोगों से मंदिर निर्माण से आगे बढ़कर अगले 1,000 वर्षों के मजबूत, भव्य और दिव्य भारत की नींव बनाने का आह्वान किया था। मोदी ने 'गर्भगृह' में अनुष्ठान करने के बाद कहा था "22 जनवरी, 2024 केवल कैलेंडर में एक तारीख नहीं है, बल्कि एक नए युग के आगमन की शुरुआत है।"
अखिल भारतीय मांग समाज
मांग समाज की ओर से बताया गया है कि वे मां शबरी की संताने है और सनातन काल से हमारे समाज का जीविका चलाने का व्यवसाय भी झाड़ू बनाकर (विक्रय) करने का ही चलता आ रहा है। इसके अलावा बताया कि आदि काल से 9 महीने बाद मां की कोख से बाहर सृष्टि दिखाने का पुण्य कार्य भी दाई मां के रूप में हमारा ही समाज करता आ रहा है।