कोवैक्सीन को WHO की मंजूरी के बाद टीका लगाने वाले यात्रियों को अमेरिका में प्रवेश की दी गई अनुमति
By अनिल शर्मा | Published: November 4, 2021 09:33 AM2021-11-04T09:33:28+5:302021-11-04T11:12:21+5:30
कोवैक्सीन को WHO की मंजूरी के बाद संयुक्त राज्य अमेरिका ने अनुमोदित टीकों की अपनी सूची को अपडेट किया है और उन लोगों को देश में प्रवेश की अनुमति दी है जिन्होंने टीके के रूप में कोवैक्सीन का डोज लिया हैं।
नयी दिल्लीः विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा भारत बायोटेक के कोविड रोधी टीके कोवैक्सीन को आपात उपयोग के लिए मंजूरी मिलने के बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को कहा कि इससे भारतीय नागरिकों को यात्रा करने में आसानी होगी और टीके की समता में भी इसका योगदान रहेगा। जयशंकर ने कहा कि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'आत्मनिर्भर भारत' के दृष्टिकोण की वैश्विक मान्यता भी है। विदेश मंत्री ने ट्वीट किया, '' कोवैक्सीन को आपात उपयोग सूची में मंजूरी प्रदान किए जाने के निर्णय का स्वागत करता हूं। यह भारतीय नागरिकों को यात्रा करने में आसानी और टीका समता में योगदान देगा।
उधर, संयुक्त राज्य अमेरिका ने अनुमोदित टीकों की अपनी सूची को अपडेट किया है और उन लोगों को देश में प्रवेश की अनुमति दी है जिन्होंने टीके के रूप में कोवैक्सीन का डोज लिया हैं। रिपोर्ट के मुताबिक संशोधित नियम 8 नवंबर से लागू होंगे। यानी 8 नवंबर से अमेरिका टीका लगाए गए विदेशी यात्रियों के लिए अपनी सीमाएं खोलेगा।
यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (सीडीसी) के प्रेस अधिकारी स्कॉट पॉली ने बताया, "सीडीसी का यात्रा मार्गदर्शन एफडीए द्वारा अनुमोदित या अधिकृत और डब्ल्यूएचओ आपातकालीन उपयोग सूची टीकों पर लागू होता है और किसी भी नए टीके को समय के साथ उन सूचियों में शामिल किया जा सकता है।" .
सीडीसी ने बुधवार को डब्ल्यूएचओ द्वारा भारत के स्वदेशी वैक्सीन को आपातकालीन उपयोग सूची (ईयूएल) देने की बात स्वीकार की थी, जिसे भारत बायोटेक द्वारा विकसित किया गया है। वैश्विक स्वास्थ्य निकाय ने एक ट्वीट में कहा, "WHO ने कोवैक्सीन (भारत बायोटेक द्वारा विकसित) को आपातकालीन उपयोग सूची (EUL) प्रदान की है, जिससे COVID19 की रोकथाम के लिए WHO द्वारा मान्य टीकों के बढ़ते पोर्टफोलियो को जोड़ा गया है।
डब्ल्यूएचओ के अनुसार, कोवैक्सिन की कोविद -19 के खिलाफ 78 प्रतिशत प्रभावकारिता दर है और निम्न और मध्यम आय वाले देशों के लिए बेहद उपयुक्त है क्योंकि इसे स्टोर करना आसान है। वैक्सीन को भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) द्वारा सह-विकसित किया गया था, जो केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अंतर्गत आता है।