लाइव न्यूज़ :

कृषि कानून: मुजफ्फरनगर में किसानों की नजर अब एमएसपी पर

By भाषा | Updated: November 21, 2021 18:21 IST

Open in App

मुजफ्फरनगर, 21 नवंबर तीन कृषि कानूनों को वापस लिये जाने का आश्वासन मिलने के बाद उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के किसानों की नजर अब न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए एक कानून पर हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा किये जाने के बाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश के इस नगर में किसानों को जश्न मनाने का एक मौक मिल गया। मुजफ्फरनगर में भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) का मुख्यालय भी है।

बीकेयू अध्यक्ष नरेश टिकैत और उनके भाई व यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत मुजफ्फरनगर के गांव सिसौली में रहते हैं।

बीकेयू के स्थानीय सदस्य मगरम बाल्यान ने कहा कि सरकार ने किसानों के दबाव के कारण कानूनों को वापस लेने की घोषणा की। उन्होंने दावा किया कि यह घोषणा चुनाव से पहले मतदाताओं को खुश करने की एक कोशिश है।

बाल्यान ने कहा, ‘‘केवल इन कानूनों को वापस लेने से किसानों की मदद नहीं होने वाली। सरकार को अब फसलों के लिए एमएसपी की कानूनी गारंटी देनी चाहिए, उर्वरकों की उपलब्धता सुनिश्चित करनी चाहिए और खेती के लिए महत्वपूर्ण अन्य मामलों को हल करना चाहिए।’’ उन्होंने यह भी कहा कि विरोध प्रदर्शनों ने जाट समुदाय को अब भाजपा के विरोध में मजबूती से एकजुट किया है। इस दावे को किसी साक्ष्य की जरूरत नहीं क्योंकि इस क्षेत्र के किसानों ने अपने गांवों में भाजपा नेताओं के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है।

बाल्यान ने कहा, ‘‘मृत्यु और शोक प्रार्थना सभाओं के दौरान उनके स्वैच्छिक दौरों को छोड़कर, भाजपा नेताओं के गांवों में प्रवेश करने पर लगभग एक साल से अधिक समय से प्रतिबंध लगाया गया है।’’

विपक्षी राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) ने कहा कि कानूनों को निरस्त करने का निर्णय एक बड़ी बात है क्योंकि यह दिखाता है कि भाजपा पार्टी के बाहर ‘‘झुकती’’ है, जो 2014 के बाद शायद ही कभी हुआ हो। रालोद ने यह भी कहा कि कानूनों को निरस्त करके, सरकार ने किसानों पर कोई एहसान नहीं किया है क्योंकि मुख्य समस्याओं का समाधान अभी भी किया जाना बाकी है।

रालोद प्रवक्ता संदीप चौधरी ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘प्रधानमंत्री मोदी ने उन कानूनों को वापस लेने की घोषणा की है जिन्हें किसानों ने पहले दिन से स्वीकार नहीं किया। उन्होंने किसानों से केवल वह बोझ हटाया है जो उनकी सरकार समुदाय पर डालना चाहती थी।’’

चौधरी ने कहा, ‘‘किसानों को वास्तविक लाभ तब होगा जब सरकार एमएसपी से संबंधित चिंताओं को दूर करेगी और किसानों की आय दोगुनी करने के भाजपा के वादे को पूरा करेगी।’’

मोदी की ओर से शुक्रवार की घोषणा ने सरकार और किसानों के बीच साल भर से चल रहे गतिरोध को तोड़ने में मदद की। किसान पिछले वर्ष नवंबर से दिल्ली की कई सीमाओं पर बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू किया था।हालांकि, मुजफ्फरनगर में भाजपा समर्थकों को लगता है कि सरकार को प्रदर्शनकारियों से हार नहीं माननी चाहिए थी, जो अब और मांगों के साथ आना चाहेंगे।

