वायु सेना को पहला LCA मार्क-1ए फाइटर जेट मार्च के अंत तक मिल सकता है, जानिए इसकी ताकत
By शिवेन्द्र कुमार राय | Published: March 19, 2024 05:43 PM2024-03-19T17:43:07+5:302024-03-19T17:45:42+5:30
एलसीए कार्यक्रम भारत सरकार द्वारा 1984 में पुराने मिग-21 लड़ाकू विमानों को बदलने के उद्देश्य से शुरू किया गया था। तेजस को विकसित करने में लंबा समय लगा है। तेजस ने भारत को उन देशों के विशिष्ट समूह में शामिल कर दिया है जो आधुनिक क्षमताओं से लैस चौथी और पांचवी पीढी के बीच के लड़ाकू जेट विकसित करने की क्षमता रखते हैं।
नई दिल्ली: भारतीय वायु सेना को पहला एलसीए मार्क-1ए फाइटर जेट (LCA Mark-1A fighter jet) मार्च 2024 के अंत तक मिल सकता है। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड इस महीने के अंत तक स्वदेशी लड़ाकू विमान को वायुसेना को सौंपने की दिशा में काम कर रहा है।
समाचार एजेंसी एएनआई ने रक्षा सूत्रों के हवाले से बताया है कि सरकारी स्वामित्व वाली सार्वजनिक क्षेत्र की इकाई हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड जल्द से जल्द भारतीय वायुसेना को पहले ट्विन-सीटर ट्रेनर संस्करण विमान की डिलीवरी की दिशा में भी काम कर रही है। 31 मार्च के अंत तक डिलीवरी को पूरा करने की दिशा में काम चल रहा है। यह स्वदेशी लड़ाकू विमान परियोजना के लिए एक बड़ा कदम होगा।
बता दें कि भारतीय वायु सेना ने पहले ही 83 एलसीए विमानों की आपूर्ति के लिए एचएएल के साथ 48,000 करोड़ रुपये से अधिक के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं, जबकि 65,000 करोड़ रुपये में 97 और विमान खरीदने की मंजूरी मिल गई है। एलसीए मार्क 1 विमान को 2016 में भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया था और उनके दो स्क्वाड्रन फिलहाल सेवा में हैं। एलसीए मार्क-1ए
इसी का उन्नत वर्जन है।
आने वाले समय में एलसीए तेजस विमान भारतीय वायुसेना की रीढ़ होंगे। भारतीय वायु सेना के पास पहले से ही मूल आईओसी और एफओसी संस्करण के 40 एलसीए थे। इसके बाद 83एलसीए मार्क 1 विमानों का ऑर्डर दिया गया और अब 97 एलसीए मार्क-1ए की खरीद को भी मंजूरी मिल गई है। इस तरह वायु सेना में कुल 220 तेजस विमान हो जाएंगे। ये वायु सेना के लगभग दस स्क्वाड्रन को सुसज्जित करेंगे।
तेजस एमके-1ए विमानों को भारतीय रडार और 'अंगद' इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूट से लैस किया जाएगा। 'उत्तम' एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड एरे (एईएसए) रडार और अंगद इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूट को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित किया जा रहा है और जल्द ही इसे तेजस एमके-1ए विमान में फिट किया जाएगा। स्वदेशी उत्तम रडार 100 किमी दूर से ही दुश्मन के विमान को पहचान पाने में सक्षम है। ये एक साथ 50 टारगेट को ट्रैक कर सकता है। एलसीए तेजस एमके 1ए सिंगल इंजन का 4.5 पीढ़ी का सिंगल सीटर बहुउद्देश्यीय लड़ाकू विमान है।
पाकिस्तान से लगती सीमा पर होगी तैनाती
भारतीय वायु सेना रणनीतिक रूप से अहम पाकिस्तान सीमा के पास स्थित राजस्थान के बीकानेर में नाल एयर बेस पर स्वदेशी लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) तेजस मार्क 1 ए लड़ाकू जेट के अपने पहले स्क्वाड्रन को तैनात करने की तैयारी कर रही है। तेजस मार्क 1 ए लड़ाकू विमानों की पाक सीमा के पास तैनाती अप्रैल-मई तक हो जाएगी। पश्चिमी क्षेत्र में रक्षा तैयारियों को मजबूत करने के लिए पुराने तेजस एमके1 लड़ाकू विमानों को संभवतः गुजरात में आगे के एयरबेस पर स्थानांतरित करने की योजना बनाई गई है।
बता दें कि भारतीय वायुसेना की जरूरतों को देखते हुए हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) लड़ाकू विमानों का उत्पादन बढ़ाने जा रहा है। साल 2027 से लड़ाकू विमानों की उत्पादन क्षमता में तीनगुना वृद्धि करते हुए एचएएल हर साल 24 तेजस लड़ाकू विमानों का निर्माण अपनी फैक्ट्रीयों में करेगा। एलसीए कार्यक्रम भारत सरकार द्वारा 1984 में पुराने मिग-21 लड़ाकू विमानों को बदलने के उद्देश्य से शुरू किया गया था। तेजस को विकसित करने में लंबा समय लगा है। तेजस ने भारत को उन देशों के विशिष्ट समूह में शामिल कर दिया है जो आधुनिक क्षमताओं से लैस चौथी और पांचवी पीढी के बीच के लड़ाकू जेट विकसित करने की क्षमता रखते हैं।