खतौली क्षेत्र के सठेरी निवासी सुनील काजी ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘सरकार को ऐसा (कृषि कानूनों को निरस्त करना) नहीं करना चाहिए था। ये ‘यूनियन-वाले’ विरोध प्रदर्शन समाप्त नहीं करेंगे और मांगें जोड़ते रहेंगे और सरकार को ब्लैकमेल करेंगे।’’

उन्होंने साथ ही कहा कि इस घोषणा से क्षेत्र में भाजपा की साख बढ़ेगी और 2022 में होने वाले अगले विधानसभा चुनाव और यहां तक ​​कि 2024 के आम चुनावों में भी इससे मदद मिल सकती है।

सोराम में रहने वाले और जाट इतिहास पर किताब लिख रहे अमित कुमार ने कहा कि उनके क्षेत्र के लोगों ने हालांकि इस फैसले का स्वागत किया है, लेकिन यह थोड़ा देर से आया है।

कुमार ने किसी भी किसान यूनियन या राजनीतिक दल से कोई संबंध नहीं होने का दावा करते हुए कहा, ‘‘प्रदर्शन के दौरान 700 से अधिक लोगों की जान चली गई। राजनीतिक माहौल से संकेत मिलता है कि भाजपा की चुनावी संभावनाएं धूमिल होंगी।’’

सोराम का ऐतिहासिक गांव प्रभावशाली सर्व खाप का मुख्यालय भी है।

तीन कृषि कानूनों को वापस लिये जाने की मांग को लेकर पिछले साल 26 नवंबर से मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के सैकड़ों किसान दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले हुए हैं। किसानों की अन्य मांगों में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए कानूनी गारंटी की मांग भी शामिल है।

शुक्रवार को राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में, प्रधानमोदी ने कहा कि तीन कृषि कानूनों को वापस ले लिया जाएगा और ऐसा करने के लिए आवश्यक संवैधानिक प्रक्रिया इस महीने के अंत में शुरू होने वाले संसद के शीतकालीन सत्र में पूरी हो जाएगी।

मोदी ने साथ ही इस बात पर जोर दिया कि कानून किसानों के लाभ के लिए थे और देश के लोगों से माफी मांगते हुए कहा कि सरकार अपने अच्छे इरादों के बावजूद किसानों के एक वर्ग को नहीं समझा सकी।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Open in App

संबंधित खबरें

भारतहरियाणा सरकार पर जनता का नॉन-स्टॉप भरोसा, मुख्यमंत्री

क्रिकेटU19 Asia Cup 2025: श्रीलंका को हराकर अंडर-19 एशिया कप के फाइनल में पहुँचा भारत, PAK से होगी खिताबी जंग

भारतमध्य प्रदेश: '2047 तक प्रदेश की इकोनॉमी 2.5 ट्रिलियन डॉलर होगी', मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने विधानसभा के विशेष सत्र को किया संबोधित

भारतBMC छोड़ सभी निकायों में सीट बंटवारा पूरा?, राज और उद्धव ठाकरे में गठजोड़, ऐलान 20-25 दिसंबर के बीच

भारतNagpur Solar Plant: पानी की टंकी गिरने से 6 लोगों की मौत

भारत अधिक खबरें

भारतनीतीश सरकार के 125 यूनिट मुफ्त बिजली योजना के कारण केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी पीएम सूर्य घर योजना पर पड़ा बुरा असर

भारतबिहार हिजाब विवादः 20 दिसंबर को डॉ नुसरत प्रवीण ज्वाइन करेंगी सरकारी नौकरी, सीएम नीतीश कुमार के समर्थन में उतरे NDA नेता, देखिए किसने क्या कहा

भारतपीएम मोदी भारत में X की नई 'सबसे ज़्यादा पसंद की जाने वाली' रैंकिंग में सबसे आगे

भारतभाजपा कार्यकारी अध्यक्ष बनने के बाद नितिन नबीन पहली बार 23 दिसंबर को पटना पहुंचेंगे, भव्य रोड शो में शामिल हो सकते अमित शाह

भारतVIDEO: डिंपल यादव बोलीं, राम के नाम का राजनीतिक फायदा उठाना चाहती है भाजपा